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शिमला समझौता 1972: पाकिस्तान द्वारा निलंबन के प्रावधान और कारण
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यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के लिए विषय |
भारत-पाकिस्तान युद्ध , नियंत्रण रेखा (एलओसी) |
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए विषय |
भारत की विदेश नीति , भारत और उसके पड़ोसी संबंध , भारत-पाकिस्तान संबंध |
शिमला समझौता क्या है? | Shimla Samjhauta Kya Hai?
शिमला समझौता (Shimla Agreement in Hindi) जुलाई 1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित एक द्विपक्षीय संधि है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच शांति को बढ़ावा देना और संबंधों को सामान्य बनाना है। यह 1971 के युद्ध और उसके बाद बांग्लादेश के निर्माण की प्रतिक्रिया थी। इस समझौते में शांतिपूर्ण तरीकों से संघर्षों के समाधान पर जोर दिया गया और पिछली युद्ध विराम रेखा के स्थान पर जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) बनाई गई। इसने दोनों देशों को एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के लिए भी बाध्य किया। इस समझौते ने भविष्य के कूटनीतिक जुड़ावों के लिए आधारशिला रखी और यह भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक संबंधों में आधारशिला रहा है।
शिमला समझौता यूपीएससी के लिए मुख्य बिंदु |
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हस्ताक्षर की तारीख |
2 जुलाई, 1972 |
स्थान |
शिमला, हिमाचल प्रदेश, भारत |
शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किसके बीच हुए? |
भारत और पाकिस्तान |
भारतीय हस्ताक्षरकर्ता |
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी |
पाकिस्तानी हस्ताक्षरकर्ता |
राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो |
मुख्य संदर्भ |
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद की स्थिति |
उद्देश्य |
विवादों का शांतिपूर्ण समाधान |
प्रावधान |
युद्ध विराम रेखा को नियंत्रण रेखा (एलओसी) में परिवर्तित करना |
समझौते की प्रकृति |
द्विपक्षीय - तीसरे पक्ष की भागीदारी को छोड़कर |
युद्ध बंदी धारा |
90,000 पाकिस्तानी युद्धबंदियों का प्रत्यावर्तन |
कश्मीर खंड |
विवादों का द्विपक्षीय समाधान किया जाएगा |
अनाक्रमण धारा |
बल का प्रयोग या बल की धमकी न दें |
प्रचार खण्ड |
शत्रुतापूर्ण प्रचार की रोकथाम |
हालिया अपडेट (2025) |
कूटनीतिक तनाव के बाद पाकिस्तान द्वारा निलंबित |
शिमला समझौते पर नवीनतम समाचार | Latest News on the Shimla Agreement in Hindi
एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, पाकिस्तान ने 1972 के शिमला समझौते को स्थगित करने की घोषणा की है । 24 अप्रैल, 2025 को उठाया गया यह कदम, जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले पर भारत की जोरदार प्रतिक्रिया के प्रतिशोध के रूप में लिया जा रहा है। भारत ने पहले सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया था और पाकिस्तान के खिलाफ अन्य कूटनीतिक उपाय शुरू किए थे।
- पाकिस्तान का कहना है कि शिमला समझौते को स्थगित करना भारत द्वारा पाकिस्तान के भीतर आतंकवाद को कथित समर्थन, अंतरराष्ट्रीय हत्याओं तथा कश्मीर पर अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का पालन न करने के जवाब में है।
- इस समझौते के निलंबन से भारत-पाकिस्तान संबंधों में तीव्र गिरावट का संकेत मिलता है। 1971 के युद्ध के बाद हस्ताक्षरित शिमला समझौता द्विपक्षीय बातचीत और शांतिपूर्ण तरीकों से संघर्षों के समाधान का एक स्तंभ था। इसके निलंबन से इस द्विपक्षीय प्रतिमान से संभावित रूप से दूर जाने का संकेत मिलता है।
- विश्लेषकों का सुझाव है कि पाकिस्तान की कार्रवाई नियंत्रण रेखा (एलओसी) की पवित्रता को अमान्य कर सकती है, जो शिमला समझौते का एक प्रमुख परिणाम था।
- निलंबन के साथ ही, पाकिस्तान ने कथित तौर पर वाघा सीमा को भी बंद कर दिया है, जिससे सीमा पार यातायात रुक गया है।
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शिमला समझौते की पृष्ठभूमि (1972)
शिमला समझौते (Shimla Agreement in Hindi) की पृष्ठभूमि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में निहित है, जिसके परिणामस्वरूप भारत को निर्णायक जीत मिली और बांग्लादेश का निर्माण हुआ। युद्ध के बाद, मानवीय संकट को हल करना आवश्यक था, जैसे कि नागरिकों और युद्धबंदियों को वापस लाना। दोनों देशों ने शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और लंबित मुद्दों, विशेष रूप से कश्मीर क्षेत्र के संबंध में, के समाधान के लिए एक तंत्र बनाने की आवश्यकता भी देखी। इन समस्याओं को सुलझाने और बातचीत और कूटनीति के माध्यम से भविष्य के विवादों को रोकने के लिए शिमला समझौते पर बातचीत की गई थी।
पाकिस्तान के साथ शिमला समझौते के उद्देश्य
शिमला समझौता (Shimla Samjhauta) के मुख्य लक्ष्य थे:
- दोनों देशों ने मतभेदों को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने तथा तीसरे पक्ष की कार्रवाई के बिना द्विपक्षीय वार्ता का समर्थन करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
- इस समझौते ने जम्मू और कश्मीर में मौजूदा युद्धविराम रेखा को नियंत्रण रेखा में औपचारिक रूप दिया तथा नियंत्रण क्षेत्रों को चिन्हित किया।
- इसका उद्देश्य भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को बहाल करना था।
- दोनों देशों ने विवादों को सुलझाने में बल प्रयोग या बल की धमकी से परहेज करने की प्रतिज्ञा की।
- इस समझौते ने एक दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने की आवश्यकता पर बल दिया।
- दोनों राष्ट्र एक दूसरे के विरुद्ध शत्रुतापूर्ण दुष्प्रचार रोकने पर सहमत हुए।
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शिमला समझौते के प्रमुख प्रावधान (1972)
शिमला समझौता (Shimla Samjhauta) में कई प्रमुख प्रावधान रेखांकित किये गये:
- द्विपक्षीय दृष्टिकोण : भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मुद्दों को तीसरे पक्ष की भागीदारी के बिना, द्विपक्षीय रूप से सुलझाया जाना था।
- नियंत्रण रेखा (एलओसी) : मौजूदा युद्ध विराम रेखा को एलओसी में परिवर्तित कर दिया गया तथा दोनों पक्षों ने इसमें एकतरफा परिवर्तन न करने पर सहमति व्यक्त की।
- युद्धबंदी : दोनों राष्ट्र युद्धबंदियों और नागरिक नजरबंदियों का आदान-प्रदान करने पर सहमत हुए।
- बल का प्रयोग न करना : इस समझौते में विवादों के निपटारे में बल के प्रयोग या बल की धमकी के त्याग पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- संप्रभुता का सम्मान : दोनों देश एक-दूसरे की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और राजनीतिक स्वतंत्रता का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
- शत्रुतापूर्ण प्रचार की रोकथाम : समझौते में एक दूसरे के विरुद्ध शत्रुतापूर्ण प्रचार को रोकने के लिए कदम उठाने की मांग की गई।
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पाकिस्तान के साथ शिमला समझौते का महत्व
शिमला समझौता (Shimla Agreement in Hindi) कई कारणों से बहुत महत्वपूर्ण है:
- इसने पाकिस्तान और भारत के बीच संघर्ष समाधान और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए एक रूपरेखा प्रदान की।
- इस संधि ने 1971 के युद्ध के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों को स्थिर किया।
- नियंत्रण रेखा बनाकर और बल प्रयोग न करने के नियम का पालन करके वह और अधिक सैन्य वृद्धि से बचना चाहता था।
- इस समझौते ने राजनयिक संबंधों और आदान-प्रदान की अनुमति दी, जिससे आने वाले वर्षों में तनाव कम करने में मदद मिली। इसने बाद के शिखर सम्मेलनों और वार्ताओं जैसे लाहौर घोषणा (1999) और आगरा शिखर सम्मेलन (2001) के लिए एक राजनयिक आधार के रूप में कार्य किया।
- भारत ने शिमला समझौते का उपयोग अक्सर यह रेखांकित करने के लिए किया है कि कश्मीर पर सभी वार्ताएं द्विपक्षीय होनी चाहिए और कोई तीसरा पक्ष (जैसे संयुक्त राष्ट्र या अन्य देश) इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता। भारत की यह लगातार कूटनीतिक स्थिति रही है।
- इस समझौते को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा भारत और पाकिस्तान द्वारा अपने मुद्दों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए एक परिपक्व कूटनीतिक कदम के रूप में मान्यता दी गई, विशेष रूप से बड़े पैमाने पर युद्ध के बाद।
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भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौते की आलोचनाएँ
यद्यपि शिमला समझौते को उस समय एक कूटनीतिक जीत के रूप में देखा गया था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इसे कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है:
- समझौते के बाद भी भारत और पाकिस्तान ने युद्ध लड़े हैं (जैसे 1999 में कारगिल युद्ध) और सीमा पर झड़पें जारी हैं। आलोचकों का कहना है कि समझौता स्थायी शांति सुनिश्चित करने में विफल रहा।
- समझौते के कुछ हिस्सों को अस्पष्ट रूप से लिखा गया था, खासकर कश्मीर जैसे विवादों को कैसे और कब हल किया जाए, इस बारे में। इसके कारण दोनों देशों ने अलग-अलग व्याख्याएँ कीं।
- भारत ने बार-बार कहा है कि पाकिस्तान ने समझौते की शर्तों का सम्मान नहीं किया है, विशेषकर कश्मीर में आतंकवाद और हिंसा को बढ़ावा देने तथा नियंत्रण रेखा का सम्मान न करने में।
- दोनों देशों ने एक-दूसरे पर सरकारी मीडिया और भाषणों के माध्यम से शत्रुतापूर्ण प्रचार जारी रखने का आरोप लगाया है।
- हाल की घटनाओं (जैसे पाकिस्तान द्वारा अप्रैल 2025 में शिमला समझौते को निलंबित करना) से पता चलता है कि यह समझौता कुछ राजनीतिक हलकों में प्रासंगिकता खो चुका है, जिससे इसके दीर्घकालिक प्रभाव के बारे में चिंताएं बढ़ रही हैं।
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भारत-पाकिस्तान युद्ध (1971)भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 का युद्ध दक्षिण एशिया में सबसे महत्वपूर्ण युद्धों में से एक था। यह 13 दिनों तक चला, जिससे यह इतिहास के सबसे छोटे पूर्ण पैमाने के युद्धों में से एक बन गया। यह युद्ध पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में पाकिस्तान की सैन्य कार्रवाई के बाद शुरू हुआ, जिससे मानवीय संकट पैदा हो गया। भारत ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों का समर्थन किया और युद्ध के बाद बांग्लादेश को एक स्वतंत्र देश के रूप में बनाया गया। भारत की जीत के कारण 90,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों को युद्ध बंदी बना लिया गया। इस परिणाम ने सीधे तौर पर शांति समझौते की आवश्यकता को जन्म दिया - और इसलिए शिमला समझौता हुआ। |
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शिमला समझौता यूपीएससी FAQs
शिमला समझौता किसके बीच हस्ताक्षरित हुआ था?
शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ था। इस पर भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तानी राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किए थे।
शिमला समझौता क्या है?
शिमला समझौता 1972 के शिमला समझौते का दूसरा नाम है। यह शांतिपूर्ण वार्ता के माध्यम से भारत और पाकिस्तान के बीच समस्याओं को हल करने पर केंद्रित था।
शिमला समझौता क्या है?
शिमला समझौता शिमला समझौते का ही दूसरा नाम है। इसने नियम तय किए कि 1971 के युद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान अपने संबंधों को कैसे संभालेंगे।
पाकिस्तान ने 2025 में शिमला समझौते को क्यों स्थगित कर दिया?
भारत द्वारा सिंधु जल संधि से हटने के बाद पाकिस्तान ने अप्रैल 2025 में शिमला समझौते को स्थगित कर दिया था। कश्मीर में आतंकी हमले के बाद ऐसा किया गया। पाकिस्तान ने दावा किया कि भारत की कार्रवाई ने समझौते के भरोसे को तोड़ दिया है।
क्या शिमला समझौता अभी भी वैध है?
हां, आधिकारिक तौर पर यह अभी भी मान्य है। लेकिन हाल की घटनाओं और बढ़ते तनाव ने इसकी महत्ता को कमज़ोर कर दिया है। दोनों देश अभी भी कूटनीतिक वार्ता के दौरान इसका उल्लेख करते हैं।
पाकिस्तान के साथ शिमला संधि क्या है?
शिमला संधि जुलाई 1972 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित एक शांति समझौता है। इस पर 1971 के युद्ध के बाद हस्ताक्षर किए गए थे और इसका उद्देश्य मुद्दों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाना और दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार करना था।