"हो भूख ! मत मचल
प्यास, तड़प मत हे 
हे नींद! मत सता 
क्रोध, मचा मत उथल-पुथल 
हे मोह! पाश अपने ढील"

आरोह भाग-1 के आधार पर इन पंक्तियों का मुख्य विषय क्या है? 

  1. सांसारिक बंधनों से मुक्ति 
  2. इंद्रियों पर नियंत्रण 
  3. सांसारिक सुखों का भोग 
  4. इंद्रियों के अनुरूप चलना 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : इंद्रियों पर नियंत्रण 

Detailed Solution

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आरोह भाग-1 के आधार पर इन पंक्तियों का मुख्य विषय है - इंद्रियों पर नियंत्रण 

  • प्रस्तुत पंक्ति पाठ्यपुस्तक आरोह भाग-1 में संकलित ‘वचन’ से उद्धृत है।
  • 'वचन' काव्य के 'हे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर' भाग से है 
  • जो शैव आंदोलन से जुड़ी कर्नाटक की प्रसिद्ध कवयित्री अक्क महादेवी द्वारा रचित है। 

Key Pointsहे भूख! मत मचल, हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर-

  • रचनाकार- अक्क महादेवी
  • विधा- कविता 

Important Pointsअक्क महादेवी- 

  • जन्म- 12वीं शताब्दी
  • अक्का महादेवी वीरशैव धर्म से सम्बंधित एक प्रसिद्ध महिला संत थीं।
  • इनके वचन कन्नड़ गद्य में भक्ति कविता में ऊंचा योगदान माने जाते हैं।
  • इनके आराध्य चन्नमल्लिकार्जुन देव अर्थात् शिव थे। 
  • मुख्य रचनाएँ-
    • वचन (सौरभ के नाम से)
    • अंग्रेजी में स्पीकिंग ऑफ शिवा (ए. के. रामानुजन)

Mistake Points

  • सांसारिक-
    • संसार संबंधी, लौकिक, ऐहिक।
  • इंद्रिय-
    • शरीर के ज्ञान एवं कर्म के साधन रूप अंग (जैसे- आँख, कान, नाक, त्वचा, जिह्वा, हाथ, पैर मुँह आदि)।
  • अनुरूप-
    • सदृश, समरूप, अनुसार, मुताबिक, अनुकूल। 

Additional Informationपंक्ति का भाव-

  • इसमें अक्क महादेवी इंद्रियों से आग्रह करती हैं। वे भूख से कहती हैं कि तू मचलकर मुझे मत सता।
  • सांसारिक प्यास को कहती हैं कि तू मन में और पाने की इच्छा मत जगा।
  • हे नींद ! तू मानव को सताना छोड़ दे, क्योंकि नींद से उत्पन्न आलस्य के कारण वह प्रभु-भक्ति को भूल जाता है।
  • हे क्रोध! तू उथल-पुथल मत मचा, क्योंकि तेरे कारण मनुष्य का विवेक नष्ट हो जाता है। 

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