प्राथमिक स्तरे पठनसामर्थ्यस्य मूल्याङ्कनाय अधस्तनेषु किम् उपयुक्तमम्?

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CTET Paper 1 - 16th Dec 2021 (Eng/Hin/Sans/Ben/Mar/Tel)
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  1. वर्णमाला अभिज्ञानम्
  2. विरामादि-चिन्हानां ज्ञानम्
  3. पाठ अवबोधनम्
  4. पठनधारा-प्रवाहिता

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : पाठ अवबोधनम्
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CTET CT 1: TET CDP (Development)
10 Qs. 10 Marks 8 Mins

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प्रश्नानुवाद - प्राथमिक-स्तर पर पठन सामर्थ्य के मूल्याङ्कन के लिए निम्नलिखित में से क्या उपयुक्त है ?

स्पष्टीकरण - प्राथमिक-स्तर पर पठन सामर्थ्य के मूल्याङ्कन के लिए पाठ का अवबोध/समझना उपयुक्त है। जिसमें यह आकलन किया जाता है कि पाठ को पढ़ते हुए छात्र ने उसे समझा/अर्थ ग्रहण किया या नहीं।

पठन कौशल चार भाषा कौशलों में तीसरा कौशल है। चार भाषायी कौशल हैं - श्रवण, सम्भाषण, पठन, लेखन। पठन कौशल ग्रहणात्मक कौशल है। इस कौशल में पढ़कर अर्थ को ग्रहण किया जाता है। साथ ही उच्च स्वर में पढ़ते हुए उच्चारण और शब्दकोश में वृद्धि की जाती है।

Important Points

पठन कौशल -

  • लिखित भाषा को पढ़ने की क्रिया को पठन कौशल कहा जाता है। जैसे पुस्तकों को पढ़ना, समाचार पत्रों को पढ़ना आदि।
  • भाषा के संदर्भ में पढ़ने का अर्थ कुछ भिन्न होता है। भाव और विचारों को लिखित भाषा के माध्यम से पढ़कर समझने को पठन कहा जाता है।

पठन कौशल के उद्देश्य -

  • वर्णों, ध्वनियों एवं शब्दों का ज्ञान करवाना, जिससे छात्र पढ़ते समय शब्दों का उच्चारण शुद्ध रूप में कर सकें।  
  • पठन के माध्यम से शब्दों पर उचित बल दिया जाना। 
  • पढ़कर पठित वस्तु का भाव समझना तथा दूसरों को भी समझाना।
  • पठित वस्तु का भाव ग्रहण करने की क्षमता विकसित करना। 
  • छात्रों के शब्दकोश में वृद्धि करना। जहाँ वे नये-नये शब्दों से परिचित होते हैं।

पठन कौशल का मुख्य उद्देश्य  है - अर्थग्रहण करना।

  • पढ़ने का अर्थ केवल सार्थक ध्वनि के प्रतीक लिपि चिह्नों को पहचानना मात्र नहीं है अपितु पूर्वश्रुत सार्थक ध्वनियों के प्रतीक चिह्नों को पढ़कर उनका संदर्भानुसार अर्थग्रहण करना है।
  • पठन एक सोद्देश्य प्रक्रिया है, जैसे-जैसे पाठक शब्दों को पढ़ता है, वैसे-वैसे उन शब्दों के निहित अर्थों को ग्रहण करता है।
  • अर्थग्रहण के अंतर्गत शब्दों तथा वाक्यों के अर्थों को समझना, विचारों को क्रमबद्ध रूप से ग्रहण करना, पठन सामग्री के केन्द्रीय भाव को समझना तथा विश्लेषण करना एवं सामान्यीकरण करना निहित है।

 

अतः कहा जा सकता है कि प्राथमिक-स्तर पर पठन सामर्थ्य के मूल्याङ्कन के लिए पाठ का अवबोध/समझना उपयुक्त है। (अन्य विकल्प यहाँ असंगत या गौण अर्थ में है।)

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