वात्सल्य रस MCQ Quiz in मल्याळम - Objective Question with Answer for वात्सल्य रस - സൗജന്യ PDF ഡൗൺലോഡ് ചെയ്യുക

Last updated on Mar 27, 2025

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Latest वात्सल्य रस MCQ Objective Questions

Top वात्सल्य रस MCQ Objective Questions

वात्सल्य रस Question 1:

रस का नाम बतांएः

"मनिमय कनक नन्द के आँगन बिम्ब पकरिबे धारव"

  1. वात्सल्य रस
  2. हास्य रस
  3. श्रंगार रस
  4. करुण रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : वात्सल्य रस

वात्सल्य रस Question 1 Detailed Solution

उपर्युक्त पंक्तियों में वात्सल्य रस हैं। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 1 ‘वातसल्य रस है।

  • "मनिमय कनक नन्द के आँगन बिम्ब पकरिबे धारव"

  • इन पंक्तियों में वात्सल्य रस है, कवि सूरदास जी कहते हैं कि श्री कृष्ण नन्द के आंगन में कन्हैया घुटुरुवन आता और बिम्ब पकड़ने के लिये दौड़ने लगता है। 

  • जहाँ शिशु के प्रति प्रेम, स्त्रेह, दुलार आदि का प्रमुखता से वर्णन किया जाता है वहाँ वात्सल्य रस होता है, इसका स्थायी भावं वात्सल हैं। सूरदास ने वात्सल्य रस का सुन्दर निरूपण किया हैं।

अन्य विकल्प - 

हास्य रस

जहाँ किसी व्यक्ति की विकृत (अटपटी) बाते वेश एवं बनावट, चेष्टा आदि का वर्णन हो जिसे सुनकर या देखकर हँसी उत्पन्न होती हैं, वहाँ हास्य रस होता हैं। 

शृंगार  रस

श्रृंगार रस का स्थायी भाव रति हैं। नर और नारी का प्रेम होकर श्रृंगार रस रूप मे परिणत होता हैं। इस रस मे नायक-नायिका के संयोग (मिलन) या वियोग (बिछुड़ने) की स्थिति का वर्णन होता हैं। 

करुण   रस

किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जागे शोक स्थायी भाव का विभावादि से पुष्ट होने पर करूण रस परिपाक होता हैं।

रस 

रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।

 

वात्सल्य रस Question 2:

मैया मैं तो चंद्र खिलौना लेहों।
उपरोक्त पंक्ति में कौन सा रस है?

  1. श्रृंगार
  2. भक्ति
  3. करुण
  4. वात्सल्य

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : वात्सल्य

वात्सल्य रस Question 2 Detailed Solution

उपरोक्त विकल्पों में से दिए गए पंक्ति में वात्सल्य रस होता है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः विकल्प 4 वात्सल्य सही उत्तर है।
Key Points

उपरोक्त पंक्ति में जब राम चाँद को खिलौना समझ कर जड़ कर रहा था, तब उनके माता-पिता चाँद जैसे खिलौने को ला कर उसे देता है। यहाँ उनका वात्सल्य दिखाई देता है, इसलिए यहाँ वात्सल्य रस होता है।

Additional Information

वात्सल्य रस का सम्बन्ध छोटे बालक-बालिकाओं के प्रति माता-पिता एवं सगे-सम्बन्धियों का प्रेम एवं ममता के भाव से है।वात्सल्य रस का स्थायी भाव वत्सलता या स्नेह है।

 

अन्य विकल्प

रस

परिभाषा

श्रृंगार

जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से रति स्थायी भाव आस्वाद्य हो जाता है तो उसे श्रृंगार रस कहते हैं। श्रृंगार रस में सुखद और दुःखद दोनों प्रकार की अनुभूतियाँ होती है।

करुण

इष्ट वस्तु की हानि, अनिष्ट वस्तु का लाभ, प्रिय का चिरवियोग, अर्थ हानि, आदि से जहाँ शोकभाव की परिपुष्टि होती है, वहाँ करुण रस होता है। करुण रस का स्थायी भाव शोक है।

भक्ति

शांत रस जहाँ निर्वेद या वैराग्य की ओर ले जाता है वहीं भक्ति ईश्वर विषयक रति की ओर ले जाते हैं यही इसका स्थायी भाव भी है।

वात्सल्य रस Question 3:

जिन पंक्तियों को पढ़कर मन में ममता के भाव आए, तो वहाँ किस रस की निष्पत्ति होती है?

  1. श्रृंगार रस
  2. वीर रस
  3. वात्सल्य रस
  4. इनमें से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वात्सल्य रस

वात्सल्य रस Question 3 Detailed Solution

यहाँ ममता के भाव की चर्चा की गयी है और वह भाव वात्सल्य का भाव होता हैI अतः यहाँ वात्सल्य रस की निष्पत्ति होती हैI अन्य विकल्प असंगत हैंI

Key Points

  •  वात्सल्य रस अर्थात जहाँ माँ का बच्चे के प्रति प्यार और ममता का भाव उद्वेलित होता हैI
  • वात्सल्य रस का स्थायी भाव 'वत्सल' हैI

  •  काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।
  • रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनंद'I
  • रस  की संख्या नौ मानी गयी हैI

Additional Information

अन्य विकल्प :

शृंगार रस

(इसका स्थाई भाव रति (प्रेम) है)

जिस रस में नायक नायिका के प्रेम, मिलने, बिछुड़ने जैसी क्रियायों का वर्णन हो।
श्रंगार रस के दो भेद होते हैं :
संयोग श्रृंगार - जहाँ नायक-नायिका के मिलन का वर्णन होता है वहाँ सहयोग श्रृंगार होता है।
जैसे - बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय। कहां करें, भौंहनी हंसे, दैन कहै, नटि जाय।
वियोग श्रृंगार - जहां नायक-नायिका की वियोगावस्था (विरह) का वर्णन होता है वहां वियोग श्रृंगार होता है।
जैसे - निस दिन बरसत नैन हमारे। सदा रहत पावस ऋतु हम पे जबते स्याम सिधारे।

वीर रस

(स्थाई भाव उत्साह है)

उत्साह नामक स्थाई भाव जब विभावादी के संयोग से परिपक्व होकर रस रूप में परिणत हो।

जैसे - वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो। सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो। तुम कभी रूको नहीं, तुम कभी झुको नहीं

 

वात्सल्य रस Question 4:

नीचे दी गई काव्य पंक्ति में कौन सा रस है? 

‘जसोदा हरि पालनैं झुलावै।’

  1. भक्ति रस 
  2. शृंगार रस 
  3. वात्सल्य रस 
  4. करुण रस 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वात्सल्य रस 

वात्सल्य रस Question 4 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 ‘वात्सल्य’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 

  • ‘जसोदा हरि पालनैं झुलावै।’ में वात्सल्य रस है।
  • माता-पिता का संतान के प्रति जो स्नेह होता है, उसे 'वात्सल्य' कहते हैं, यही 'वात्सल्य' स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में संयुक्त होकर रस रूप में परिणत हो जाता है, तब 'वात्सल्य रस' कहलाता है।
  • इसका स्थायी भाव स्नेह होता है। 


अन्य विकल्प: 

  1. भक्ति रस - इसमें ईश्वर की अनुरक्ति और अनुराग का वर्णन होता है।
  2. शृंगार रस - इस रस में नायक- नायिका के मिलन की स्थिति का वर्णन होता है। इसके दो भेद हैं- संयोग और वियोग 
  3. करुण रस - किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं। 


काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

 

रस

स्थायी भाव

1.

शृंगार रस

रति

2.

हास्य रस

हास

3.

करुण रस

शोक

4.

रौद्र रस

क्रोध

5.

वीर रस

उत्साह

6.

भयानक रस

भय

7.

वीभत्स रस

जुगुप्सा

8.

अद्भुत रस

विस्मय

9.

शांत रस

निर्वेद


इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-

10.

वात्सल्य

स्नेह

11.

भक्ति

वैराग्य

वात्सल्य रस Question 5:

सही विकल्प चुनेंः

______ का स्थायी भाव है, माता-पिता का अपने पुत्रादि पर नैसर्गिक स्नेह।

  1. वात्सल्य रस
  2. हास्य रस
  3. श्रृंगार रस
  4. वीर रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : वात्सल्य रस

वात्सल्य रस Question 5 Detailed Solution

वात्सल्य रस

का स्थायी भाव है, माता-पिता का अपने पुत्रादि पर नैसर्गिक स्नेह। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 1 वात्सल्य रस है।

  • वात्सल्य रस का सम्बन्ध छोटे बालक-बालिकाओं के प्रति माता-पिता एवं सगे-सम्बन्धियों का प्रेम एवं ममता के भाव से है।

  • हिन्दी कवियों में सूरदास ने वात्सल्य रस को पूर्ण प्रतिष्ठा दी है। तुलसीदास की विभिन्न कृतियों के बालकाण्ड में वात्सल्य रस की सुन्दर व्यंजना द्रष्टव्य है।
  • वात्सल्य रस का स्थायी भाव वत्सलता या स्नेह है।
  • उदाहरण-
  • “किलकत कान्ह घुटुरुवनि आवत।

    मनिमय कनक नन्द के आँगन बिम्ब पकरिबे धावत।

    कबहुँ निरखि हरि आप छाँह को कर सो पकरन चाहत।

    किलकि हँसत राजत द्वै दतियाँ पुनि पुनि तिहि अवगाहत।।”

अन्य विकल्प - 

हास्य  रस

किसी असाधारण व्यक्ति की असाधारण आकृति, विचित्र वेशभूषा, अनोखी बातें सुनने या देखने से मन मे उत्पन्न स्थायी भाव को 'हास' कहते है और जब हास स्थायी भाव का संयोग विभाव, अनुभाव एवं संचारी भाव से होता है, तो हास्य रस की उत्पत्ति होती है।

वीर रस

युद्ध अथवा किसी कठिन कार्य को करने के लिए हृदय में निहित ‘उत्साह’ स्थायी भाव के जाग्रत होने के प्रभावस्वरूप जो भाव उत्पन्न होता है, उसे वीर रस कहा जाता है।

शृंगार रस 

जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से रति स्थायी भाव आस्वाद्य हो जाता है तो उसे श्रृंगार रस कहते हैं। इसके दो भेद किए गए हैं-संयोग शृंगार और वियोग श्रृंगार।

रस 

रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।

 

वात्सल्य रस Question 6:

'शोभित कर नवनीत लिए घुटरूनी चलत रेनु तन मण्डित मुख दधि लेप किए ।' इन पंक्तियों में कौन सा रस है ?

  1. श्रृंगार
  2. हास्य
  3. करुण रस
  4. वात्सल्य रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : वात्सल्य रस

वात्सल्य रस Question 6 Detailed Solution

उपर्युक्त सुललित, सुसंगठित, पद्य पंक्ति 'शोभित कर नवनीत लिए घुटरूनी चलत रेनु तन मण्डित मुख दधि लेप किए।' इन पंक्तियों में  वात्सल्य रस है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही विकल्प वात्सल्य रस है।

स्पष्टीकरण

वात्सल्य रस की परिभाषा अनुसार — माता-पिता का संतान के प्रति जो स्नेह होता है, उसे 'वात्सल्य' कहते हैं, यही 'वात्सल्य' स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में संयुक्त होकर रस रूप में परिणत हो जाता है, तब 'वात्सल्य रस' कहलाता है।

अन्य विकल्प :-

रस

परिभाषा

उदाहरण

करुण रस

इसका स्थायी भाव शोक होता है इस रस में किसी अपने का विनाश या अपने का वियोग, द्रव्यनाश एवं प्रेमी से सदैव विछुड़ जाने या दूर चले जाने से जो दुःख या वेदना उत्पन्न होती है उसे करुण रस कहते हैं। यधपि वियोग श्रंगार रस में भी दुःख का अनुभव होता है लेकिन वहाँ पर दूर जाने वाले से पुनः मिलन कि आशा बंधी रहती है।

मणि खोये भुजंग-सी जननी,

फन-सा पटक रही थी शीश,

अन्धी आज बनाकर मुझको,

क्या न्याय किया तुमने जगदीश ?

श्रृंगार रस

श्रृंगार रस में नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस के अवस्था में पहुंच जाता है तो वह श्रृंगार रस कहलाता है। इसके अंतर्गत वसंत ऋतु, सौंदर्य, प्रकृति, सुंदर वन, पक्षियों श्रृंगार रस के अंतर्गत नायिकालंकार ऋतु तथा प्रकृति का वर्णन भी किया जाता है।

“मेरे तो गिरधर गोपाल दुसरो न कोई

जाके तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोईl”

हास्य रस

जहाँ पर किसी विचित्र स्थितियों या परिस्थितियों के कारण हास्य की उत्पत्ति होती है उसे हास्य रस कहा जाता है । इसका स्थायी भाव हास होता हैं । इसके अन्तर्गत वाणी वेशभूषा, आदि की विकृति को देखकर मन में जो विनोद का भाव उत्पन्न होता है उससे हास की उत्पत्ति होती है, इसे ही हास्य रस कहा जाता है

विंध्य के वासी उदासी, तपोव्रत धारी महा बिनु नारि दुखारे, गौतमतीय तरी तुलसी सो कथा सुनि भे मुनिवृन्द सुखारे।

वात्सल्य रस Question 7:

मैया कबहु बढ़ेगी चोटी

कित्ति बार मोहे दूध पिवाती भई अजहुँ हे छोटी।।

उपरोक्त पंक्तियों में कौन सा रस है?

  1. भक्ति
  2. वात्सल्य
  3. शांत
  4. अद्भुत

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : वात्सल्य

वात्सल्य रस Question 7 Detailed Solution

उपरोक्त विकल्पों में से दिए गए पंक्तियों में वात्सल्य रस होता है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः विकल्प 2 वात्सल्य सही उत्तर है।

Important Points

उपरोक्त पंक्तियों में श्रीकृष्ण अपनी माँ से पूछते है कि दूध पिलाने पर भी मेरी बाल क्यों नहीं बढ़ते है, इस प्रकार के भाव में वात्सल्य रस दिखाई देता है।


Key Points

वात्सल्य रस का सम्बन्ध छोटे बालक-बालिकाओं के प्रति माता-पिता एवं सगे-सम्बन्धियों का प्रेम एवं ममता के भाव से है। वात्सल्य रस का स्थायी भाव वत्सलता या स्नेह है।

 

अन्य विकल्प

रस

परिभाषा

भक्ति

शांत रस जहाँ निर्वेद या वैराग्य की ओर ले जाता है वहीं भक्ति ईश्वर विषयक रति की ओर ले जाते हैं यही इसका स्थायी भाव भी है।

शांत

संसार और जीवन की नश्वरता का बोध होने से चित्त में एक प्रकार का विराग उत्पन्न होता है परिणामतः मनुष्य भौतिक तथा लौकिक वस्तुओं के प्रति उदासीन हो जाता है, इसी को निर्वेद कहते हैं। जो विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से पुष्ट होकर शांत रस में परिणत हो जाता है।

अद्भुत

अलौकिक, आश्चर्यजनक दृश्य या वस्तु को देखकर सहसा विश्वास नहीं होता और मन में स्थायी भाव विस्मय  उत्पन्न होता हैं। यही विस्मय जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में पुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है, तो अद्भुत रस उत्पन्न होता है।

वात्सल्य रस Question 8:

किलकत कान्हा घुटुरुवनि आवत।

मनिमय कनक नन्द के ऑगन बिम्ब पकरिबे धावत। - में निम्न में से कौन सा रस है?

  1. भक्ति रस
  2. अद्भूत रस
  3. वात्सल्य रस
  4. शांत रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वात्सल्य रस

वात्सल्य रस Question 8 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में से ‘किलकत कान्हा घुटुरुवनि आवत। मनिमय कनक नन्द के ऑगन बिम्ब पकरिबे धावत।‘ इन पंक्तियों में वात्सल्य रस है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही विकल्प वात्सल्य रस है।

विवरण

वात्सल्य रस : जहाँ शिशु के प्रति प्रेम, स्त्रेह, दुलार आदि का प्रमुखता से वर्णन किया जाता है वहाँ वात्सल्य रस होता है, इसका स्थायी भाव वात्सल हैं। ‘किलकत कान्हा घुटुरुवनि आवत।मनिमय कनक नन्द के ऑगन बिम्ब पकरिबे धावत।‘ इन पंक्तियों में श्री कृष्ण अपनी परछाई को पकड़ने की चेष्टा करते हैं। ऐसी अवस्था को देखने के लिए यशोदा कृष्ण को बार बार बुलाती है। इसलिए यहाँ वात्सल्य दिखाई पड़ता है।

अन्य विकल्प

रस

परिभाषा

उदाहरण

भक्ति

भक्ति रस शान्त रस से भिन्न है। शान्त रस जहाँ निर्वेद या वैराग्य की ओर ले जाता है वहीं भक्ति ईश्वर विषयक रति की ओर ले जाते हैं यही इसका स्थायी भाव भी है। भक्ति रस के पाँच भेद हैं- शान्त, प्रीति, प्रेम, वत्सल और मधुर। ईश्वर के प्रति भक्ति भावना स्थायी रूप में मानव संस्कार में प्रतिष्ठित है, इस दृष्टि से भी भक्ति रस मान्य है। इसका स्थायी भाव वैराग्य है।

जैसे - ''मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरों न कोई।
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।।

अद्भुत

अलौकिक, आश्चर्यजनक दृश्य या वस्तु को देखकर सहसा विश्वास नहीं होता और मन में स्थायी भाव विस्मय उत्पन्न होता हैं। यही विस्मय जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में पुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है, तो अद्भुत रस उत्पन्न होता है। इसका स्थायी भाव विश्वास है।

जैसे - आखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लखि मातु। चकित भई गद्गद् वचन, विकसित दृग पुलकातु।।

शांत

संसार और जीवन की नश्वरता का बोध होने से चित्त में एक प्रकार का विराग उत्पन्न होता है परिणामतः मनुष्य भौतिक तथा लौकिक वस्तुओं के प्रति उदासीन हो जाता है, इसी को निर्वेद कहते हैं। जो विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से पुष्ट होकर शान्त रस में परिणत हो जाता है। इसका स्थायी भाव निर्वेद है।

जैसे – ''सुत वनितादि जानि स्वारथरत न करु नेह सबही ते। अन्तहिं तोहि तजेंगे पामर! तू न तजै अबहिते।

वात्सल्य रस Question 9:

निम्न पंक्तियों में कौन सा रस प्रयुक्त हुआ है?

शोभित कर नवनीत लिए।           

घुटुरूनु चलत रेन तन मंडित मुख दधि लेप किये।

  1. वात्सल्य रस
  2. शांत रस
  3. वीर रस
  4. श्रृंगार रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : वात्सल्य रस

वात्सल्य रस Question 9 Detailed Solution

उक्त पंक्ति में कृष्ण के बाल्यावस्था का उल्लेख कर प्रेम व्यक्त किया गया है। अतः सही विकल्प ‘वात्सल्य रस’ है।

अन्य विकल्प - 

‘वात्सल्य रस’ अर्थात ‘जिस भाव में प्रेम व ममता हो’,

‘शांत रस’ अर्थात ‘जहाँ उदासीनता का भाव हो’,

‘वीर रस’ अर्थात ‘जिस रस में उत्साह या वीरता का भाव हो’

‘श्रृंगार रस’ अर्थात ‘जिस रस में नायक नायिका के प्रेम, मिलने बिछुड़ने जैसी क्रियायों का वर्णन हो’। 

वात्सल्य रस Question 10:

वरदन्त कि पंगत कुंद कली, अधराधर पल्लव खोलन की।

चपला चमके घन बीच जर्ग, छवि मोतिन माल अमोलन की - में निम्न में से कौन सा रस है?

  1. भक्ति रस
  2. वात्सल्य रस
  3. श्रृंगार रस
  4. शांत रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : वात्सल्य रस

वात्सल्य रस Question 10 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में से वरदन्त कि पंगत कुंद कली, अधराधर पल्लव खोलन की, चपला चमके घन बीच जर्ग, छवि मोतिन माल अमोलन की इन पंक्तियों में वात्सल्य रसहै। अन्य विकल्प असंगत है। अतः  सही विकल्प वात्सल्य रस है।

अर्थ- 

अच्छे दाँतों की पाँति कुन्दकली सी है और ओठों के खालने से ऐसा प्रतीत होता है मानों बादलों के बीच में बिजली चमकती है, अथवा, अधर खोलने से दाँत कुंदकली से दिखाई देते हैं और अमूल्य मोतियों की माला ऐसी सुन्दर है मानों बादल के बीच में बिजली चमकती है।

विवरण

वात्सल्य रस : इसका स्थायी भाव वात्सल्यता (अनुराग) होता है। माता के प्रति पुत्र पर प्रेम, बड़ों का बच्चों के प्रति प्रेम, ऐसे प्रेम को स्नेह भाव कहलाता है। यही स्नेह भाव परिपुष्ट होकर वात्सल्य रस बनता है।इन पंक्तियों में तुलसीदास बालक राम का वर्णन करते है, इसलिए यहाँ पर वात्सल्य रस होता है।

अन्य विकल्प

रस

परिभाषा

भक्ति रस

इसका स्थायी भाव देव रति है। इस रस से ईश्वर की अनुरक्ति और अनुराग का वर्णन होता है, अर्थात इस रस में ईश्वर की प्रति प्रेम का वर्णन किया जाता है।

जैसेअँसुवन जल सिंची-सिंची प्रेम-बेली बोई

मीरा की लगन लागी, होनी हो सो होई

श्रृंगार रस

नायक नायिका के सौन्दर्य प्रेम संबंधी वर्णन को श्रृंगार रस कहते है।इसका स्थायी भाव रति होता है।

जैसेबतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय।

सौंह करै भौंहनी हँसै, दैन कहै नहि जाय।

शांत रस

संसार और जीवन की नश्वरता का बोध होने से चित्त में एक प्रकार का विराग उत्पन्न होता है परिणामतः मनुष्य भौतिक तथा लौकिक वस्तुओं के प्रति उदासीन हो जाता है, इसी को निर्वेद कहते हैं। जो विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से पुष्ट होकर शान्त रस में परिणत हो जाता है। इसका स्थायी भाव निर्वेद है।

जैसेजब मैं था तब हरि नाहीं, अब हरि है मैं नाहीं

सब अँधियारा मिट गया जब दीपक देख्या माहीं।

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