अर्थालंकार MCQ Quiz - Objective Question with Answer for अर्थालंकार - Download Free PDF
Last updated on Jun 24, 2025
Latest अर्थालंकार MCQ Objective Questions
अर्थालंकार Question 1:
निम्नलिखित काव्य पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
मैया मैं तो चंद्र-खिलौना लैहों।
Answer (Detailed Solution Below)
अर्थालंकार Question 1 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 1 ‘रूपक अलंकार’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
- ‘मैया मैं तो चंद्र-खिलौना लैहों।’ इस काव्य पंक्तियों में रूपक अलंकार है क्योंकि यहां 'चन्द्र-खिलौना' में चंद्रमा पर खिलौने का आरोप किया गया है।
- जहाँ गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय में ही उपमान का अभेद आरोप कर दिया हो, वहाँ रूपक अलंकार होता है।
अन्य विकल्प
अलंकार |
परिभाषा |
अनुप्रास |
जहां एक ही वर्ण की आवृत्ति एक से अधिक बार हो, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। जैसे - चारु चंद्र की चंचल किरणें, खेल रही थी जल थल में। |
उपमा |
जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना किसी दूससरी वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। जैसे - सागर-सा गंभीर हृदय हो, गिरि-सा ऊंचा हो जिसका मन। |
उत्प्रेक्षा |
उपमान के न होने पर उपमेय को ही उपमान मान लिया जाए वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। जैसे - सोहत ओढ़े पीत पट, स्याम सलौने गात। मनहु नीलमणि सैल पर, आवत परयो प्रभात। |
Additional Information
अलंकार |
काव्य अथवा भाषा की शोभा बढ़ाने वाले मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते हैं। |
अर्थालंकार Question 2:
तब तो बहता समय शिला-सा जग जायेगा। इस पंक्ति में किस अलंकार का प्रयोग हुआ है?
Answer (Detailed Solution Below)
अर्थालंकार Question 2 Detailed Solution
'तब तो बहता समय शिला-सा जग जायेगा' में 'उपमा अलंकार है। अत: सही उत्तर विकल्प 3 'उपमा अलंकार' होगा।
- उपमा अलंकार - जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है।
अन्य विकल्प
- श्लेष अलंकार - जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है। श्लेष अलंकार के दो भेद होते हैं: सभंग श्लेष; अभंग श्लेष
- यमक अलंकार - जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
- रूपक अलंकार - जहां रूप और गुण की अत्यधिक समानता के कारण उपमेय में उपमान का आरोप कर अभेद स्थापित किया जाए वहां रूपक अलंकार होता है।
Additional Information
अलंकार - काव्य अथवा भाषा की शोभा बढ़ाने वाले मनोरंजक ढंग को अलंकार कहते हैं।
अर्थालंकार Question 3:
निम्नलिखित पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है?
‘बीती विभावरी जागरी
अम्बर पनघट में डुबो रही
तारघट उषा नागरी’Answer (Detailed Solution Below)
अर्थालंकार Question 3 Detailed Solution
- उपर्युक्त पद्य में 'रूपक' अलंकार है क्योंकि इसमें 'अम्बर' (उपमेय) पर 'पनघट' (उपमान) का 'तारा' (उपमेय) पर 'घट' (उपमान) का तथा 'उषा' (उपमेय) पर 'नागरी' (उपमान) का अभेद आरोप है।
- इस प्रकार इसमें 'रूपक अलंकार' प्रयुक्त है। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 'रूपक' है।
Additional Information
अन्य विकल्प
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
रूपक |
जब उपमान और उपमेय में अभिन्नता या अभेद दिखाया जाए। |
“मैया मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों” में चन्द्रमा और खिलौने में समानता न दिखाकर चन्द्र को ही खिलौना बोल दिया गया है। |
उपमा |
उपमा शब्द का अर्थ होता है ‘तुलना’। जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए, वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। |
कर कमल-सा कोमल है। |
यमक |
जहाँ एक ही शब्द जितनी बार आए उतने ही अलग-अलग अर्थ दे। |
काली ‘घटा’ का घमंड ‘घटा’। |
उत्प्रेक्षा |
जहाँ उपमेय में उपमान के होने की संभावना का वर्णन होता हो। |
“मुख मानो चन्द्रमा है” में मुख को चंद्रमा कहा जा रहा है। |
अर्थालंकार Question 4:
"राम कृपा भव-निसा सिरानी।" उपर्युक्त पंक्तियों में निम्नलिखित में से कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अर्थालंकार Question 4 Detailed Solution
- राम कृपा भव-निसा सिरानी में रूपक अलंकार है।
- इस पंक्ति में कवि यह कह रहे है कि संसार रूपी रात्रि भगवान की कृपा से व्यतीत हो रही है।
- इस पंक्ति में रात्रि पर संसार का आरोप किया गया है, इसलिए यहाँ रुपक अलंकार है।
- दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि रात और संसार में कोई भेद नहीं होने के कारण दोनों एकाकार हो गयें है, इसे ही उपमेय पर उपमान का आरोप कहतें हैं।
- उपमेय पर उपमान का आरोप या उपमान और उपमेय का अभेद ही 'रूपक' है।
- जब उपमेय पर उपमान का निषेध-रहित आरोप करते हैं, तब रूपक अलंकार होता है।
- उपमेय में उपमान के आरोप का अर्थ है- दोनों में अभिन्नता या अभेद दिखाना। इस आरोप में निषेध नहीं होता है।
- जैसे- यह जीवन क्या है ? निर्झर है।''
- इस उदाहरण में जीवन को निर्झर के समान न बताकर जीवन को ही निर्झर कहा गया है। अतएव, यहाँ रूपक अलंकार हुआ।
Key Points
रूपक अलंकार की मुख्य परिभाषा -
Additional Information
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
विरोधाभास अलंकार |
जहाँ वास्तविक विरोध न होकर केवल विरोध का आभास हो, वहाँ विरोधाभास अलंकार होता है। |
या अनुरागी चित्त की, गति समुझै नहि कोय। |
श्लेष अलंकार |
श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ। जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं, तब श्लेष अलंकार होता है। |
रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून। |
यमक अलंकार |
जब एक शब्द का प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है। |
कनक कनक ते सौगुनी मादकता अधिकाय। वा खाये बौराय जग या पाये बौराय।। |
अर्थालंकार Question 5:
किस अलंकार में उपमान की अपेक्षा उपमेय को काफी बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
अर्थालंकार Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर है - ‘व्यतिरेक’।
- व्यतिरेक अलंकार में उपमान की अपेक्षा उपमेय को काफी बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है।
- ‘व्यतिरेक’ का शाब्दिक अर्थ है- ‘आधिक्य’।
Key Pointsव्यतिरेक अलंकार के उदाहरण:
- का सरवरि तेहिं देउं मयंकू।
चांद कलंकी वह निकलंकू।।
स्पष्टीकरण:
- मुख की समानता चन्द्रमा से कैसे दूँ? चन्द्रमा में तो कलंक है, जबकि मुख निष्कलंक है।
कारण सहित उपमेय की श्रेष्ठता बताने से यहाँ व्यतिरेक अलंकार है।
अन्य विकल्प :
- अतिश्योक्ति अलंकार: जब किसी बात का वर्णन बहुत बढ़ा-चढ़ाकर किया जाए तब वहां अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
-
जैसे :
आगे नदियाँ पड़ी अपार, घोडा कैसे उतरे पार।
राणा ने सोचा इस पार , तब तक चेतक था उस पार। - स्पष्टीकरण:
यहाँ चेतक की शक्तियों व स्फूर्ति का बहुत बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है। अत: यहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होगा।
-
- रूपक अलंकार : जब उपमान और उपमेय में अभिन्नता या अभेद दिखाया जाए तब यह रूपक अलंकार कहलाता है।
- जैसे:
मैया मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों। -
स्पष्टीकरण:
यहाँ चन्द्रमा एवं खिलोने में समानता न दिखाकर चाँद को ही खिलौना बोल दिया गया है। अत: यह रूपक अलंकार होगा।
- जैसे:
- संदेह अलंकार: जब उपमेय और उपमान में समता देखकर यह निश्चय नहीं हो पाता कि उपमान वास्तव में उपमेय है या नहीं।
जब यह दुविधा बनती है, तब संदेह अलंकार होता है।- जैसे:
सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है।
सारी ही की नारी है कि नारी की ही सारी है। - स्पष्टीकरण:
साड़ी बीच नारी है या नारी के बीच साड़ी है इसका निश्चय नहीं हो पाने के कारण संदेह अलंकार है।
- जैसे:
Additional Informationअलंकार:
- अलंकार, कविता के सौन्दर्य को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं। जिस प्रकार आभूषण से नारी का लावण्य बढ़ जाता है,
उसी प्रका अलंकार से कविता की शोभा बढ़ जाती है। - शब्द तथा अर्थ की जिस विशेषता से काव्य का श्रृंगार होता है उसे ही अलंकार कहते हैं।
- अनुप्रास, उपमा, रूपक, अनन्वय, यमक, श्लेष, उत्प्रेक्षा, संदेह, अतिश्योक्ति, वक्रोक्ति आदि प्रमुख अलंकार हैं। इसके अलावा अन्य अलंकार भी हैं।
Top अर्थालंकार MCQ Objective Questions
“यह जीवन क्या है, निर्झर है।” इस वाक्य में प्रयुक्त अलंकार पहचानिए।
Answer (Detailed Solution Below)
अर्थालंकार Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFरूपक अलंकार, यहाँ सही विकल्प है। अन्य विकल्प असंगत है। अत: सही विकल्प 4 'रूपक अलंकार' है।
इस उदाहरण में जीवन को निर्झर के समान न बताकर जीवन को ही निर्झर कहा गया है। अतएव, यहाँ रूपक अलंकार हुआ। जब उपमेय पर उपमान का निषेध-रहित आरोप करते हैं, तब रूपक अलंकार होता है।
अन्य विशेष
अलंकार |
परिभाषा |
उदहारण |
उत्प्रेक्षा |
जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना का वर्णन हो, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है। |
फूले कास सकल महि छाई। जनु बरसा रितु प्रकट बुढ़ाई।। |
अतिश्योक्ति |
जहाँ किसी का वर्णन इतना बढ़ा-चढ़ाकर किया जाय कि सीमा या मर्यादा का उल्लंघन हो जाय, वहाँ 'अतिशयोक्ति अलंकार' होता है। |
बाँधा था विधु को किसने, इन काली जंजीरों से, मणिवाले फणियों का मुख, क्यों भरा हुआ हीरों से। |
व्यतिरेक |
जहाँ कारण बताते हुए उपमेय की श्रेष्ठता उपमान से बताई जाए वहाँ व्यतिरेक अलंकार होता है। |
स्वर्ग कि तुलना उचित ही है यहाँ, किन्तु सुर सरिता कहाँ सरयू कहाँ। |
'बिनु पद चलै सुनै बिनु काना' – पंक्ति में कौन सा अलंकार है ?
Answer (Detailed Solution Below)
अर्थालंकार Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त पद्य में विभावना अलंकार है। जब कोई कार्य किसी कारण के न होते हुए भी हो रहा हो तो वहां विभावना अलंकार होता है।
- "बिनु पद चलइ, सुनइ बिनु काना। कर बिनु करम, करइ बिधि नाना॥" का अर्थ है कि वह ईश्वर बिना पैरों के चलता है, बिना कान के सुनता है, हाथ न होते हुए भी विभिन्न तरह के कार्य करता है अर्थात यहाँ बिना किसी कारण के ही कार्य हो रहा है। इसीलिए सही उत्तर - 1 'विभावना अलंकार' है।
Key Points
- विषेशोक्ति अलंकार - जहाँ कारण के होते हुए भी कार्य नहीं होता वहां विषेशोक्ति अलंकार होता है।
- अन्योक्ति अलंकार - जहाँ किसी दूसरे के माध्यम से किसी को बात कही जाती है वहां अन्योक्ति अलंकार होता है।
- अतिशयोक्ति अलंकार - जब किसी वस्तु या व्यक्ति के बारे में बात को बढ़ा - चढ़ाकर कहा जाए वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है।
‘अम्बर पनघट में डुबो रही ताराघट उषा नागरी’ में कौन-सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अर्थालंकार Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDF‘अम्बर पनघट में डुबो रही ताराघट उषा नागरी’ में 'रूपक' अलंकार है। शेष विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 'रूपक' है।
स्पष्टीकरण
- जहाँ उपमेय को उपमान मान लिया जाता है वहां रूपक अलंकार होता है।
- 'उपर्युक्त पंक्ति में 'अम्बर' (उपमेय) पर 'पनघट' (उपमान) का 'तारा' (उपमेय) पर 'घट' (उपमान) का तथा 'उषा' (उपमेय) पर 'नागरी' (उपमान) का अभेद आरोप है।
- आकाश रूपी पनघट में उषा (सुबह, भोर, प्रभात) रूपी स्त्री तारा रूपी घड़े डुबो रही है। यहाँ आकाश पर पनघट का, उषा पर स्त्री का और तारा पर घड़े का आरोप होने से रूपक अलंकार है।
अन्य विकल्प
अलंकार |
परिभाषा |
उदाहरण |
रूपक अलंकार |
जब उपमान और उपमेय में अभिन्नता या अभेद दिखाया जाए। |
“मैया मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों” में चन्द्रमा और खिलौने में समानता न दिखाकर चन्द्र को ही खिलौना बोल दिया गया है। |
उपमा अलंकार |
उपमा शब्द का अर्थ होता है ‘तुलना’। जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए, वहाँ पर उपमा अलंकार होता है। |
कर कमल-सा कोमल है। |
यमक अलंकार |
जहाँ एक ही शब्द जितनी बार आए उतने ही अलग-अलग अर्थ दे। |
काली ‘घटा’ का घमंड ‘घटा’। |
उत्प्रेक्षा अलंकार |
जहाँ उपमेय में उपमान के होने की संभावना का वर्णन होता हो। |
"मुख मानो चन्द्रमा है" में मुख को चंद्रमा कहा जा रहा है। |
'शफरी सी जल में, विहंगिनी सी व्योम में' पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अर्थालंकार Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDF- प्रस्तुत पंक्ति में उपमा अलंकार का प्रयोग हुआ है ।
- आचार्य भरतमुनि ने अपने नाट्यशास्त्र में चार अलंकारों का उल्लेख किया है - उपमा, रूपक, दीपक, यमक ।
- उपमा का अर्थ तुलना करना है ,जिसका वर्णन हो उसे उपमेय और जिससे उपमा दें उसे उपमान कहते हैं ।
- उपमा के वाची शब्द हैं - सौं , लौं , सरिस , समान , सदृश , तुल्य , सी , से , तूल आदि ।
- उपमा के तीन भेद भी हैं - मालोपमा , उपमेयोपमा , अनन्वययोपमा ।
- रूपक - जहाँ उपमेय और उपमान में पूर्ण समानता बताई जाए , वहां रूपक अलंकार है ।
- उत्प्रेक्षा - यदि उपमेय की उपमान में बलपूर्वक समकल्पना की जाए ।
Key Points
“उपमेय, उपमान, साधारण धर्म और वाचक” किस अलंकार के भेद हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
अर्थालंकार Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFउपमा अलंकार यहाँ सही विकल्प है, अन्य असंगत है।
उपमा अलंकार - जिसमे किसी की तुलना किसी से की जाती हो। अत: उपर्युक्त सभी उपमा अलंकार के भेद इसलिए सही विकल्प 3 उपमा अलंकार होगा।
जैसे - चंदा सा मुखड़ा कन्हैया का
- भेद :- “उपमेय, उपमान, साधारण धर्म और वाचक”
- 'उप' का अर्थ है- 'समीप से' और 'मा' का तौलना या देखना।
“तुम मांसहीन, तुम रक्तहीन, हे अस्थिशेष तुम अस्थिहीन,
तुम शुद्ध-बुद्ध आत्मा केवल, हे चिर पुराण हे चिर नवीन।''
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन-सा अलंकार प्रयुक्त हुआ है ?
Answer (Detailed Solution Below)
अर्थालंकार Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त पंक्तियों में विरोधाभास अलंकार है। अतः विकल्प विरोधाभास सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।Key Points
- जब दो विरोधी पदार्थों का संयोग एक साथ दिखाया जाय तो विरोधाभास अलंकार प्रस्तुत होता है।
- उपर्युक्त पंक्तियां सुमित्रानंदन पंत की है।
- यह पंक्तियां युगांत पल्लविनी (1936) कविता से हैं जो कि "बापू के प्रति" में संकलित हैं।
Additional Information
- मानवीकरण अलंकार
- परिभाषा :- जहां काव्य में चेतन-अचेतन अवस्था का संबंध तथा क्रियाकलापों को , मनुष्य के व्यवहार से जोड़कर प्रस्तुत किया जाता है वहां मानवीकरण अलंकार होता है।
- जहां बेजुबान में जान होने का संकेत मिले वहां मानवीकरण अलंकार की उपलब्धता होती है।
- श्रद्धानत तरुओं की अंजली से झरे पात , कोंपल के मूंदे नयन थर-थर-थर पुलकगात।
- (यहां वृक्ष और उसके शाखाओं को मानवीय व्यवहार से जोड़ा गया है )
- दृष्टान्त अलंकार
- जहाँ दो सामान्य या दोनों विशेष वाक्यों में बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव होता हो वहाँ पर दृष्टान्त अलंकार होता है।
- इस अलंकार में उपमेय रूप में कहीं गई बात से मिलती -जुलती बात उपमान रूप में दुसरे वाक्य में होती है।
- यह अलंकार उभयालंकार का भी एक अंग है।
- यह जीवन हो परीपुराण....पिर घन में ओझल हो शशी…….फिर शशी से ओझल हो घन।
- यहाँ सुख-दुःख तथा शशी-घन में बिंब प्रतिबिंब का भाव है इसलिए यहाँ दृष्टांत अलंकार है।
- विशेषण-विपर्यय अलंकार-
- जहाँ किसी वस्तु का विशेषण उससे संबंधित दूसरी वस्तु में विशेष अर्थ से संबंधित करने में प्रयुक्त किया जाता है, वहाँ विशेषण -विपर्यय अलंकार होता है।
- अब विकल रागिनी बजती।
- स्पष्टीकरण- यहाँ 'विकल' शब्द हृदय का विशेषण है परन्तु उसे रागिनी का विशेष बनाकर प्रयुक्त किया गया है।
रूपक अलंकार है -
Answer (Detailed Solution Below)
अर्थालंकार Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFरूपक अलंकार है - माया दीपक नर पतंग।
Key Points
रूपक |
जहां उपमेय और उपमान में कोई अंतर नहीं होता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है। |
मैया मैं तो चन्द्र खिलौना लेहौं। और चरण-कमल बंदौ हरि राई! |
अन्य विकल्प-
- विमल वाणी ने वीणा ली। : अनुप्रास अलंकार।
- काली घटा का धमंड घटा। : यमक अलंकार।
- सीता का मुख मानों चंद्रमा है। : उत्प्रेक्षा अलंकार।
'कुहुकि कुहुकि जस कोयल रोई, रकत आँसु घुँघची बन बोई'- पंक्ति में है:
Answer (Detailed Solution Below)
अर्थालंकार Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर अतिशयोक्ति अलंकार है।
Key Points
- प्रस्तुत पंक्तियाँ मालिक मोहम्मद जायसी के 'नागमती के वियोग वर्णन' से उद्धृत हैं।
- 'कुहुकि कुहुकि जस कोयल रोई, रकत आँसु घुँघची बन बोई'- प्रस्तुत पंक्ति में नागमती कोयल की भाँति कुहुक- कुहुक कर रोई, रक्त के आँसुओं के रूप में मानो उसने घुघचियाँ वन में बो दीं।
- प्रस्तुत पद में कुछ ज्यादा ही बढ़ा - चढ़ा कर वर्णन किया जा रहा है, अतः स्पष्ट है कि यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है।
Additional Information
- अतिशयोक्ति अलंकार- अतिशयोक्ति शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – अतिशय+उक्ति। ‘अतिशय’ मतलब बहुत अधिक और ‘उक्ति‘ मतलब कह दिया अर्थात जब कोई बात बहुत बढ़ा चढ़ाकर या लोकसीमा का उल्लंघन करके कही जाए, तब वहाँ अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
- उदहारण- “देख सुदामा की दीन दशा करुणा करके करुणानिधि रोए, पानी परात को हाथ छुयो नहिं नैनन के जल सों पग धोए।”
- हिंदी अनुवाद - पानी और बर्तन (परात) को छुए बिना कोई भी किसी के पैर नहीं धो सकता है क्योकि मनुष्य की आँखों से इतना जल नहीं निकल सकता। ऐसा करना बिलकुल असंभव है लेकिन सुदामा और कृष्ण की बहुत ही गहरी मित्रता और प्रेम को व्यक्त करने के लिए ऐसा कहा गया।
- सहोक्ति अलंकार- जहाँ कई बातों का एक साथ होना सरल रीति से कहा जाता है वहाँ सहोक्ति अलंकार होता है। इसमें सह, समेत, साथ, संग आदि शब्दों के द्वारा एक शब्द दो पक्षों में लगता है, एक में प्रधान रूप से और दूसरे में अप्रधान रूप से।
- उदाहरण- 'कीरति अरि कुल संग ही जलनिधि पहुंची जाय |' 'नाक पिनकहीं संग सिधाई।'
- वक्रोक्ति अलंकार- जिस शब्द से कहने वाले व्यक्ति के कथन का अर्थ न ग्रहण कर सुनने वाला व्यक्ति अन्य ही चमत्कारपूर्ण अर्थ लगाये और उसका उत्तर दे, तब उसे वक्रोक्ति अलंकार कहते हैं। दूसरे शब्दों में जहाँ किसी के कथन का कोई दूसरा पुरुष दूसरा अर्थ निकाले, वहाँ वक्रोक्ति अलंकार होता है।
- इसमें चार बातों का होना आवश्यक है-
- वक्ता की एक उक्ति।
- उक्ति का अभिप्रेत अर्थ होना चाहिए।
- श्रोता उसका कोई दूसरा अर्थ लगाये।
- श्रोता अपने लगाये अर्थ को प्रकट करे।
- उदाहरण- एक कह्यौ वर देत भव भाव चाहिए चित्त। सुनि कह कोउ भोले भवहिं भाव चाहिए मित्त।।
उपमेय में उपमान के संशय को पैदा करने वाला अलंकार है ?
Answer (Detailed Solution Below)
अर्थालंकार Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFउपमेय में उपमान के संशय को पैदा करने वाला अलंकार है- संदेह
Key Pointsसंदेह अलंकार-
- जहाँ पर किसी व्यक्ति या वस्तु को देखकर संशय बना रहे वहाँ संदेह अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है।
सारी ही की नारी है कि नारी ही की सारी है।
- सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है।
Important Pointsश्लेष अलंकार-
- जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं,तब श्लेष अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।
- चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर।
- यहाँ सुबरन का प्रयोग एक बार किया गया है,किन्तु पंक्ति में प्रयुक्त सुबरन शब्द के तीन अर्थ हैं,कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ अच्छे शब्द,व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ सुन्दर वर,चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ सोना है।
- श्लेष अलंकार के दो भेद होते हैं-
- सभंग श्लेष
- अभंग श्लेष
उपमा अलंकार-
- जब किन्ही दो वस्तुओं के गुण,आकृति,स्वभाव आदि में समानता दिखाई जाए या दो भिन्न वस्तुओं कि तुलना कि जाए,तब वहां उपमा अलंकर होता है।
- उपमा अलंकार में एक वस्तु या प्राणी कि तुलना दूसरी प्रसिद्ध वस्तु के साथ की जाती है।
- उदाहरण-
- हरि पद कोमल कमल।
- उदाहरण में हरि के पैरों कि तुलना कमल के फूल से की गयी है।
यमक अलंकार-
- जब एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
- उदाहरण-
- ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहन वारी, ऊँचे घोर मन्दर के अन्दर रहाती हैं।
सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है।
सारी ही की नारी है कि नारी की ही सारी है।I 'में कौन सा अलंकार है?
Answer (Detailed Solution Below)
अर्थालंकार Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDF‘सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है।, नारी की ही सारी है कि सारी की ही नारी है।।’ पंक्ति में संदेह अलंकार है।
- जहां किसी वस्तु में उसी तरह की किसी अन्य वस्तु का संदेह हो। वह संदेह अलंकार के अंतर्गत आएगा।
- उपर्युक्त पंक्ति में नारी और सारी में संदेह किया गया है।
- उपर्युक्त पंक्ति में नारी और सारी में संदेह होने के कारण यहाँ संदेह अलंकार है।
Additional Information
श्लेष
- परिभाषा - साहित्य में एक शब्दालंकार जिसमें ऐसे शब्दों का प्रयोग होता है जिनके अनेक अर्थ होते हैं और वे प्रसंगों के अनुसार कई तरह से अलग-अलग घटते हैं
- वाक्य में प्रयोग - मधुबन की छाती को देखो,मुरझाई कितनी कलियाँ में कलियाँ के दो अर्थ हैं,एक फूलों के खिलने के पहले की अवस्था तथा दूसरा नवयवना के लिए है इसलिए यह श्लेष अलंकार है ।
- समानार्थी शब्द - श्लेष , श्लेषलंकार
- लिंग - पुल्लिंग
अतिशयोक्ति
- परिभाषा - एक अलंकार जिसमें भेद में अभेद, असंबंध में संबंध आदि दिखाकर किसी वस्तु का बहुत बढ़ाकर वर्णन होता है
- वाक्य में प्रयोग - आदिकालीन कवियों की रचनाएँ अतिशयोक्ति अलंकार से भरी पड़ी हैं ।
- समानार्थी शब्द - अतिशयोक्ति अलंकार
- लिंग - स्त्रीलिंग
रूपक अलंकार
- ‘जब उपमान और उपमेय में अभिन्नता या अभेद दिखाया जाए’
- जैसे - मैया मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों में चन्द्रमा और खिलौने में समानता न दिखाकर चन्द्र को ही खिलौना बोल दिया गया है।