Question
Download Solution PDFनीचे परामर्श के संबंध में क्या करें व क्या न करें के विवरण दिए गए हैं। उन कथनों की पहचान कीजिए जो परामर्श सत्र के संदर्भ में प्रासंगिक हैं। एक परामर्शदाता की भूमिका में सही उत्तर को चुनिए।
A. परामर्शार्थी के लिए अपने डेस्क अथवा मेज के साथ (सामने नहीं) एक कुर्सी तैयार रखिए।
B. परामर्शार्थी यदि चाहे तो उसे ठहरकर सोचने का अवसर दीजिए।
C. ऐसे प्रश्न पूछिए जिनका 'हाँ' अथवा 'ना' में उत्तर दिया जा सके।
D. ऐसे प्रश्न पूछिए जिनमें चर्चा अथवा स्पष्टीकरण की आवश्यकता हो जिससे इन विषयों पर परामर्शार्थी की भावनाएं प्रकट हो सके।
E. ऐसे प्रश्नों को अनदेखा करे जिनमें प्रत्यक्ष उत्तर आवश्यक हो या जो परामर्शार्थी को उसकी समस्याओं का समाधान दे।
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFKey Pointsपरामर्श में क्या करें और क्या न करें इस प्रकार हैं:
करने योग्य:
- एक अच्छा श्रोता होना।
- इसका अर्थ है कि परामर्शदाता शाब्दिक और गैर-शाब्दिक दोनों तरह से क्या कह रहा है, उस पर ध्यान देना।
- परामर्शार्थी को बात करने के लिए प्रोत्साहित करना।
- इसका अर्थ मुक्त अंत प्रश्न पूछना है एवं उन प्रश्नों से बचना है जिनका उत्तर सरल "हां" या "नहीं" में दिया जा सकता है।
- एक सुरक्षित और सहायक वातावरण बनाना।
- इसका अर्थ गैर-निर्णयात्मक होना और परामर्शार्थी की भावनाओं को स्वीकार करना है।
- परामर्शार्थी को उनके विचारों और भावनाओं का पता लगाने में मदद करना।
- इसका अर्थ ऐसे प्रश्न पूछना है जो परामर्शार्थी को अपनी भावनाओं एवं अभिप्रेरणाओं को समझने में मदद करें।
- परामर्शार्थी को मुकाबला तंत्र विकसित करने में मदद करना।
- इसका अर्थ परामर्शार्थी को कठिन भावनाओं और परिस्थितियों से स्वस्थ तरीके से निपटना सिखाना है।
क्या न करें:
- सलाह न देना।
- यह एक परामर्शदाता की भूमिका नहीं है। परामर्शदाता की भूमिका परामर्शार्थी को अपना समाधान ढूंढने में मदद करना है।
- परामर्शार्थी का मूल्यांकन न करना।
- इससे परामर्शार्थी को केवल बुरा लगेगा।
- परामर्शार्थी को बाधित न करें।
- यह उन्हें अपने विचारों और भावनाओं को पूरी तरह व्यक्त करने से रोकेगा।
- परामर्शार्थी की समस्याओं को व्यक्तिगत रूप से न लेना।
- परामर्शार्थी की समस्याएं आपकी गलती नहीं हैं।
- अपने बारे में ज्यादा बात न करना।
- परामर्श सत्र का ध्यान परामर्शार्थी पर होना चाहिए, न कि आप पर।
परामर्श सत्र के संदर्भ में जो कथन प्रासंगिक हैं वे हैं:
- A. परामर्शार्थी के लिए अपने डेस्क अथवा मेज के साथ (सामने नहीं) एक कुर्सी तैयार रखिए।
- इससे अधिक अनौपचारिक और आरामदायक माहौल तैयार होगा, जिससे परामर्शार्थी अधिक आरामदायक महसूस करेगा।
- B. परामर्शार्थी यदि चाहे तो उसे ठहरकर सोचने का अवसर दीजिए।
- इससे परामर्शार्थी को अपने विचार एकत्र करने और स्वयं को पूरी तरह से अभिव्यक्त करने की अनुमति मिलेगी।
- D. ऐसे प्रश्न पूछिए जिनमें चर्चा अथवा स्पष्टीकरण की आवश्यकता हो जिससे इन विषयों पर परामर्शार्थी की भावनाएं प्रकट हो सके।
- इससे परामर्शदाता को परामर्शार्थी के विचारों और भावनाओं को समझने में मदद मिलेगी एवं उन्हें अपनी भावनाओं का पता लगाने में मदद मिलेगी।
वे कथन जो परामर्श सत्र के संदर्भ में प्रासंगिक नहीं हैं:
- C. ऐसे प्रश्न पूछें जिनका उत्तर 'हाँ' या 'नहीं' में दिया जा सके।
- इस प्रकार के प्रश्न कोई उपयोगी जानकारी प्रदान नहीं करते हैं और वे परामर्श सत्र को पूछताछ जैसा महसूस करा सकते हैं।
- E. ऐसे प्रश्नों को अनदेखा करे जिनमें प्रत्यक्ष उत्तर आवश्यक हो या जो परामर्शार्थी को उसकी समस्याओं का समाधान दे।
- इस प्रकार के प्रश्न परामर्शदाता को अपने विचारों और भावनाओं को पूरी तरह से तलाशने से रोक सकते हैं और वे परामर्श सत्र को यह भी महसूस करा सकते हैं कि परामर्शदाता परामर्शार्थी को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है।
अतः सही उत्तर 4) अर्थात केवल A, B और D है।
Last updated on Jun 6, 2025
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