वीर रस MCQ Quiz - Objective Question with Answer for वीर रस - Download Free PDF

Last updated on Jun 5, 2025

Latest वीर रस MCQ Objective Questions

वीर रस Question 1:

निम्नलिखित पंक्तियों में कौन सा रस है?
सखियाँ हरि दरसन की भूखी।
कैसे रहें रूप रस राँची, ए बतियाँ सुनि रूखी।
(A) वीर रस
(B) वियोग श्रृंगार रस
(C) शान्त रस
(D) संयोग श्रृंगार रस
(E) वात्सल्य रस
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए।

  1. केवल (B)
  2. केवल (B) व (E)
  3. केवल (C)
  4. केवल (C) व (D)
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : केवल (B)

वीर रस Question 1 Detailed Solution

इसका सही उत्तर " वियोग श्रृंगार रस" है
Key Points
 दी गयी पंक्तियों में वियोग श्रृंगार रस है।
‘वियोग श्रृंगार रस’ अर्थात ‘जहां जहां नायक-नायिका की वियोगावस्था (विरह) का वर्णन होता है वहां वियोग श्रृंगार होता है।
यहाँ गोपियों की व्यथा का चित्रण है जिसमें वियोग रस का भाव व्यक्त हो रहा है। अतः सही विकल्प वियोग श्रृंगार रस है।
Additional Information 
अन्य विकल्प

रस

परिभाषा

वीर रस

जहां विषय और वर्णन में उत्साह युक्त वीरता के भाव को प्रदर्शित किया जाता है वहां वीर रस होता है।

शांत रस

तत्वज्ञान और वैराग्य से शांत रस की उत्पत्ति मानी गई है , इसका स्थाई भाव ‘ निर्वेद ‘ या शम है। जो अपने अनुरूप विभाव , अनुभाव और संचारी भाव से संयुक्त होकर आस्वाद का रूप धारण करके शांत रस रूप में परिणत हो जाता है।

संयोग श्रृंगार रस

संयोग श्रृंगार के अंतर्गत नायक – नायिका के परस्पर मिलन प्रेमपूर्ण कार्यकलाप एवं सुखद अनुभूतियों का वर्णन होता है।

 

विशेष

श्रृंगार रस ‘ रसों का राजा ‘ एवं महत्वपूर्ण प्रथम रस माना गया है। विद्वानों के मतानुसार श्रृंगार रस की उत्पत्ति ‘ श्रृंग + आर ‘ से हुई है। इसमें ‘श्रृंग’ का अर्थ है – काम की वृद्धि तथा ‘आर’ का अर्थ है प्राप्ति।

अर्थात कामवासना की वृद्धि एवं प्राप्ति ही श्रृंगार है इसका स्थाई भाव ‘रति’ है।

इसके दो भेद हैं – संयोग श्रृंगार रस, वियोग श्रृंगार रस

वीर रस Question 2:

मैं सत्य कहता हूँ सखे, सुकुमार मत जानो मुझे । यमराज से भी युद्ध में प्रस्तुत सदा मानो मुझे ।।

  1. वीर रस
  2. संयोग रस
  3. शांत रस
  4. करुण रस
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : वीर रस

वीर रस Question 2 Detailed Solution

मैं सत्य कहता हूँ सखे, सुकुमार मत जानो मुझे । यमराज से भी युद्ध में प्रस्तुत सदा मानो मुझे।। - वीर रस

Key Points

  • प्रस्तुत पंक्तियां वीर रस में रचित हैं, जो वीरता, साहस और मातृभूमि की रक्षा की भावना को व्यक्त करती हैं। 
  • इस रस के अंतर्गत जब युद्ध अथवा कठिन कार्य को करने के लिए मन में जो उत्साह की भावना विकसित होती है, उसे ही वीर रस कहते हैं।
  • इसमें शत्रु पर विजय प्राप्त करने, यश प्राप्त करने आदि प्रकट होती है इसका स्थायी भाव उत्साह होता है।
  • उदाहरण -
    • बुंदेले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी।
    • खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।।

Important Points

रस      स्थायी भाव
शृंगार  रति
करुण  शोक 
हास्य   हास
वीर  उत्साह
भयानक  भय
रौद्र  क्रोध
अद्भुत  आश्चर्य , विस्मय
शांत  निर्वेद या निर्वृती
वीभत्स  जुगुप्सा
वात्सल्य   रति

Additional Information 
 

संयोग शृंगार:-

  • ​संयोग शृंगारशृंगार रस का एक भेद है।
  • जहाँ आश्रय-आलंबन के सहभाव से युक्त शृंगार का चित्रण हो वहाँ संयोग शृंगार होता है। अर्थात् 
  • जब नायक-नायिका के मिलन की स्थिति की व्याख्या होती है, वहाँ संयोग शृंगार रस होता है।

उदाहरण-

  • मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई।
  • जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।

शान्त रस:-

  • वैराग्य भावना के उत्पन्न होने अथवा संसार से असंतोष होने पर शान्त रस की क्रिया उत्पन्न होती है।
    • शान्त रस का स्थायी भाव 'निर्वेद' है

उदाहरण-

  • मन रे तन कागद का पुतला।
  • लागै बूँद बिनसि जाय छिन में,
  • गरब करै क्या इतना॥

करूण रस:-

  • किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं। इसका स्थायी भाव शोक होता है।

उदाहरण-

  • मुख मुखाहि लोचन स्रवहि सोक न हृदय समाइ।
  • मनहूँ करुन रस कटकई उत्तरी अवध बजाइ॥

वीर रस Question 3:

वीर रस का स्थाई भाव लिखिए -

  1. उत्साह

  2. रति
  3. शोक
  4. रौद्र
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 :

उत्साह

वीर रस Question 3 Detailed Solution

वीर रस का स्थाई भाव उत्साह है अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प उत्साह सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।

Key Points
  • वीर रस का स्थाई भाव : उत्साह। 
  • वीर रस का आलंबन (विभाव) : अत्याचारी शत्रु।
Additional Information
  • करुण रस:-
    • इसका स्थायी भाव शोक होता है। 
    • इस रस में किसी अपने का विनाश या अपने का वियोग, द्रव्यनाश एवं प्रेमी से सदैव विछुड़ जाने या दूर चले जाने से जो दुःख या वेदना उत्पन्न होती है उसे करुण रस कहते हैं।
  • रौद्र रस
    • इसका स्थायी भाव क्रोध होता है। 
    • जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दुसरे पक्ष या दुसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि कि निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है उसे रौद्र रस कहते हैं इसमें क्रोध के कारण मुख लाल हो जाना, दाँत पिसना, शास्त्र चलाना, भौहे चढ़ाना आदि के भाव उत्पन्न होते हैं।
  • श्रृंगार रस का स्थाई भाव रति है।

वीर रस Question 4:

ओज गुण से परिपूर्ण रस का नाम क्या है?

  1. शांत रस
  2. वीर रस
  3. श्रृंगार रस
  4. इनमें से कोई नहीं
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : वीर रस

वीर रस Question 4 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में से विकल्प 2 'वीर रस' सही है। अन्य विकल्प असंगत हैं।

Key Points

  • ओज गुण से परिपूर्ण रस 'वीर रस' है।
  • वाक्य में "ओज” वह गुण है जिसे सामाजिक हृदय का प्रज्ज्वलन कहा जा सकता है। यह गुण वीर रस में स्वभावत: हुआ करता है और जिससे ऐसा लगता है जैसे चित्त की सारी शीतलता अकस्मात नष्ट हो गई और बदले में चित्त उद्दीप्त हो उठा। वीर वीभत्स एवं रौद्र रसों में ओज गुण उत्कर्षवर्धक माना जाता है ।

अन्य विकल्प - 

रस

परिभाषा

उदहारण

शांत रस

निर्वेद नामक स्थाई भाव विभावावादि  से संयुक्त होकर शांत रस की निष्पत्ति होती है।

मन रे तन कागद का पुतला

लागै बूँद विनसि जाय छिन में गरब करै क्यों इतना।

वीर रस

जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।

लागति लपटि कंठ बैरिन के नागिनी सी, रुद्रहिं रिझावै दै दै मुंडन के माल कों।

श्रृंगार रस

इसका स्थाई भाव रति होता है नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस कि अवस्था में पहुँच जाता है तो वह श्रृंगार रस कहलाता है

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई,

जाके सिर मोर मुकुट मेरा पति सोई

 

Additional Information

रस की परिभाषा : रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।  

वीर रस Question 5:

वीर रस प्रधान रचना में कौन-सा गुण प्रमुख होता है?

  1. प्रसाद
  2. ओज
  3. शांत
  4. माधुर्य
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : ओज

वीर रस Question 5 Detailed Solution

वीर रस प्रधान रचना में 'ओज गुण' प्रमुख होता है। 

Key Points

  •  ओज गुण वीर रस में संयत भाव से रहता है। क्‍योंकि वीर उत्‍साही होते हैं, क्रोधी नहीं।
  •  जहाँ कविता को पढ़कर ओज, जोश और उत्साह का भाव जाग्रत हो, 'वीर-रस' का संचार हो वहाँ 'ओज गुण' होता है
रस  उदाहरण 
वीर रस- युध्‍द अथवा किसी कठिन कार्य को करने के लिए हृदय में जो उत्‍साह जागृत होता है, उससे वीर रस की नि‍ष्‍पति होती है।     
बुन्देलों हरबोलो के मुह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मरदानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

Important Points

काव्‍य गुण- काव्य में आन्तरिक सौन्दर्य तथा रस के प्रभाव एवं उत्कर्ष के लिए स्थायी रूप से विद्यमान मानवोचित भाव और धर्म या तत्व को काव्य गुण या शब्द गुण कहते हैं। ठीक उसी प्रकार काव्‍य में भी प्रसाद, ओज, माधुर्य आदि गुण होते हैं। 

 

काव्‍य गुण मुख्‍य रूप से तीन होते हैं- 

गुण  परिभाषा
प्रसाद 

जिस गुण विशेष के कारण सहृदय के चित्त में कोई कविता तत्काल अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न करे और भाव स्पष्ट हो जाए वहाँ 'प्रसाद गुण' होता है।

उदाहरण- प्रभु जी तुम चंदन हम पानी। जाकी अंग-अंग बास समानी॥ प्रभु जी तुम घन बन हम मोरा।

ओज 

ऐसी काव्‍य रचना जिसके पढ़ने से चित्‍त में जोश, वीरता, उल्‍लास, आदि की भावना उत्‍पन्‍न हो जाती है, वह ओज गुण युक्‍त रचना मानी जाती है।  

उदाहरण- अमर राष्ट्र उद्दण्ड राष्ट्र, उन्मुक्त राष्ट्र यह मेरी बोली। यह 'सुधार' समझौते वाली, मुझको भाती नहीं ठिठोली ॥

माधुर्य 

जिस गुण विशेष के कारण सहृदय का चित्त आनंद से द्रवित हो जाए, उसमें कठोरता अथवा विरक्ति पैदा न हो, उसे माधुर्य गुण कहते हैं। यह गुण प्रायः शृंगार, करुण और शांत रसों में रहता है।

उदाहरण- बसों मोरे नैनन में नंदलाल,
          मोहिनी मूरत सांवरी सूरत नैना बने बिसाल।

Top वीर रस MCQ Objective Questions

वीर रस का स्थायी भाव है-

  1. क्रोध
  2. भय
  3. विस्मय
  4. उत्साह

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : उत्साह

वीर रस Question 6 Detailed Solution

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वीर रस का स्थायी भाव 'उत्साह' होता है . सही उत्तर विकल्प 4 '​उत्साह' है. अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं. 

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  • वीर रस - वीर रस, नौ रसों में से एक प्रमुख रस है। जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।
  • वीर रस का स्थायी भाव 'उत्साह' होता है

 

अन्य विकल्प 

  • क्रोध - रोद्र 
  • भय - भयानक 
  • विस्मय - अद्भुत 

 

Additional Information

रस के चार तत्व हैं- 

  • विभाव :- जो व्यक्ति, पदार्थ अथवा ब्राह्य विकार अन्य व्यक्ति के हृदय में भावोद्रेक करता है, उन कारणों को 'विभाव' कहा जाता है।
  • अनुभाव :- आलम्बन और उद्यीपन विभावों के कारण उत्पत्र भावों को बाहर प्रकाशित करनेवाले कार्य 'अनुभाव' कहलाते है।
  • व्यभिचारी या संचारी भाव :- मन में संचरण करनेवाले (आने-जाने वाले) भावों को 'संचारी' या 'व्यभिचारी' भाव कहते है।
  •  स्थायी भाव :- रस के मूलभूत कारण को स्थायी भाव कहते हैं।

 

 

हम मानव को मुक्त करेंगे, यही विधान हमारा है

भारत वर्ष हमारा है, यह हिंदुस्तान हमारा है।

इन पंक्तियों में निम्न में से कौन सा रस है?

  1. शांत रस
  2. शृंगार रस
  3. वीर रस
  4. भक्ति रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वीर रस

वीर रस Question 7 Detailed Solution

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दी गयी पंक्तियों में देशभक्ति की बात की जा रही है। यहाँवीरता का भाव प्रधान है। इसीलिए हम कह सकते हैं कि यहाँवीर रसहै।वीर रसअर्थात जहां विषय और वर्णन में उत्साह युक्त वीरता के भाव को प्रदर्शित किया जाता है। इसका स्थायी भावउत्साह है। अतः सही विकल्प वीर रस है।

अन्य विकल्प

रस

परिभाषा

उदाहरण

शांत रस

अनित्य और असार तथा परमात्मा के वास्तविक ज्ञान से विषयों के वैराग्य से उत्पन्न रस परिपक्व होकर शांति में परिणत हो।

जैसे मन रे तन कागद का पुतला। लागे बूंद बिनसि जाय छिन में, गरब करें क्या इतना।

शृंगार रस

जिस रस में नायक नायिका के प्रेम, मिलने, बिछुड़ने जैसी क्रियायों का वर्णन हो।

जैसे - बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय। कहां करें, भौंहनी हंसे, दैन कहै, नटि जाय।

भक्ति रस

का स्थाई भाव है दास्य। मुख्य रूप से रस 9 प्रकार के ही माने गए हैं परंतु हमारे आचार्यों द्वारा इस रस को स्वीकार किया गया है। इस रस में प्रभु की भक्ति और उनके गुणगान को देखा जा सकता है।

जैसेएक भरोसो एक बल, एक आस विश्वास, एक राम घनश्याम हित, चातक तुलसीदास।

"वीरों का कैसा हो वसंत" उपर्युक्त पंक्ति में किस रस की प्रधानता है?

  1. श्रृंगार रस
  2. करूण रस 
  3. वीर रस
  4. रौद्र रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वीर रस

वीर रस Question 8 Detailed Solution

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"वीरों का कैसा हो वसंत" उपर्युक्त पंक्ति में वीर रस की प्रधानता है। 

Key Pointsवीर रस-

  • जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता का अनुभव होता है,वहाँ वीर रस होता है। 
  • इसका स्थायी भाव उत्साह है।
  • उदाहरण-
    • बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी। 

Important Pointsशृंगार रस-

  • नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस कि अवस्था में पहुँच जाता है तो वह शृंगार रस कहलाता है।
  • इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है।
  • इसके दो भेद है-
    • संयोग शृंगार रस
    • वियोग शृंगार रस 
  • उदाहरण-
    • एक पल मेरे प्रिया के दृग-पलक
      थे उठे ऊपर सहज नीचे गिरे
      चपलता ने इस विकंपित पुलक से
      दृढ़ किया मानो प्रणय सम्बन्ध था।

करुण रस-

  • जिस रस के आस्वादन से हृदय में शोक का आविर्भाव हो,उसे करुण रस कहते है। 
  • स्थायी भाव- शोक 
  • संचारी भाव- मोह,विषाद,अश्रु,अपस्मार,उन्माद आदि। 
  • गुण- माधुर्य 
  • विरोधी रस- हास्य और शृंगार रस। 
  • उदाहरण-
    • हाय राम कैसे झेलें हम पनी लज्जा अपना शोक। 
      गया हमारे ही हाथों से अपना राष्ट्र पिता परलोक॥ 

रौद्र रस-

  • जिस रस के आस्वादन से क्रोध प्रकट हो, उसे रौद्र रस कहते है। 
  • स्थायी भाव-क्रोध 
  • संचारी भाव-मद, गर्व, वितर्क, उग्रता आदि। 
  • उदाहरण-
    • श्री कृष्ण के सुन वचन, अर्जुन क्रोध से जलने लगे।
      सब शोक अपना भूल कर, करतल युगल मलने लगे।।

आदिकालीन कविता का प्रधान रस कौन सा है?

  1. श्रृंगार रस
  2. रौद्र रस
  3. करुण रस
  4. वीर रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : वीर रस

वीर रस Question 9 Detailed Solution

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आदिकालीन कविता का प्रधान रस: वीर रस सही उत्तर है।

Key Points

  • रामचन्द्र शुक्ल:"हिंदी साहित्य का आदिकाल संवत् 1050 से लेकर संवत् 1375 तक अर्थात् महाराजा भोज के समय से लेकर हम्मीरदेव के समय से कुछ पीछे तक माना जा सकता है।"

Important Points

  • आदिकाल के अन्य नाम-
नाम प्रयोक्ता
चारण काल जार्ज ग्रियर्सन
वीरगाथा काल रामचन्द्र शुक्ल
आदिकाल हज़ारीप्रसाद द्विवेदी
सिद्ध सामन्त काल राहुल सांकृत्यायन

Additional Information

  • रस का अर्थ है-आस्वाद।
  • भरतमुनि ने रसों की संख्या अभिनव गुप्त ने संख्या 9 मानी है।
  • रस और उनके स्थायी भाव इस प्रकार हैं-
रस स्थायी भाव
हास्य रस हास
करुण रस शोक
वीर रस उत्साह
वीभत्स रस जुगुप्सा
रौद्र रस क्रोध

वीर रस का स्थायी भाव हैः

  1. शोक
  2. भय
  3. उत्साह
  4. निर्वेद

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : उत्साह

वीर रस Question 10 Detailed Solution

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दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प उत्साह’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।

Key Points

  • वीर रस का स्थायी भाव ‘उत्साह’ है।
  • किसी रचना या वाक्य से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।

Additional Information

रस

काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है।  हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

रस और उनके स्थायीभाव -

रस

स्थायी भाव

शृंगार रस

रति

हास्य रस

हास

करुण रस

शोक

रौद्र रस

क्रोध

वीर रस

उत्साह

भयानक रस

भय

वीभत्स रस

जुगुप्सा

अद्भुत रस

विस्मय

शांत

निर्वेद

‘चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,

बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,

खूब लडी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी ||’

इन पंक्तियों में कौन सा रस है?

  1. वीभत्स रस
  2. वीर रस
  3. रौद्र रस
  4. करूण रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : वीर रस

वीर रस Question 11 Detailed Solution

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उपर्युक्त पंक्तियों में वीर रस हैं। अन्य विकल्प असंगत हैं। 
  • अतः सही विकल्प 2 ‘वीर रस है। 

Key Points

  • ‘चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी,  
  • बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
  • खूब लडी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी ||’
  • इन पंक्तियों में वीर रस है, कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने  झाँसी की रानी द्वारा स्वतंत्रता संग्राम के युद्ध का वर्णन किया है।
  • युद्ध अथवा किसी कठिन कार्य को करने के लिए हृदय में निहित ‘उत्साह’ स्थायी भाव के जाग्रत होने के प्रभावस्वरूप जो भाव उत्पन्न होता है, उसे वीर रस कहा जाता है। 

अन्य विकल्प - 

वीभत्स रस

बीभत्स रस घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है। 

रौद्र रस

दुष्ट के अत्याचार, अपने अपमान आदि के कारण जाग्रत क्रोध स्थायी भाव का विभावादि मे पुष्ट होकर रौद्र रस रूप मे परिपाक होता हैं। 

करूण रस 

किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जागे शोक स्थायी भाव का विभावादि से पुष्ट होने पर करूण रस परिपाक होता हैं।  

Additional Information

रस 

रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।

'वीर रस' का स्थायीभाव होता है -

  1. रति
  2. कर शोक
  3. क्रोध
  4. उत्साह

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : उत्साह

वीर रस Question 12 Detailed Solution

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'वीर रस' का स्थायीभाव होता है - उत्साह न्य सभी विकल्प असंगत है। 

Key Points

  • 'वीर रस' का स्थायीभाव होता है - उत्साह
  • जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है। 

उदाहरण -

  • बुंदेले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी।
  • खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।।

Important Pointsरस के ग्यारह भेद होते है-

रस स्थायी भाव
शृंगार रति
हास्य हास
करुण शोक
रौद्र क्रोध
वीर उत्साह
भयानक भय
अद्भुत आश्चर्य
वीभत्स जुगुप्सा, ग्लानि
शान्त निर्वेद
वात्सल्य वत्सलता
भक्ति अनुराग

Additional Information

रस उदाहरण
रस का शाब्दिक अर्थ है ‘आनन्द’। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे ‘रस’ कहा जाता है। बुरे समय को देख कर गंजे तू क्यों रोय।
किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय। (हास्य)

वह खून कहो किस मतलब का

जिसमें उबाल का नाम नहीं।

वह खून कहो किस मतलब का

आ सके देश के काम नहीं।

दी गई पंक्ति में कौन-सा रस है? 

  1. करुण रस  
  2. हास्य रस 
  3. शांत रस 
  4. वीर रस 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : वीर रस 

वीर रस Question 13 Detailed Solution

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उपर्युक्त पंक्तियों में "वीर रस" है। अन्‍य व‍िकल्‍प असंगत हैं। 

Key Points

वह खून कहो किस मतलब का

जिसमें उबाल का नाम नहीं।

वह खून कहो किस मतलब का

आ सके देश के काम नहीं।

  • उपर्युक्त पंक्तियों में वीर रस है। यहॉं पर वीर रस है। 
  • भावार्थ- खून कहो किस मतलब का जिसमें जीवन, न रवानी है जो परवश होकर बहता है, वह खून नहीं,पानी है। अत: यहॉं पर वीर रस है। 
रस  परिभाषा  उदहारण
वीर रस  जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है। वीर रस का स्‍थाई भाव उत्‍साह है। 
बुन्देलों हरबोलो के मुह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मरदानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥

Additional Information

रस- रस एक प्रकार का आनन्‍द है, काव्‍य पढ़ने या नाटक देखने से जो विशेष प्रकार का आनन्‍द प्राप्‍त होता है। उसे रस कहा जाता है। हिन्‍दी में 'स्‍थायी भाव' के आधार पर काव्‍य में नौ रस बताये गए हैं, जो इस प्रकार हैं:- 
क्रम संख्‍या  रस  स्‍थायी भाव 
1. श्रृंगार रस  रति 
2. हास्‍य रस  हास 
3. करूण रस  शोक 
4. रौद्र रस क्रोध 
5. वीर रस  उत्‍साह 
6. भयानक रस  भय 
7. वीभत्‍स रस  जुगुप्‍सा 
8. अद्भुत रस   विस्‍मय 
9. शांत रस  निर्वेद 

इसके अलावा दो रस और माने जाते हैं। वे हैं- 

10. वात्सल्य रस  वात्‍सल्‍य 
11. भक्ति रस  वैराग्‍य 

वीर रस का स्थायी भाव है-

  1. उत्साह
  2. भय
  3. विस्मय
  4. क्रोध

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : उत्साह

वीर रस Question 14 Detailed Solution

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वीर रस का स्थायी भाव है- उत्साह

Key Points

  • वीर रस' का स्थायी भाव 'उत्साह' होता है।
  • इस रस के अंतर्गत जब युद्ध अथवा कठिन कार्य को करने के लिए मन में जो उत्साह की भावना विकसित होती है, उसे ही वीर रस कहते हैं।
  • इसमें शत्रु पर विजय प्राप्त करने, यश प्राप्त करने आदि प्रकट होती है इसका स्थायी भाव उत्साह होता है।
  • उदाहरण -
    • बुंदेले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी।
    • खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।।

Additional Information 

रस- काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रस कहा जाता है।

क्र. म 

रस

स्थायी भाव

1.

शृंगार रस

रति

2.

हास्य रस

हास

3.

करुण रस

शोक

4.

रौद्र रस

क्रोध

5.

वीर रस

उत्साह

6.

भयानक रस

भय

7.

वीभत्स रस

जुगुप्सा

8.

अद्भुत रस

विस्मय

9.

शांत रस

निर्वेद

10. वात्सल्य

स्नेह  

11.

भक्ति वैराग्य

वीर रस का स्थाई भाव लिखिए -

  1. उत्साह

  2. रति
  3. शोक
  4. रौद्र

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 :

उत्साह

वीर रस Question 15 Detailed Solution

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वीर रस का स्थाई भाव उत्साह है अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प उत्साह सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।

Key Points
  • वीर रस का स्थाई भाव : उत्साह। 
  • वीर रस का आलंबन (विभाव) : अत्याचारी शत्रु।
Additional Information
  • करुण रस:-
    • इसका स्थायी भाव शोक होता है। 
    • इस रस में किसी अपने का विनाश या अपने का वियोग, द्रव्यनाश एवं प्रेमी से सदैव विछुड़ जाने या दूर चले जाने से जो दुःख या वेदना उत्पन्न होती है उसे करुण रस कहते हैं।
  • रौद्र रस
    • इसका स्थायी भाव क्रोध होता है। 
    • जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दुसरे पक्ष या दुसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि कि निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है उसे रौद्र रस कहते हैं इसमें क्रोध के कारण मुख लाल हो जाना, दाँत पिसना, शास्त्र चलाना, भौहे चढ़ाना आदि के भाव उत्पन्न होते हैं।
  • श्रृंगार रस का स्थाई भाव रति है।
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