भाषाकक्षायां साहित्यिकपाठ्यपुस्तकानाम् अध्ययनविषये किं कथनं सत्यं नास्ति ?

This question was previously asked in
CTET Paper 2 Social Science 23rd Dec 2021 (English-Hindi-Sanskrit)
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  1. साहित्यिकपुस्तकानि मूल्याङ्कनाय रसास्वादनाय च भवन्ति।
  2. भाषा शिक्षणार्थं साहित्यिकपुस्तकानि सांस्कृतिकनिवेशाः भवन्ति।
  3. साहित्यिकपुस्तकानि समीक्षात्मकविचाराय चिन्तनाय च भवन्ति।
  4. साहित्यिकपुस्तकानि व्याकरणं पाठयितुं प्रयोक्तव्यानि।

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Option 4 : साहित्यिकपुस्तकानि व्याकरणं पाठयितुं प्रयोक्तव्यानि।
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CTET CT 1: TET CDP (Development)
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प्रश्नानुवाद - भाषा कक्षा में साहित्यिक पाठ्यपुस्तकों के अध्ययन के विषय में कौन-सा कथन सत्य नहीं है ?

स्पष्टीकरण - भाषा कक्षा में साहित्यिक पाठ्यपुस्तकों के अध्ययन के विषय में यह कथन सत्य नहीं है कि साहित्यिक पुस्तकों को व्याकरण पढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है। भाषा के शुद्ध स्वरूप के ज्ञान हेतु व्याकरण को पढ़ा जाता है।

अन्य उचित विकल्पों का स्पष्टीकरण (जो साहित्यिक पुस्तकों के सन्दर्भ में उचित हैं।)

  • साहित्यिक पुस्तकों के द्वारा व्याकरण को नहीं पढ़ाया जाता है, अपितु साहित्यिक पुस्तकों को पढ़ने से विषय का रसास्वादन किया जाता है। 
  • भाषा शिक्षण के लिए साहित्यिक पुस्तकों का सांस्कृतिक निवेश होता है। जिनके अध्ययन से हमें अपनी संस्कृति के विषय में जानने का अवसर मिलता है।
  • साहित्यिक पुस्तकें समीक्षात्मक विचार और चिन्तन के लिए होती है। जिनके अध्ययन से समीक्षात्मक चिन्तन एवं विचार विमर्श करने का अवसर मिलता है। 

Important Points

भाषा की पाठ्य-पुस्तक के महत्त्वपूर्ण बिन्दु निम्नलिखित हैं-

  • भाषा की पाठ्यपुस्तक में सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य पाठों का उद्देश्यपूर्ण चयन करना होता है।
  • भाषा की पाठ्यपुस्तक में पाठों या पाठ्य विषयवस्तु का चयन पाठ्यपुस्तक की रचना का प्रथम सोपान है।
  • पाठ्यपुस्तक के अध्ययन से बालकों के ज्ञान की सीमा का विस्तार होता है।
  • पाठ्यपुस्तकों द्वारा विषय का रसास्वादन किया जाता है।
  • पाठ्यपुस्तकों द्वारा संस्कृति के विषय में जाना जाता है।
  • पाठ्यपुस्तकों द्वारा समीक्षात्मक विचार और चिन्तन का अवसर मिलता है। जिससे नये विचार उत्पन्न होते हैं।
  • पाठ्यपुस्तक में वर्णित विविध प्रकार के कथा - कहानियों के माध्यम से व्यावहारिक ज्ञान की प्रेरणा प्राप्त होती है।
  • छात्रों की कल्पना शक्ति का विकास होता है तथा उनमें सर्जनशीलता और रचनात्मक क्षमता का विकास होता है।
  • यह चयन इस प्रकार होना चाहिए की वह बच्चों में अवधारणा की अच्छी समझ विकसित करने के लिए मुख्य रूप से सुगम इनपुट और उम्र-उपयुक्त सामग्री प्रदान कर सके।

 

अतः कहा जा सकता है कि साहित्यिक पाठ्यपुस्तकों के अध्ययन के विषय में यह कथन सत्य नहीं है कि साहित्यिक पुस्तकों को व्याकरण पढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है।

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