राष्ट्रीय जलवायु भेद्यता आकलन रिपोर्ट के निष्कर्ष के बारे में जानें

Last Updated on Jul 31, 2023
National Climate Vulnerability Assessment Report: Key Findings and Significance अंग्रेजी में पढ़ें
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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय जलवायु भेद्यता आकलन रिपोर्ट 2019-20 17 अप्रैल, 2021 को सार्वजनिक डोमेन में आई। यह महत्वपूर्ण रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन पर दो महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मिशनों के तहत क्षमता निर्माण कार्यक्रम का एक हिस्सा है, अर्थात् हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय मिशन (NMSHE) और जलवायु परिवर्तन के लिए रणनीतिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन (NMSKCC)। इन मिशनों का समन्वय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के तहत जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम (CCP) द्वारा किया जाता है।

राष्ट्रीय जलवायु भेद्यता आकलन रिपोर्ट IAS परीक्षा के दृष्टिकोण से अत्यधिक प्रासंगिक विषय है। अभ्यर्थी आगामी परीक्षा में रिपोर्ट के निष्कर्षों, सर्वेक्षण विश्लेषण और पहलुओं पर आधारित प्रश्नों की अपेक्षा कर सकते हैं।

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अभ्यर्थी लिंक किए गए लेख में अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा प्रकाशित रिपोर्टों की विस्तृत सूची भी देख सकते हैं।

राष्ट्रीय जलवायु भेद्यता आकलन रिपोर्ट के बारे में

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने 'एक सामान्य ढांचे का उपयोग करते हुए भारत में अनुकूलन योजना के लिए जलवायु भेद्यता आकलन रिपोर्ट' शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में जलवायु जोखिम तथा संवेदनशीलता के प्रमुख कारणों के संदर्भ में भारत के सबसे संवेदनशील राज्यों और जिलों की पहचान की गई है। इसका उद्देश्य अनुकूलन निवेश को प्राथमिकता देना तथा अनुकूलन कार्यक्रमों का विकास एवं कार्यान्वयन करना है। मूल्यांकन में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक समान ढांचे का उपयोग किया जाता है, ताकि नीति और प्रशासनिक स्तरों पर सूचित निर्णय लेने के लिए उन्हें तुलनीय बनाया जा सके। मूल्यांकन के प्रमुख संकेतकों में गरीबी का स्तर, प्राकृतिक संसाधनों से आय का हिस्सा, भूमि स्वामित्व, महिला कार्यबल में भागीदारी और स्वास्थ्य सेवा कर्मी घनत्व शामिल हैं। यह रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के अंतर्गत क्षमता निर्माण कार्यक्रम का हिस्सा है।

 

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रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

झारखंड, मिजोरम, ओडिशा, छत्तीसगढ़, असम, बिहार, अरुणाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल को जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील माना गया है।  असम, बिहार और झारखंड के 60% से अधिक जिले अत्यधिक संवेदनशील श्रेणी में हैं। भारत के सभी जिलों में संवेदनशीलता स्कोर एक छोटी सी सीमा में है। यह दर्शाता है कि सभी जिले और राज्य वर्तमान जलवायु जोखिमों के प्रति कुछ हद तक संवेदनशील हैं।

निष्कर्षों का महत्व

इन आकलनों का उपयोग पेरिस समझौते के अंतर्गत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) पर भारत की रिपोर्टिंग के लिए किया जा सकता है। वे जलवायु परिवर्तन पर भारत की राष्ट्रीय कार्य योजना का समर्थन करते हैं। वे लक्षित जलवायु परिवर्तन परियोजनाओं के विकास में योगदान देते हैं। इन निष्कर्षों से जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजनाओं के क्रियान्वयन तथा जलवायु निधि के लिए अनुकूलन परियोजनाएं विकसित करने में मदद मिलेगी। यह रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन अनुकूलन परियोजनाओं के बेहतर डिजाइन को सुगम बनाकर जलवायु-संवेदनशील समुदायों को लाभान्वित करती है।

हमें उम्मीद है कि इस लेख को पढ़ने के बाद इस विषय से संबंधित आपकी सभी शंकाएँ दूर हो गई होंगी। टेस्टबुक ऐप के साथ अपनी यूपीएससी तैयारी में सफलता पाएँ!

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राष्ट्रीय जलवायु भेद्यता आकलन रिपोर्ट- FAQs

यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा जारी एक रिपोर्ट है जो जलवायु परिवर्तन के संबंध में भारत में संवेदनशील राज्यों और जिलों की पहचान करती है।

रिपोर्ट में भारत में अत्यधिक संवेदनशील राज्यों और जिलों के साथ-साथ निम्न-मध्यम और कम संवेदनशील राज्यों की भी पहचान की गई है।

यह रिपोर्ट अनुकूलन निवेश तथा अनुकूलन कार्यक्रमों के विकास एवं कार्यान्वयन को प्राथमिकता देने में मदद करती है।

ये निष्कर्ष जलवायु प्रतिबद्धताओं पर भारत की रिपोर्टिंग का समर्थन करते हैं, जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय और राज्य कार्य योजनाओं में योगदान करते हैं, तथा लक्षित परियोजनाओं के विकास में सहायता करते हैं।

यह रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन के लिए बेहतर रूप से अनुकूलित परियोजनाओं के डिजाइन और कार्यान्वयन में मदद करती है, जिससे कमजोर समुदायों को सीधे लाभ मिलता है।

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