कालविभाजन और नामकरण MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for कालविभाजन और नामकरण - मोफत PDF डाउनलोड करा

Last updated on Mar 25, 2025

पाईये कालविभाजन और नामकरण उत्तरे आणि तपशीलवार उपायांसह एकाधिक निवड प्रश्न (MCQ क्विझ). हे मोफत डाउनलोड करा कालविभाजन और नामकरण एमसीक्यू क्विझ पीडीएफ आणि बँकिंग, एसएससी, रेल्वे, यूपीएससी, स्टेट पीएससी यासारख्या तुमच्या आगामी परीक्षांची तयारी करा.

Latest कालविभाजन और नामकरण MCQ Objective Questions

Top कालविभाजन और नामकरण MCQ Objective Questions

कालविभाजन और नामकरण Question 1:

गार्सा द तासी के इतिहास ग्रंथ 'द ला लितरेत्‍यूर ऐन्‍दुई ए ऐन्‍दुस्‍तानी' का दूसरा संस्‍करण कब प्रकाशित हुआ था ?

  1. 1848 ई
  2. 1868 ई
  3. 1871 ई
  4. 1888 ई

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : 1871 ई

कालविभाजन और नामकरण Question 1 Detailed Solution

  • गार्सा द तासी के इतिहास ग्रन्थ का दूसरा संस्करण 1871 ई. में प्रकाशित हुआ।
  • यह इतिहास ग्रन्थ दो भागों(पहला संस्करण :- 1839 ई. और 1847 ई.   में प्रकाशित हुए।

Key Points

  •  इसमें उर्दू और हिंदी के 738 कवियों का विवरण उनके अंग्रेज़ी वर्ण के क्रम से दिया गया था , केवल 72 कवि हिंदी से सम्बंधित थे।
  • यह फ्रेंच भाषा में लिखा गया था।

Important Points

  •  डॉ लक्ष्मीसागर वार्ष्णेय ने इस ग्रन्थ में वर्णित हिंदी रचनाकारों सम्बन्धी सामग्री का हिंदी अनुवाद 'हिन्दुई साहित्य का इतिहास' शीर्षक से 1952 ई. में प्रकाशित कराया।

कालविभाजन और नामकरण Question 2:

'कबीर के 'निर्गुण पंथ' का आधार भारतीय वेदांत और 'सूफियों का प्रेम तत्व' है |' यह विचार किसका है?

  1. रामचंद्र शुक्ल
  2. राहुल सांकृत्यायन
  3. हजारीप्रसाद द्विवेदी
  4. गोविन्द त्रिगुणायत

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : रामचंद्र शुक्ल

कालविभाजन और नामकरण Question 2 Detailed Solution

"कबीर के निर्गुण पंथ का आधार भारतीय वेदांत और सूफियों का प्रेमत्व है" उपर्युक्त कथन रामचंद्र शुक्ल जी का है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से रामचंद्र शुक्ल सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।

Key Points
  • कबीर दास
    • कबीर या भगत कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। 
    • वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में ज्ञानाश्रयी-निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे।
    • इनके पंथ का आधार भारतीय वेदांत और सूफियों का प्रेमत्व है
Additional Information
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (11 अक्टूबर, 1884ईस्वी- 2 फरवरी, 1941ईस्वी)
    • हिन्दी आलोचक, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे। 
    • हिन्दी में पाठ आधारित वैज्ञानिक आलोचना का सूत्रपात उन्हीं के द्वारा हुआ। 
    • हिन्दी निबन्ध के क्षेत्र में भी शुक्ल जी का महत्त्वपूर्ण योगदान है। 
    • भाव, मनोविकार सम्बंधित मनोविश्लेषणात्मक निबन्ध उनके प्रमुख हस्ताक्षर हैं।

कालविभाजन और नामकरण Question 3:

'द माडर्न वर्नाक्युलर लिट्रेचर ऑफ़ हिन्दुस्तान' इतिहास ग्रंथ में क्या स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है?

  1. इसमें हिन्दी उर्दू के अनेक कवियों का वर्णन है
  2. हिन्दी साहित्य के इतिहास को चार काल खण्डों में विभक्त किया है
  3. कवियों और लेखकों का कालक्रमानुसार वर्गीकरण करते हुए उनकी प्रवृत्तियों का उल्लेख है
  4. इसमें लगभग पाँच हजार कवियों को स्थान दिया है

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : कवियों और लेखकों का कालक्रमानुसार वर्गीकरण करते हुए उनकी प्रवृत्तियों का उल्लेख है

कालविभाजन और नामकरण Question 3 Detailed Solution

उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "कवियों और लेखकों का कालक्रम अनुसार वर्गीकरण करते हुए उनकी प्रवृत्तियों का उल्लेख है।" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।

Key Points
  • 'द माडर्न वर्नाक्युलर लिट्रेचर ऑफ़ हिन्दुस्तान' 1888 ई. में जॉर्ज ग्रियर्सन द्वारा लिखा गया हिंदी साहित्य के इतिहास की पुस्तक है।
  • यह हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन का तीसरा प्रयास था।
  • यह पुस्तक अंग्रेजी में लिखी गई थी।
  • इसमें पहली बार हिंदी साहित्य के काल विभाजन का प्रयास किया गया था।
  • इसमें हिंदी साहित्य के काल को दस अध्यायों में बाँटा गया था।
Additional Information
  • ग्रियर्सन ने अपने ग्रंथ में 952 कवियों को शामिल किया है।
  • हिंदी साहित्य के विकास क्रम का निर्धारण चारण काव्य धार्मिक काव्य, प्रेम काव्य, दरबारी काव्य के रूप में किया गया है।
  • ग्रियर्सन ने इसे सच्चे अर्थों में हिंदी साहित्य का पहला इतिहास ग्रंथ माना है।

कालविभाजन और नामकरण Question 4:

हिन्दी का प्रथम व्याकरण लिखने वाला विद्वान है:-

  1. किशोरीदास बाजपेयी
  2. कामताप्रसाद 
  3. केटलर
  4. ग्रियसन 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : केटलर

कालविभाजन और नामकरण Question 4 Detailed Solution

"हिंदी का प्रथम व्याकरण", "केटलर" ने लिखा है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (3) केटलर सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।

Key Points
  • केटलर ने पहला हिंदुस्तानी भाषा का व्याकरण ग्रंथ लिखा था।
  • यह उन्होंने डच भाषा में लिखा था।
Important Points
  • जान जेशुआ केटलेर (1659-1718) डच भाषी केटलेर व्यापार के लिए सूरत शहर में आए। 
  • भारत आने के बाद इन्होंने हिन्दी सीखी तथा अपने देश के लोगों के लिए डच भाषा में हिन्दुस्तानी भाषा का व्याकरण लिखा। 
  • इस डच मूल की नकल इसाक फान दर हूफ  नामक हॉलैण्डवासी ने सन् 1698 ईसवी में की। 
  • इसका अनुवाद दावीद मिल ने लैटिन भाषा में किया।
  • हॉलैण्ड के लाइडन नगर से लैटिन भाषा में सन् 1743 ईस्वी में यह पुस्तक प्रकाशित हुई। 
  • इस प्रकाशित पुस्तक की एक प्रति कोलकता की नेशनल लाईब्रेरी में उपलब्ध है।
  • इस व्याकरण का विवरण सर्वप्रथम डॉ॰ ग्रियर्सन ने प्रस्तुत किया ।
  • इन्होंने शाह आलम बहादुर शाह तथा जहाँदरशाह से डच प्रतिनिधि के रूप में मान्यता प्राप्त की थी।
Additional Information
  • आचार्य किशोरीदास वाजपेयी
    • चार्य किशोरीदास वाजपेयी (1898-1981) हिन्दी के साहित्यकार एवं सुप्रसिद्ध व्याकरणाचार्य थे। 
    • पंडित किशोरी दास वाजपेयी कृत "हिंदी शब्दानुशासन" भाषा विज्ञान से संबंधित हिंदी का व्याकरण है।
  • पंडित कामता प्रसाद
    • पंडित कामता प्रसाद गुरु को हिंदी व्याकरण का "पाणिनी" में कहा जाता है।
  • ग्रियर्सन के कार्य 
    • पद्मावती का संपादन (1902) महामहोपाध्याय सुधाकर द्विवेदी की सहकारिता में
    • बिहारीकृत सतसई (लल्लूलालकृत टीका सहित) का संपादन
    • नोट्स ऑन तुलसीदास
    • दि माडर्न वर्नाक्युलर लिटरेचर ऑव हिंदुस्तान (1889)

कालविभाजन और नामकरण Question 5:

किस विद्वान ने कहा था कि 'बुद्धदेव के बाद भारत में सबसे बड़े लोकनायक तुलसीदास थे'?

  1. कामिल बुल्के
  2. जॉर्ज ग्रियर्सन
  3. विलियम जोंस
  4. विलियम कैरी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : जॉर्ज ग्रियर्सन

कालविभाजन और नामकरण Question 5 Detailed Solution

  • सही उत्तर विकल्प 2 है।
  • ग्रियर्सन के अनुसार बुद्धदेव के बाद भारत में सबसे बड़े लोकनायक तुलसीदास थे।

Key Points
  • तुलसीदास - रामभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि
  • भक्तिभावना - दास्य भाव
  • दर्शन - विशिष्टाद्वैत

Important Points
  • तुलसी की भक्ति-भावना लोकमंगल से प्रेरित है।
  • रचनाएं -
  1. दोहावली
  2. कवितावली
  3. गीतावली
  4. रामचरित मानस
  5. रामाज्ञा प्रश्नावली
  6. विनय पत्रिका
  7. रामलला नवधू
  8. पार्वती मंगल
  9. बरवै रामायण आदि

Additional Information
  • नाभादास के अनुसार - ‘कलिकाल का वाल्मीकि’
  • स्मिथ के अनुसार - ‘मुगल काल का सबसे महान व्यक्ति’
  • रामविलास शर्मा के अनुसार - जातीय कवि
  • आ. शुक्ल के अनुसार - हिंदी काव्य की प्रौढता के युग का आरंभ

कालविभाजन और नामकरण Question 6:

'कबीर और तुलसी भाषा मे एक मिशन के तहत लिख रहे थे।' यह कथन किसका है ?

  1. रामचन्‍द्र शुक्‍ल
  2. हजारी प्रसाद द्विवेदी
  3. रामविलास शर्मा
  4. बच्‍चन सिंह

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : बच्‍चन सिंह

कालविभाजन और नामकरण Question 6 Detailed Solution

  • 'कबीर और तुलसी भाषा में एक मिशन की तहत लिख रहे थे यह कथन बच्चन सिंह का है।
  •  हिन्दी साहित्य में बच्चन सिंह की ख्याति सैद्धान्तिक लेखन के क्षेत्र में असंदिग्ध है।
  • कबीर और तुलसी भक्तिकाल के प्रमुख कवि हैं।

Key Points

  •  भाषा पर कबीर का ज़बरदस्त अधिकार था , वे वाणी के डिक्टेटर थे - हज़ारी प्रसाद द्विवेदी।
  • शुक्ल जी ने रामभक्ति में भक्ति का पूर्ण स्वरूप माना है। 

Important Points

  •  तुलसीदास को हिंदी का जातीय कवि माना जाता है।

कालविभाजन और नामकरण Question 7:

हिन्दी साहित्य का स्वर्णयुग किसे माना जाता है? 

  1. आदिकाल 
  2. भक्तिकाल 
  3. रीतिकाल 
  4. आधुनिक काल

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : भक्तिकाल 

कालविभाजन और नामकरण Question 7 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 भक्तिकालहै। अन्य विकल्प त्रुटिपूर्ण उत्तर होंगे।

Key Points

  • हिन्दी साहित्य का भक्ति काल 1375 वि0 से 1700 वि0 तक माना जाता है।
  • इस काल को श्याम सुंदर दास ने स्वर्णयुग कह कर संबोधित किया है।
  • यह काल प्रमुख रूप से भक्ति भावना से ओतप्रोत है।
  • इस काल को समृद्ध बनाने वाली दो काव्य-धाराएं हैं - 1.निर्गुण भक्तिधारा तथा 2.सगुण भक्तिधारा।
  • निर्गुण भक्तिधारा को आगे दो हिस्सों में बांटा गया है-

एक है संत काव्य जिसे ज्ञानाश्रयी शाखा के रूप में भी जाना जाता है, इस शाखा के प्रमुख कवि , कबीर, नानक, दादूदयाल, रैदास, मलूकदास, सुन्दरदास, धर्मदास आदि हैं।

निर्गुण भक्तिधारा का दूसरा हिस्सा सूफी काव्य का है

  • भक्तिकाल की दूसरी धारा को सगुण भक्ति धारा कहा जाता है।

Additional Information

  • आदिकाल- हिन्दी साहित्य के इतिहास में लगभग 8वीं शताब्दी से लेकर 14वीं शताब्दी के मध्य तक के काल को आदिकाल कहा जाता है।
  • इस युग को यह नाम डॉ॰ हजारी प्रसाद द्विवेदी से मिला है।
  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने 'वीरगाथा काल' तथा विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने इसे 'वीरकाल' नाम दिया है।
  • रीतिकाल- रीति का अर्थ है बना बनाया रास्ता या बंधी-बंधाई परिपाटी। इस काल को रीतिकाल कहा गया क्योंकि इस काल में अधिकांश कवियों ने श्रृंगार वर्णन, अलंकार प्रयोग, छंद बद्धता आदि के बंधे रास्ते की ही कविता की। हालांकि घनानंद, बोधा, ठाकुर, गोबिंद सिंह जैसे रीति-मुक्त कवियों ने अपनी रचना के विषय मुक्त रखे। इस काल को रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध और रीतिमुक्त तीन भागों में बांटा गया है।
  • आधुनिक काल- आधुनिक काल हिंदी साहित्य पिछली दो सदियों में विकास के अनेक पड़ावों से गुज़रा है। जिसमें गद्य तथा पद्य में अलग अलग विचार धाराओं का विकास हुआ। जहां काव्य में इसे छायावादी युग, प्रगतिवादी युग, प्रयोगवादी युग और यथार्थवादी युग इन चार नामों से जाना गया, वहीं गद्य में इसको, भारतेंदु युग, द्विवेदी युग, रामचंद‍ शुक्ल व प्रेमचंद युग तथा अद्यतन युग का नाम दिया गया।

कालविभाजन और नामकरण Question 8:

आधुनिक काल का नामकरण आचार्य शुक्ल ने क्या किया? 

  1. वर्तमान काल
  2. गद्य काल
  3. आधुनिक काल
  4. भारतेंदु काल 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : गद्य काल

कालविभाजन और नामकरण Question 8 Detailed Solution

आचार्य शुक्ल ने आधुनिक काल का नाम गद्य काल रखा है। अतः उक्त विकल्पों में से विकल्प (2) गद्य काल सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।

Key Points
  • इसको हिंदी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ युग माना जा सकता है, जिसमें पद्य के साथ-साथ गद्य, समालोचना, कहानी, नाटक व पत्रकारिता का भी विकास हुआ।

आधुनिक काल के प्रमुख रचनाकार निम्नलिखित हैं:-

 

समालोचक

उपन्यासकार

नाटककार

निबंध लेखक

आचार्य द्विवेदी जी

प्रेमचंद

प्रसाद

आचार्य द्विवेदी

पद्म सिंह शर्मा

प्रतापनारायण मिश्र

सेठ गोविंद दास,

माधव प्रसाद शुक्ल

विश्वनाथ प्रसाद मिश्र

प्रसाद

गोविंद वल्लभ पंत

रामचंद्र शुक्ल

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

उग्र

लक्ष्मीनारायण मिश्र

बाबू श्यामसुंदर दास

डॉ रामकुमार वर्मा

हृदयेश

उदयशंकर भट्ट

पद्म सिंह

श्यामसुंदर दास

जैनेंद्र

रामकुमार वर्मा

अध्यापक पूर्णसिंह

डॉ रामरतन भटनागर 

भगवतीचरण वर्मा

वृंदावन लाल वर्मा

गुरुदत्त

 

Additional Information
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (4 अक्टूबर, 1884ईस्वी- 2 फरवरी, 1941ईस्वी) 
  • हिन्दी आलोचक, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे।
  • आलोचनात्मक ग्रंथ : 
    • सूर
    • तुलसी
    • जायसी पर की गई आलोचनाएं
    • काव्य में रहस्यवाद
    • काव्य में अभिव्यंजनावाद
    • रसमीमांसा 

कालविभाजन और नामकरण Question 9:

'केवल 'प्रेम लक्षणा भक्ति' का आधार ग्रहण करने के कारण कृष्ण भक्ति शाखा में अश्लील विलासिता की प्रवृत्ति जाग्रत हुई |' - यह विचार किसका है ?

  1. जार्ज ग्रियर्सन
  2. मिश्र बंधु
  3. रामचंद्र शुक्ल
  4. रामकुमार वर्मा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : रामचंद्र शुक्ल

कालविभाजन और नामकरण Question 9 Detailed Solution

उपर्युक्त कथन रामचंद्र शुक्ल जी का है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प रामचंद्र शुक्ल सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।

Key Points
  • केवल प्रेम लक्ष्णा भक्ति का आधार ग्रहण करने के कारण कृष्ण भक्ति शाखा में अश्लील विलासिता की प्रवृत्ति जागृत हुई यह कथन रामचंद्र शुक्ल जी ने कहा है।
  • यह उन्होंने कृष्ण भक्ति शाखा में केवल प्रेम लक्ष्णा भक्ति को आधार बनाने के कारण आलोचनात्मक रूप में कहा है।

Important Points

  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल (11 अक्टूबर, 1884ईस्वी- 2 फरवरी, 1941ईस्वी)
    • हिन्दी आलोचक, निबन्धकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि थे। 
    • हिन्दी में पाठ आधारित वैज्ञानिक आलोचना का सूत्रपात उन्हीं के द्वारा हुआ। 
    • हिन्दी निबन्ध के क्षेत्र में भी शुक्ल जी का महत्त्वपूर्ण योगदान है। 
    • भाव, मनोविकार सम्बंधित मनोविश्लेषणात्मक निबन्ध उनके प्रमुख हस्ताक्षर हैं।
Additional Information
  • ग्रियर्सन के कार्य 
    • पद्मावती का संपादन (1902) महामहोपाध्याय सुधाकर द्विवेदी की सहकारिता में
    • बिहारीकृत सतसई (लल्लूलालकृत टीका सहित) का संपादन
    • नोट्स ऑन तुलसीदास
    • दि माडर्न वर्नाक्युलर लिटरेचर ऑव हिंदुस्तान (1889) 
  • मिश्रबंधु
    • मिश्रबंधु नाम के तीन सहोदर भाई थे, गणेशबिहारी, श्यामबिहारी और शुकदेवबिहारी
    • प्रमुख रचनाएँ
      • लवकुश चरित्र,
      • हिंदी नवरत्न
      • मिश्रबंधु विनोद(4 भाग):-गणेशबिहारी मिश्र द्वारा रचित हिन्दी साहित्य का इतिहास
  • डॉ राम कुमार वर्मा 
    • इन्हें हिन्दी एकांकी का जनक माना जाता है। 
    • इन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन 1963 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 
    • इनके काव्य में 'रहस्यवाद' और 'छायावाद' की झलक है।

कालविभाजन और नामकरण Question 10:

रीतिकाल को शृंगारकाल की संज्ञा किसने दी है?

  1. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
  2. हजारी प्रसाद द्विवेदी
  3. रामकुमार वर्मा
  4. रमाशंकर शुक्ल 'रसाल'
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : विश्वनाथ प्रसाद मिश्र

कालविभाजन और नामकरण Question 10 Detailed Solution

सही उत्तर है- विश्वनाथ प्रसाद मिश्र

शृंगार काल-

  • शृंगार काल कहने से तात्पर्य यह था कि इस समय अधिकतर रचनाएँ राजाश्रित होकर लिखी गई है। 
  • सभी रचनाओं को नायक-नायिका भेद ही वर्णित है। 

Key Points

  • उत्तर मध्यकाल हिन्दी साहित्य में 'रीतिकाल' को कहा जाता है। 

Important Pointsअन्य नाम-

नाम  प्रस्तोता 
अलंकृत काल  मिश्र बंधु 
रीति काल  जॉर्ज ग्रियर्सन, रामचन्द्र शुक्ल 
कला काल  रमाशंकर शुक्ल 'रसाल', भगीरथ मिश्र 

Additional Informationरीतिकाल-

  • रीति अर्थ- अनुकरण करने की प्रवृत्ति 
  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने चिंतामणि को रीतिकाल का प्रवर्तक माना है। 
  • रीतिकाल को तीन वर्गों में विभक्त किया जाता हैं-
    • रीतिबद्ध 
    • रीतिसिद्ध 
    • रीतिमुक्त 
Get Free Access Now
Hot Links: online teen patti real money teen patti master gold teen patti comfun card online teen patti win