सुभद्रा कुमारी चौहान : एक महान कवयित्री के बारे में जानें!

Last Updated on Aug 28, 2023
Download As PDF
IMPORTANT LINKS

सुभद्रा कुमारी चौहान (subhadra kumari chauhan ka jivan parichay in Hindi) एक प्रमुख हिंदी कवयित्री थीं जिनका जन्म 1904 में उत्तर प्रदेश के निम्बारा गाँव में हुआ था। उनकी कविताओं में देशभक्ति और वीरता की भावना स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रवादी आंदोलनों को समर्थन दिया और उनकी कविताओं के माध्यम से लोगों में स्वतंत्रता की भावना को बढ़ावा दिया। उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता "झांसी की रानी" लक्ष्मीबाई की वीरता और साहस को चित्रित करती है। उन्होंने अपने जीवन में विभिन्न विषयों पर कविताएं और कहानियाँ लिखीं। 1950 में, उनका अकस्मात निधन हुआ, जिसने हिंदी साहित्य जगत को बहुत आहत किया।

इस आर्टिकल में हम आपको सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय (subhadra kumari chauhan ka jivan parichay in Hindi), उनकी साहित्यिक रचनाएं, हिंदी साहित्य में उनके योगदान, आदि के बारे में बताएँगे।

सुभद्रा कुमारी चौहान के बारे में | About Subhadra Kumari Chauhan in Hindi

सुभद्रा कुमारी चौहान (About Subhadra Kumari Chauhan in Hindi) ने कवयित्री की भूमिका निभाते हुए हिंदी साहित्य की दुनिया में अपनी महत्त्वपूर्ण पहचान स्थापित की।

  • सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 16 अगस्त 1904 को प्रयागराज जिले (उत्तर प्रदेश) के निहालपुर गाँव में हुआ था। वह एक प्रसिद्ध भारतीय कवयित्री और स्वतंत्रता सेनानी हैं। 1921 में, सुभद्रा कुमारी चौहान और उनके पति महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए और 2 साल बाद जबलपुर में झंडा सत्याग्रह का नेतृत्व किया, जिसके दौरान पूरे शहर में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। सुभद्रा नागपुर में गिरफ्तारी देने वाली पहली महिला सत्याग्रही थीं और 1923 और 1942 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए उन्हें दो बार जेल भेजा गया था।
  • सुभद्रा ने हिंदी कविता में कई लोकप्रिय रचनाएँ लिखीं, उनकी सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में से एक, झाँसी की रानी, रानी लक्ष्मी बाई के जीवन का वर्णन करने वाली एक भावनात्मक कविता है। उनकी कविताएँ, वीरों का कैसा हो बसंत, राखी की चुनौती और विदा अत्यधिक देशभक्तिपूर्ण और प्रेरणादायक थीं। सुभद्रा का लेखन महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली कठिनाइयों पर केंद्रित था और अपने काम के माध्यम से उन्होंने देश की आजादी के लिए भी लड़ाई लड़ी। उनका कार्य महिलाओं द्वारा सामना किए जाने वाले लिंग और जातिगत भेदभाव के बारे में उनकी चिंता को दर्शाता है, एक ऐसा मुद्दा जो आज के समय में भी प्रासंगिक है। उन्होंने बच्चों की मनमोहक कविताएँ भी लिखीं।
  • फरवरी 1948 में सुभद्रा कुमारी चौहान का निधन हो गया। हिंदी साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका को आज भी याद किया जाता है।

इसके अलावा जयशंकर प्रसाद के जीवन के बारे में यहां जानें!

Get 5 Days SuperCoaching @ just

₹329 ₹329

Purchase Now

सुभद्रा कुमारी चौहान का समाज की ओर कदम

सुभद्रा कुमारी चौहान (About Subhadra Kumari Chauhan in Hindi)  का व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त करना शुरू हुआ जब उन्होंने वर्ष 1919 में "आर्य समाज" के विचारधारा के अनुसार संगठन के लिए काम करना शुरू किया। उनकी इस प्रगतिशील सोच ने उन्हें स्त्री अधिकारों के पक्ष में काम करने की प्रेरणा दी, और उन्होंने शिक्षा, स्वतंत्रता, और सामाजिक न्याय के लिए अपनी कविताएँ समर्पित की।

सुभद्रा कुमारी चौहान का समाज से गहरा सम्बंध था। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से समाजिक मुद्दों को उठाया और समाज में परिवर्तन की दिशा में कदम बढ़ाये।

उनकी कविताओं में अक्सर समाज के विभाजन, निर्वाचन, सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण और राष्ट्रीय एकता जैसे मुद्दों को छूने का प्रयास किया गया।

उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका को विशेष रूप से जोर दिया था। उनकी रचना "झांसी की रानी" में वे रानी लक्ष्मीबाई के साहस और दृढ़ता की कहानी को प्रस्तुत करती हैं।

सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएँ (subhadra kumari chauhan ki rachnayen in Hindi) भी समाज के विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास करती हैं, जिसमें गरीबी, अन्याय, और सामाजिक असमानता शामिल हैं। उनकी कविताएं समाज की जटिलताओं को समझने का एक महत्वपूर्ण साधन हैं।

सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपने साहित्य (Literature of Subhadra Kumari Chauhan in Hindi) के माध्यम से समाज को परिवर्तित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, और उनकी रचनाएं आज भी हमें समाज के बारे में सोचने और उसमें सुधार करने के लिए प्रेरित करती हैं।

इसके अलावा स्वामी विवेकानंद के अनमोल वचनों के बारे में यहां जानें!

स्वतंत्रता संग्राम के लिए आवाज़

1921 के आस-पास, सुभद्रा कुमारी चौहान ने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभानी शुरू की। उनकी विरासत और उनका काम स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक नवीनतम और प्रभावशाली माध्यम बन गया। उनकी कविताएँ राष्ट्रीय आंदोलनों के दौरान उत्तेजना और स्वतंत्रता की भावना को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताओं (subhadra kumari chauhan poems in Hindi) ने स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी कविताओं में राष्ट्रभावना, वीरता, और आत्मसमर्पण की भावना स्पष्ट रूप से जताई गई थी।

सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताओं (subhadra kumari chauhan poems) "झांसी की रानी" रानी लक्ष्मीबाई के प्रतिरोध की कहानी बताती है और लोगों को अन्याय के विरुद्ध लड़ने के लिए प्रेरित करती है। इस कविता के माध्यम से, उन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में महिलाओं की भूमिका को महत्त्वपूर्ण माना।

सुभद्रा कुमारी चौहान की अन्य कविताएं (subhadra kumari chauhan poems) भी देश की आजादी की मांग को बल देने में अहम थीं। उनकी शब्दावली और भावनाएं लोगों को जनतंत्र की मांग के लिए उत्साहित करती थीं। उनकी कविताएं ने लोगों की भावनाओं को शब्दों में धारण किया और स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्त्वपूर्ण योगदान प्रदान किया।

सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाएं | subhadra kumari chauhan rachnaye

  • सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपने जीवन में कई कविताएं और कहानियाँ लिखीं।
  • उनकी रचनाओं में 'वीरांगना', 'महादेवी', 'जाति का गौरव' और 'सिंहासन हिल उठे' जैसी कविताएं शामिल हैं। उनकी कविताएं राष्ट्रीय आंदोलन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं।
Test Series
350.3k Students
Bihar Police Constable (सिपाही) Mock Test Series 2025
348 TOTAL TESTS | 5 Free Tests
  • 4 🚨Ultimate Live Test
  • 10 Full Test
  • 5 Advanced Full Test
  • 3 Bouncer Test
  • 8 Memory Based PYP
  • 75 Sankalp (75 Day Challenge)
  • 28 Subject Test
  • 108 Chapter Test
  • 67 General Knowledge Booster
  • 40 Current Affairs Booster

Get Started

सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख कविताओं की पंक्तियाँ

सुभद्रा कुमारी चौहान की सबसे प्रमुख कविता "झांसी की रानी" है, जिसमें वे रानी लक्ष्मीबाई के बारे में लिखती हैं। यह कविता स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उत्तेजना और प्रेरणा पैदा करने वाली महत्त्वपूर्ण कृति थी। "क्षीर भवानी चली चलन लगीं, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थीं" - ये पंक्तियाँ आज भी लोगों को बहुत प्रभावित करती हैं।

सुभद्रा कुमारी चौहान को मिले पुरस्कार और सम्मान | Awards and honors received by Subhadra Kumari Chauhan
  • सुभद्रा कुमारी चौहान के साहित्यिक योगदान (Literary Contribution of Subhadra Kumari Chauhan in Hindi) को मान्यता प्राप्त हुई थी, लेकिन उनके जीवनकाल में वे किसी भी राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित नहीं हुईं। हालांकि, उनके निधन के बाद, उनके काव्य और साहित्य के योगदान को विभिन्न संस्थाओं और समाज से श्रद्धांजलि मिली।
  • आज भी, सुभद्रा कुमारी चौहान की याद उनकी प्रेरणादायक कविताओं के माध्यम से जीवित है, जो आज भी विद्यालयों, कॉलेजों और साहित्यिक संगोष्ठियों में पढ़ी और सुनाई जाती हैं। वे हिंदी साहित्य की एक अनमोल धरोहर हैं और उनके योगदान को आज भी सम्मानित किया जाता है।
  • 1950 में, उनका अकस्मात निधन हुआ, जिसने साहित्य जगत को बहुत आहत किया। उनकी मृत्यु के बावजूद, उनकी कविताएं आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं और उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के दौरान की यादें ताजा करती हैं।

इसके अलावा हिन्दी के प्रसिद्ध कवियों के बारे में जानें!

गूगल द्वारा सुभद्रा कुमारी चौहान का सम्मान | Subhadra Kumari Chauhan honored by Google
  • विभिन्न अवसरों पर, Google ने सुभद्रा कुमारी चौहान की याद में अपने लोगो को उनके नाम से समर्पित किया है, जिसे Google Doodle कहा जाता है। यह दर्शाता है कि उनकी योगदान को विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त हुई है।
  • Google ने सुभद्रा कुमारी चौहान की याद में उनके जन्मदिन पर एक Google Doodle प्रस्तुत किया था। Google Doodle एक विशेष तरह का ग्राफिक होता है जो Google के होमपेज पर दिखाया जाता है। इसका उद्देश्य विशेष व्यक्तियों, घटनाओं या विषयों को मनाना या याद करना होता है।
  • सुभद्रा कुमारी चौहान के योगदान और उनकी कविताओं के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रति उनके समर्पण को मान्यता देने के लिए Google ने यह कदम उठाया।
  • Google Doodle में सुभद्रा कुमारी चौहान को उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता "झांसी की रानी" लिखते हुए दिखाया गया था, जिसमें उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई की वीरता और साहस की कहानी सुंदरता के साथ बताई थी।
  • Google के इस कदम ने सुभद्रा कुमारी चौहान के साहित्यिक योगदान को दुनिया भर में और अधिक ज्ञात कराया और उनके काव्य को नई पीढ़ियों के बीच पहुंचाने में मदद की।

अनुशासन का महत्व क्या है? यहां जानें!

हमें उम्मीद है कि आप इस लेख से भद्रा कुमारी चौहान के जीवन परिचय (subhadra kumari chauhan ka jivan parichay in Hindi) के बारे में पर्याप्त जानकारी प्राप्त करने में सक्षम थे। ऐसे विषयों के बारे में अधिक जानकारी के लिए टेस्टबुक ऐप डाउनलोड करें।

More Articles for Articles in Hindi

सुभद्रा कुमारी चौहान पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 27 अगस्त, 1904 को उत्तर प्रदेश के निहालपुर गाँव में हुआ था।

सुभद्रा कुमारी चौहान की सबसे प्रसिद्ध कविता "झांसी की रानी" है, जिसमें उन्होंने रानी लक्ष्मीबाई की वीरता की कहानी सुंदरता से कही है।

सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताओं ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी कविताओं में देशभक्ति, वीरता, और स्वतंत्रता संग्राम की भावना स्पष्ट रूप से जताई गई थी।

सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपने जीवनकाल में 88 कविताएं लिखी थीं, जिसमें वीर रस, श्रृंगार रस, और भक्ति रस की कविताएं शामिल हैं।

सुभद्रा कुमारी चौहान का निधन 15 फरवरी, 1948 को हुआ था।

Report An Error