भारतीय साक्ष्य अधिनियम का निम्न में से कौनसा प्रावधान यह अनुमति देता है कि एक प्रकरण में लेखबद्ध की गई साक्ष्य को पश्चातवर्ती कार्यवाही में सुसंगत समझा जाएगा?

  1. धारा 32
  2. धारा 37
  3. धारा 38
  4. धारा 33

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : धारा 33

Detailed Solution

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सही उत्तर विकल्प 4 है। Key Points 

  • भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 33, पश्चातवर्ती कार्यवाही में, उसमें वर्णित तथ्यों की सत्यता साबित करने के लिए कुछ लेखबद्ध की गई साक्ष्यों की सुसंगतता से संबंधित है।
  • किसी न्यायिक कार्यवाही में या उसे लेने के लिए विधि द्वारा प्राधिकृत किसी व्यक्ति के समक्ष किसी साक्षी द्वारा दिया गया साक्ष्य, किसी पश्चातवर्ती न्यायिक कार्यवाही में या उसी न्यायिक कार्यवाही के किसी बाद के प्रक्रम में, उसके द्वारा अभिव्यक्त तथ्यों की सत्यता सिद्ध करने के प्रयोजन के लिए सुसंगत है, जब साक्षी की मृत्यु हो या उसे पाया नहीं जा सकता हो या वह साक्ष्य देने में असमर्थ हो या प्रतिपक्षी द्वारा उसे बीच में ही रोक रखा गया हो या यदि उसकी उपस्थिति ऐसे विलम्ब या व्यय के बिना प्राप्त नहीं की जा सकती हो, जिसे मामले की परिस्थितियों के अंतर्गत न्यायालय अनुचित समझे:
  • बशर्ते:
    • यह कि कार्यवाही उन्हीं पक्षकारों अथवा उनके हित प्रतिनिधियों के बीच थी ; कि प्रथम कार्यवाही में प्रतिकूल पक्षकार को जिरह करने का अधिकार और अवसर था;
    • कि विवाद्यक प्रश्न प्रथम कार्यवाही में भी मूलतः वही थे जो द्वितीय कार्यवाही में थे
  • स्पष्टीकरण.––इस धारा के अर्थ में आपराधिक विचारण या जांच अभियोजक और अभियुक्त के बीच कार्यवाही समझी जाएगी।

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