रचनात्मकतावादस्य (Constructivism) सिद्धान्तोऽयं यत् भाषाशिक्षार्थी वर्तते

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CTET Feb 2016 Paper 2 Social Studies (L - I/II: Hindi/English/Sanskrit)
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  1. शिक्षकस्य अनुसरणकर्ता
  2. ज्ञानस्य पुनःप्रस्तुतिकर्ता
  3. ज्ञानस्य प्रहणकर्ता
  4. ज्ञानस्य निर्माणकर्त्ता

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : ज्ञानस्य निर्माणकर्त्ता
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CTET CT 1: TET CDP (Development)
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प्रश्न का अनुवाद - रचनात्मकतावाद का जो सिद्धांत है, उसमें भाषा शिक्षार्थी है_______

स्पष्टीकरण -

सीखना एक सतत, सहज, निरंतर चलने वाली एक सामाजिक प्रक्रिया है, जिसमे सीखने वाला अपने वातावरण से परस्पर अंत:क्रिया करते हुए अपने अनुभवों से स्वयं सीखता है। बच्चे अपने आस पास की चीजों से जुड़े रहते हैं। खोजबीन करना, सबाल पूछना, करके देखना, अपने अर्थ बनाना बच्चो की स्वाभिक प्रकृति होती है। 

रचनात्मकतावाद - रचनावाद या रचनात्मकवाद सीखने सिखाने के सिद्धांत को कहते है, जिसमे 'विद्यार्थी अपने ज्ञान की रचना अथवा निर्माण वातावरण से अंत:क्रिया करते हुए अपने अनुभवों से स्वयं करता है।' बच्चा स्वभाविक रूप से ही अपने आप को दूसरो से जोड़ कर देखता है जिससे उसकी समझ विकसित होती है और अपने इन्ही अनुभवों के आधार पर वह अपने जीवन के कार्य कर पाता है। ज्ञान के सृजन की इसी प्राकृतिक विधा को शिक्षा शास्त्र में 'रचनावाद' कहा गया है ।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर रचनात्मकतावाद का बहुत प्रभाव है  यह शिक्षण और अधिगम का एक प्रभावी तरीका है। वर्तमान स्कूली शिक्षा कार्यक्रम रचनात्मकतावाद पर आधारित है। वर्तमान शिक्षा प्रणाली में किए गए परिवर्तन इस प्रकार हैं:

  • अधिगम के उद्देश्यों का चयन।
  • उपयुक्त शिक्षण-अधिगम रणनीतियों का चयन करना।
  • छात्र प्रगति को मापने और निर्णय लेने के लिए लिखित परीक्षा द्वारा मूल्यांकन।
  • अधिगम के उद्देश्यों को मापने के लिए परीक्षा।
  • शिक्षार्थी की उपलब्धि की कोई वस्तुपरक व्याख्या नहीं।
  • संज्ञानात्मक उद्देश्यों पर जोर। प्रत्येक बच्चे में अपनी समझ और ज्ञान का निर्माण करने की क्षमता होती है

Key Points

रचनात्मकतावाद -

  • रचनात्मक शिक्षा समस्या-समाधान में छात्र की सक्रिय भागीदारी और अधिगम की गतिविधियों के बारे में गहन सोच पर आधारित है।
  • छात्र अपने स्वयं के ज्ञान का निर्माण करते हैं और उन्हें नई स्थिति में लागू करते हैं।
  • शिक्षक एक सूत्रधार या प्रशिक्षक होता है जो अधिगम प्रक्रिया के दौरान छात्र की गहन सोच, विश्लेषण और संश्लेषण क्षमताओं का मार्गदर्शन करता है।
  • विज्ञान शिक्षण को हमेशा दिलचस्प बनाया जाना चाहिए क्योंकि यह बच्चे को संज्ञानात्मक, सामाजिक, भावनात्मक विकास आदि सभी पहलुओं में विकसित करने में मदद कर सकता है।
  • प्रत्येक बच्चे में अपनी समझ और ज्ञान का निर्माण करने की क्षमता होती है।
  • छात्र को स्वयं प्रयोग करने चाहिए, और यह बहुत आत्मविश्वास का निर्माण करेगा।
  • छात्रों में संज्ञानात्मक क्षमताओं का विकास छात्रों को एक वैज्ञानिक की तरह सोचने में मदद करता है।

अतः स्पष्ट है कि रचनात्मकतावाद का जो सिद्धांत है, उसमें भाषा शिक्षार्थी 'ज्ञान का निर्माण करने वाला' होता है। 

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