अवलोकन
टेस्ट सीरीज़
संपादकीय |
संपादकीय मुख्य न्यायाधीशों को लंबे कार्यकाल की आवश्यकता है 12 दिसंबर, 2024 को द हिंदू में प्रकाशित |
यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के लिए विषय |
भारतीय न्यायपालिका, भारतीय न्यायपालिका पर ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य , उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश, न्यायपालिका से संबंधित संवैधानिक प्रावधान |
यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए विषय |
विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्तियाँ, संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे और चुनौतियाँ , शक्तियों का हस्तांतरण, कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्यप्रणाली |
संदर्भ: सितंबर 2024 में भारत के आठ उच्च न्यायालयों के लिए मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई। इनमें से एक को छोड़कर बाकी सभी का कार्यकाल बहुत ही कम यानी 6 महीने से 15 महीने तक का है।
औपनिवेशिक काल के दौरान मद्रास उच्च न्यायालय में 85 वर्षों (1862-1947) में 11 मुख्य न्यायाधीश थे। इस प्रकार, ब्रिटिश शासन के दौरान प्रत्येक मुख्य न्यायाधीश ने लगभग आठ वर्ष सेवा की। इसके विपरीत, स्वतंत्रता के बाद की अवधि में, उसी उच्च न्यायालय में 65 वर्षों (1947-2012) में 24 मुख्य न्यायाधीश थे। परिणामस्वरूप, प्रत्येक मुख्य न्यायाधीश का औसत कार्यकाल लगभग 2.75 वर्ष रह गया।
भारत में उच्च न्यायालयों की सूची पर लेख पढ़ें!
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उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश निम्नलिखित भूमिकाएं और जिम्मेदारियां निभाते हैं:
उच्च न्यायालयों में नियुक्तियाँ और स्थानांतरण पर लेख पढ़ें!
मुख्य न्यायाधीशों के छोटे कार्यकाल से न्यायिक प्रशासन पर निम्नलिखित प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं:
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