वीर रस MCQ Quiz in বাংলা - Objective Question with Answer for वीर रस - বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন [PDF]

Last updated on Mar 22, 2025

পাওয়া वीर रस उत्तरे आणि तपशीलवार उपायांसह एकाधिक निवड प्रश्न (MCQ क्विझ). এই বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন वीर रस MCQ কুইজ পিডিএফ এবং আপনার আসন্ন পরীক্ষার জন্য প্রস্তুত করুন যেমন ব্যাঙ্কিং, এসএসসি, রেলওয়ে, ইউপিএসসি, রাজ্য পিএসসি।

Latest वीर रस MCQ Objective Questions

Top वीर रस MCQ Objective Questions

वीर रस Question 1:

वीर रस का स्थायीभाव हैं -

  1. उत्साह
  2. वीरता
  3. निडरता
  4. पराक्रम

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : उत्साह

वीर रस Question 1 Detailed Solution

उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "उत्साह" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।

Key Points
  • वीर रस का स्थाई भाव उत्साह है।
  • स्थाई भाव
    • साहित्य में वे मूल तत्व जो मूलतः मनुष्यों के मन में प्रायः सदा निहित रहते और कुछ विशिष्ट अवसरों पर अथवा कुछ विशिष्ट कारणों से स्पष्ट रूप से प्रकट होते हैं।
    • जैसे:- प्रेम, हर्ष या उससे उत्पन्न होनेवाला हास्य, खेद, दुःख, शोक, भय, वैराग्य आदि।
Additional Information
  • रस एवं उनके स्थायी भाव
    • शृंगार:- रति
    • करुण:- शोक
    • हास्य:- हास
    • वीर:- उत्साह
    • भयानव:- भय
    • रौद्र:- क्रोध
    • अद्भुत:- आश्चर्य , विस्मय
    • शांत:- निर्वेद या निर्वृती

वीर रस Question 2:

वीर रस का स्थायी भाव है-

  1. उत्साह
  2. भय
  3. विस्मय
  4. क्रोध

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : उत्साह

वीर रस Question 2 Detailed Solution

वीर रस का स्थायी भाव है- उत्साह

Key Points

  • वीर रस' का स्थायी भाव 'उत्साह' होता है।
  • इस रस के अंतर्गत जब युद्ध अथवा कठिन कार्य को करने के लिए मन में जो उत्साह की भावना विकसित होती है, उसे ही वीर रस कहते हैं।
  • इसमें शत्रु पर विजय प्राप्त करने, यश प्राप्त करने आदि प्रकट होती है इसका स्थायी भाव उत्साह होता है।
  • उदाहरण -
    • बुंदेले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी।
    • खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।।

Additional Information 

रस- काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रस कहा जाता है।

क्र. म 

रस

स्थायी भाव

1.

शृंगार रस

रति

2.

हास्य रस

हास

3.

करुण रस

शोक

4.

रौद्र रस

क्रोध

5.

वीर रस

उत्साह

6.

भयानक रस

भय

7.

वीभत्स रस

जुगुप्सा

8.

अद्भुत रस

विस्मय

9.

शांत रस

निर्वेद

10. वात्सल्य

स्नेह  

11.

भक्ति वैराग्य

वीर रस Question 3:

वह खून कहो किस मतलब का

जिसमें उबाल का नाम नहीं।

वह खून कहो किस मतलब का

आ सके देश के काम नहीं।

दी गई पंक्ति में कौन-सा रस है? 

  1. करुण रस  
  2. हास्य रस 
  3. शांत रस 
  4. वीर रस 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : वीर रस 

वीर रस Question 3 Detailed Solution

उपर्युक्त पंक्तियों में "वीर रस" है। अन्‍य व‍िकल्‍प असंगत हैं। 

Key Points

वह खून कहो किस मतलब का

जिसमें उबाल का नाम नहीं।

वह खून कहो किस मतलब का

आ सके देश के काम नहीं।

  • उपर्युक्त पंक्तियों में वीर रस है। यहॉं पर वीर रस है। 
  • भावार्थ- खून कहो किस मतलब का जिसमें जीवन, न रवानी है जो परवश होकर बहता है, वह खून नहीं,पानी है। अत: यहॉं पर वीर रस है। 
रस  परिभाषा  उदहारण
वीर रस  जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है। वीर रस का स्‍थाई भाव उत्‍साह है। 
बुन्देलों हरबोलो के मुह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मरदानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

Additional Information

रस- रस एक प्रकार का आनन्‍द है, काव्‍य पढ़ने या नाटक देखने से जो विशेष प्रकार का आनन्‍द प्राप्‍त होता है। उसे रस कहा जाता है। हिन्‍दी में 'स्‍थायी भाव' के आधार पर काव्‍य में नौ रस बताये गए हैं, जो इस प्रकार हैं:- 
क्रम संख्‍या  रस  स्‍थायी भाव 
1. श्रृंगार रस  रति 
2. हास्‍य रस  हास 
3. करूण रस  शोक 
4. रौद्र रस क्रोध 
5. वीर रस  उत्‍साह 
6. भयानक रस  भय 
7. वीभत्‍स रस  जुगुप्‍सा 
8. अद्भुत रस   विस्‍मय 
9. शांत रस  निर्वेद 

इसके अलावा दो रस और माने जाते हैं। वे हैं- 

10. वात्सल्य रस  वात्‍सल्‍य 
11. भक्ति रस  वैराग्‍य 

वीर रस Question 4:

“लक्ष्मी थी या दुर्गा वहस्वयं वीरता की अवतार

देख मराठे पुलकित होतेउसकी तलवारों के वार।"

उपरोक्त पंक्तियों में कौन सा रस है?

  1. अद्भुत
  2. भयानक
  3. शांत
  4. करुण

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : अद्भुत

वीर रस Question 4 Detailed Solution

उपरोक्त विकल्पों में से दिए गए पंक्तियों में अद्भुत रस होता है।अन्य विकल्प असंगत है। अतः विकल्प 1 अद्भुत सही उत्तर है।

Important Points

उपरोक्त पंक्तियों में लक्ष्मीबाई युद्ध भूमि में अपने प्राण गवाते है, इस का विस्मय  का भाव उत्पन्न होता है, इसलिए यहाँ अद्भुत रस होता है।


Key Points

अलौकिक, आश्चर्यजनक दृश्य या वस्तु को देखकर सहसा विश्वास नहीं होता और मन में स्थायी भाव विस्मय उत्पन्न होता हैं। यही विस्मय जब विभाव,अनुभाव और संचारी भावों में पुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है, तो अद्भुत रस उत्पन्न होता है।

 

अन्य विकल्प

रस

परिभाषा

वीर

युद्ध अथवा किसी कठिन कार्य को करने के लिए ह्रदय में निहित 'उत्साह' स्थायी भाव के जाग्रत होने के प्रभावस्वरूप जो भाव उत्पन्न होता है, उसे वीर रस कहा जाता है।

शांत

संसार और जीवन की नश्वरता का बोध होने से चित्त में एक प्रकार का विराग उत्पन्न होता है परिणामतः मनुष्य भौतिक तथा लौकिक वस्तुओं के प्रति उदासीन हो जाता है, इसी को निर्वेद कहते हैं। जो विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से पुष्ट होकर शांत रस में परिणत हो जाता है।

करुण

इष्ट वस्तु की हानि, अनिष्ट वस्तु का लाभ, प्रिय का चिरवियोग, अर्थ हानि, आदि से जहाँ शोकभाव की परिपुष्टि होती है, वहाँ करुण रस होता है। करुण रस का स्थायी भाव शोक है।

वीर रस Question 5:

वीर रस प्रधान रचना में कौन-सा गुण प्रमुख होता है?

  1. प्रसाद
  2. ओज
  3. शांत
  4. माधुर्य

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : ओज

वीर रस Question 5 Detailed Solution

वीर रस प्रधान रचना में 'ओज गुण' प्रमुख होता है। 

Key Points

  •  ओज गुण वीर रस में संयत भाव से रहता है। क्‍योंकि वीर उत्‍साही होते हैं, क्रोधी नहीं।
  •  जहाँ कविता को पढ़कर ओज, जोश और उत्साह का भाव जाग्रत हो, 'वीर-रस' का संचार हो वहाँ 'ओज गुण' होता है
रस  उदाहरण 
वीर रस- युध्‍द अथवा किसी कठिन कार्य को करने के लिए हृदय में जो उत्‍साह जागृत होता है, उससे वीर रस की नि‍ष्‍पति होती है।     
बुन्देलों हरबोलो के मुह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मरदानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

Important Points

काव्‍य गुण- काव्य में आन्तरिक सौन्दर्य तथा रस के प्रभाव एवं उत्कर्ष के लिए स्थायी रूप से विद्यमान मानवोचित भाव और धर्म या तत्व को काव्य गुण या शब्द गुण कहते हैं। ठीक उसी प्रकार काव्‍य में भी प्रसाद, ओज, माधुर्य आदि गुण होते हैं। 

 

काव्‍य गुण मुख्‍य रूप से तीन होते हैं- 

गुण  परिभाषा
प्रसाद 

जिस गुण विशेष के कारण सहृदय के चित्त में कोई कविता तत्काल अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न करे और भाव स्पष्ट हो जाए वहाँ 'प्रसाद गुण' होता है।

उदाहरण- प्रभु जी तुम चंदन हम पानी। जाकी अंग-अंग बास समानी॥ प्रभु जी तुम घन बन हम मोरा।

ओज 

ऐसी काव्‍य रचना जिसके पढ़ने से चित्‍त में जोश, वीरता, उल्‍लास, आदि की भावना उत्‍पन्‍न हो जाती है, वह ओज गुण युक्‍त रचना मानी जाती है।  

उदाहरण- अमर राष्ट्र उद्दण्ड राष्ट्र, उन्मुक्त राष्ट्र यह मेरी बोली। यह 'सुधार' समझौते वाली, मुझको भाती नहीं ठिठोली ॥

माधुर्य 

जिस गुण विशेष के कारण सहृदय का चित्त आनंद से द्रवित हो जाए, उसमें कठोरता अथवा विरक्ति पैदा न हो, उसे माधुर्य गुण कहते हैं। यह गुण प्रायः शृंगार, करुण और शांत रसों में रहता है।

उदाहरण- बसों मोरे नैनन में नंदलाल,
          मोहिनी मूरत सांवरी सूरत नैना बने बिसाल।

वीर रस Question 6:

‘उत्साह’ किस रस का स्थायी भाव है? 

  1. करुण रस 
  2. वीर रस 
  3. वीभत्स रस 
  4. अद्भुत रस 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : वीर रस 

वीर रस Question 6 Detailed Solution

दिए गए सभी विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 ‘वीर रस’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर होंगे।

Key Points

  • वीर रस, नौ रसों में से एक प्रमुख रस है।
  • जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।
  • वीर रस का स्थायी भाव उत्साह है।

उदाहरण- बुन्देलों हरबोलो के मुह हमने सुनी कहानी थी।

              खूब लड़ी मरदानी वह तो झाँसी वाली रानी थी

Additional Information

  • रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'।
  • काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।
  • हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

रस

स्थायी भाव

शृंगार रस

रति

हास्य रस

हास

करुण रस

शोक

रौद्र रस

क्रोध

वीर रस

उत्साह

भयानक रस

भय

वीभत्स रस

जुगुप्सा

अद्भुत रस

विस्मय

शांत

निर्वेद

वीर रस Question 7:

वीर रस का स्थायी भाव क्या है? 

  1. उत्साह 
  2. क्रोध 
  3. भय 
  4. विस्मय 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : उत्साह 

वीर रस Question 7 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में सही उत्तर ‘उत्साह’ है। 

Key Points

  • वीर रस का स्थायी भाव ‘उत्साह’ है।
  • जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।

Additional Information

रस

काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है।  हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

रस और उनके स्थायी भाव -

 

रस

स्थायी भाव

1.

शृंगार रस

रति

2.

हास्य रस

हास

3.

करुण रस

शोक

4.

रौद्र रस

क्रोध

5.

वीर रस

उत्साह

6.

भयानक रस

भय

7.

वीभत्स रस

जुगुप्सा

8.

अद्भुत रस

विस्मय

9.

शांत रस 

निर्वेद

वीर रस Question 8:

वीर रस का स्थायीभाव क्या है?

  1. विस्मय 
  2. उत्साह  
  3. रति 
  4. हास 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : उत्साह  

वीर रस Question 8 Detailed Solution

सही उत्तर उत्साह है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर होंगे।

Key Points

  • वीर रस का स्थायी भाव ‘उत्साह’ है। 
  • रस- काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत 'रस' कहा जाता है।
  • हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

 

रस

स्थायी भाव

1.

श्रृंगार रस

रति

2.

हास्य रस

हास

3.

करुण रस

शोक

4.

रौद्र रस

क्रोध

5.

वीर रस

उत्साह

6.

भयानक रस

भय

7.

वीभत्स रस

जुगुप्सा

8.

अद्भुत रस

विस्मय

9.

शांत

निर्वेद


इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-

10.

वात्सल्य

स्नेह

11.

भक्ति

वैराग्य

वीर रस Question 9:

निम्नलिखित में रस तथा उसके स्थायी भाव का कौन-सा युग्म सही नहीं है?

  1. हास्य रस - हास 
  2. भयानक रस - भय 
  3. वीर रस - क्रोध
  4. उपर्युक्त में एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वीर रस - क्रोध

वीर रस Question 9 Detailed Solution

वीर रस  का स्थायी भाव क्रोध नहीं होता है। 

वीर रस  का स्थायी भाव उत्साह होता है। 

रौद्र रस का स्थायी भाव क्रोध होता है।

Key Pointsवीर रस:-
शत्रु का उत्कर्ष, दीनों की दुर्दशा, धर्म की हानि आदि को देखकर इनको मिटाने के लिए किसी के हदय में उत्साह नामक भाव जागृत हो और वही विभाव, अनुभाव तथा व्यभिचारी भावों के संयोग, से रस रूप में परिणत हो तब ‘वीर रस होता है।
उदाहरण:-
       फहरी ध्वजा, फड़की भुजा, बलिदान की ज्वाला उठी।
       निज जन्मभू के मान में, चढ़ मुण्ड की माला उठी।

Additional Informationअद्भुत रस:-
आश्चर्यजनक वर्णन उत्पन्न विस्मय भाव की परिपक्व अवस्था को अद्भुत रस कहते हैं । इसका स्थाई भाव विस्मय (आश्चर्य ) होता है।
उदहारण:-
         केशव नहि न जाई का कहिये ।
        देखत तब रचना विचित्र अति समुझि मनहि मन दहिये ।

श्रृंगार रस:-
जब विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी के संयोग से रति नामक स्थायी भाव रस रूप में परिणत हो, तो उसे श्रृंगार रस कहते हैं।
उदहारण:-
         कर मुंदरी की आरसी, प्रतिबिम्बित प्यौ पाइ।
         पीठ दिये निधरक लखै, इकटक दीठि लगाइ॥

करुण रस:-
प्रिय वस्तु या इष्ट वस्तु के नाश से जो क्षोभ होता है, उसे शोक कहते हैं। यही शोक नामक स्थायी भाव ज़ब विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी भावों के संयोग से रस रूप में परिणत होता है, उसे करुण रस कहते हैं।
उदहारण:-
         अर्ध राति गयी कपि नहिं आवा। राम उठाइ अनुज उर लावा ॥
         सकइ न दृखित देखि मोहि काऊ। बन्धु सदा तव मृदृल स्वभाऊ ॥

वीर रस Question 10:

वीर रस का स्थायी भाव क्या है?

  1.  हास
  2. शोक
  3. क्रोध
  4. उत्साह

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : उत्साह

वीर रस Question 10 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 4 ‘उत्साह’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।

Key Points

  • वीर रस का स्थायी भाव ‘उत्साह’ है।
  • जिस प्रसंग अथवा काव्य में वीरता युक्त भाव प्रकट हो, जिसके माध्यम से उत्साह का प्रदर्शन किया गया हो वहां वीर रस होता है। वीर रस शरीर में उत्साह का संचार करते हुए गर्व की अनुभूति कराने में सक्षम है। इस रस के माध्यम से युद्ध तथा रण पराक्रम तथा शौर्य का वर्णन अपेक्षित है।

Additional Information

रस

काव्य के पढ़ने, सुनने अथवा उसका अभिनय देखने मे पाठक, श्रोता या दर्शक को जो आनंद मिलता है, वही काव्य मे रस कहलाता हैं। आचार्य भरतमुनि ने नाटकीय महत्त्व को ध्यान में रखते हुए आठ रसों का उल्लेख किया- शृंगार, हास्य, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, बीभत्स एवं अद्भुत। आचार्य मम्मट और पण्डितराज जगन्नाथ ने रसों की संख्या नौ मानी है- श्रृंगार, हास, करुण, रौद्र, वीर, भयानक, बीभत्स, अद्भुत और शान्त। आचार्य विश्वनाथ ने वात्सल्य को दसवाँ रस माना है तथा रूपगोस्वामी ने ‘मधुर’ नामक ग्यारहवें रस की स्थापना की, जिसे भक्ति रस के रूप में मान्यता मिली।


रस और उनके स्थायी भाव-

रस

स्थायी भाव

शृंगार रस

रति

हास्य रस

हास

करुण रस

शोक

रौद्र रस

क्रोध

वीर रस

उत्साह

भयानक रस

भय

वीभत्स रस

जुगुप्सा

अद्भुत रस

विस्मय

शांत रस

निर्वेद

वात्सल्य रस

वत्सल

भक्ति रस

देव रति

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