Comprehension

निम्नलिखित गद्यांश को सावधानी से पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

ईसा-पूर्व तीसरी शताब्दी में यूनानी विद्वान इरेटोस्थनीज़, भूगोल शब्द का प्रयोग करने वाले पहले व्यक्ति थे। लेकिन इससे बहुत पहले से ही मनुष्य भूगोल-सम्न्धी प्रश्नों का अन्वेषण करता रहा है। यूनानी भूगोलवेत्ताओं ने भूगोल-संबंधी लेखन का श्रेय होमर को दिया है, लेकिन प्राचीनतम ज्ञात मानचित्र सुमेराासियों ने लगभग ईसा पृर्व 2700 में ही बना लिया था ।

भूगोल के अध्ययन का प्रारम्भ मानवीय विद्वता के आरम्भ से ही हुआ है। बौद्धिक प्रगति का पहला महत्वपूर्ण काल, जो पाश्चात्य जगत की लिखित परम्परा का भाग प्राचीन यूनान में मिलता है, जो ईसा-पूर्व तीसरी तथा चौथी शताब्दी में पराकाष्ठा पर पहुंचा। यूनानियों ने कार्यप्रणालियां विकसित की, जिन्हें हम वैज्ञानिक विधियों के रूप में जानते हैं। जो लोग सिद्धान्त को मुख्य महत् का स्थान देना पसन्द करते हैं, वे प्रायः प्लेटो को सबसे अधिक उद्धृत करते हैं, जिसने निगमनात्मक पद्धति को विकसित किया। अरस्तू, जिसने आगमनात्मक पद्धति को विकसित किया, ने अवलोकित तथ्यों के सामान्यीकरण के रूप में अपनी अवधारणाओं को सूत्रबद्ध करने को वरीयता दी। अरस्तू ने सिद्धान्त से तार्किक निगमन करने के स्थान पर प्रत्यक्ष प्रेक्षण/अवलोकन करने के महत्व पर जोर दिया। प्राचीन यूनानी दार्शनिकों में, भौगालिक अध्ययन को लेकर दो मूल परम्पराएँ मिलती हैं । पहली परम्परा थेल्स से शुरु होने वाली गणितीय परम्परा है, जिसमें विषयों को सही स्थान पर अवस्थित करने वाले हिप्पार्कस सम्मिलित है और जिसका सार-संक्षेप टोलेमी ने किया। दूसरी परम्परा होमर से शुरू होने वाली साहित्यिक परम्परा है, जिसमें हैकेटियस आते हैं तथा जिसका सार-संक्षेप स्ट्राबो ने किया। मध्य-युग में पतन का एक लम्बाकाल आया, जब भौगोलिक ज्ञान के क्षितिज संकुचित हो गए और इसाई-मठ ज्ञान का केन्द्र बने । पन्द्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में अन्वेषण - युग प्रारम्भ हुआ जब भौगोलिक ज्ञान के क्षितिज को पुनः विस्तारित किया गया। यूरोप में इन सभी नए नवाचारों और पर्यवेक्षणों का आविर्भाव अत्यन्त प्रेरक या और इसने घटनाओं की ऐसी श्रृंखला को जन्म दिया, जिसकी निरन्तरता आज भी विद्यमान है। सबसे पहले तो धर्मग्रंथों के शाब्दिक-पाठ से उत्पन्न अवधारणाओं को चुनौती दी गई और अकादमिक स्वतंत्रता के सिद्धांतों को स्थापित करने का संघर्ष शुरु हुआ। सुयोग्य पेशेवर विद्वानों का यह अधिकार है कि वे प्रश्नों के उत्तर ढूंढें, अपने निष्कर्षों को प्रकाशित करें, और उनके विश्वास के अनुसार जो सत्य है वह सिखलाएँ और, ऐसा करते समय सिवाय उनके अपने पेशे में स्थापित विद्वत प्रक्रियाओं के मानदंडों के, अन्य किसी भी नियंत्रण से मुक्त रहें ।

स्थान निर्धारण की गणितीय परम्परा किससे सम्बन्धित है?

This question was previously asked in
UGC NET Paper 2: Geography 12 Oct 2022 Shift 2
View all UGC NET Papers >
  1. होमर
  2. स्ट्राब्रो
  3. हैकेटियस
  4. हिप्पार्कस 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : हिप्पार्कस 
Free
UGC NET Paper 1: Held on 21st August 2024 Shift 1
50 Qs. 100 Marks 60 Mins

Detailed Solution

Download Solution PDF

हिप्पार्कस स्थान निर्धारण की गणितीय परम्परा से सम्बन्धित है। 

गद्यांश के अनुसार,

हिप्पार्कस भौगोलिक अध्ययन की गणितीय परंपरा से संबंधित है। गणितीय परंपरा थेल्स से शुरू होती है, जिसमें हिप्पार्कस भी शामिल है जो विषय वस्तु का पता लगाने के लिए जाना जाता है और टॉलेमी द्वारा संक्षेपित किया गया है।

दूसरी ओर, साहित्यिक परंपरा होमर के साथ शुरू होती है, जिसमें हेकेटियस भी शामिल है, और स्ट्रैबो द्वारा संक्षेपित किया गया है।

Latest UGC NET Updates

Last updated on Jun 27, 2025

-> Check out the UGC NET Answer key 2025 for the exams conducted from 25th June.

-> The UGC Net Admit Card has been released on its official website today.

-> The UGC NET June 2025 exam will be conducted from 25th to 29th June 2025.

-> The UGC-NET exam takes place for 85 subjects, to determine the eligibility for 'Junior Research Fellowship’ and ‘Assistant Professor’ posts, as well as for PhD. admissions.

-> The exam is conducted bi-annually - in June and December cycles.

-> The exam comprises two papers - Paper I and Paper II. Paper I consists of 50 questions and Paper II consists of 100 questions. 

-> The candidates who are preparing for the exam can check the UGC NET Previous Year Papers and UGC NET Test Series to boost their preparations.

More Verbal Ability Questions

Hot Links: happy teen patti teen patti master plus teen patti real cash game yono teen patti