हास्य रस MCQ Quiz - Objective Question with Answer for हास्य रस - Download Free PDF
Last updated on Jun 8, 2025
Latest हास्य रस MCQ Objective Questions
हास्य रस Question 1:
नीचे दी गई पंक्तियों में कौन-सा रस है और उसका स्थायी भाव क्या है?
" यमराज बिल्कुल ठीक कह रहे,
वर्क लोड काफी बड़ गया है
भांग - गांजे का नशा भी कम पड़ गया है;
अफीम चरस का दाम काफी बढ़ गया है;
सो कभी-कभी पॉलिथीन भी लेता हूँ।"
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 1 Detailed Solution
इस प्रश्न का सही उत्तर हास्य रस-हास होगा।
अत: सही विकल्प 3 होगा।
- हास्य रस :- किसी वस्तु या व्यक्ति की वेश-भूषा, उसका आकार, चाल-ढाल किसी घटना और भावना से उत्पन्न रस को हास्य रस कहते हैं।
- जैसे- बिहसि लखन बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभर यानी।। पुनि पुनि मोहि देखात कुहारु। चाहत उड़ावन कुंकी पहारू।
Key Points
- रस की परिभाषा:- काव्य को पढ़ने या सुनने से अथवा चिन्तन करने से जिस अत्यंत आनन्द का अनुभव होता है,उसे ही रस कहा जाता है।
- रस का शाब्दिक अर्थ है ‘आनन्द’।
- स्थायी भाव -
स्थायी भाव का अभिप्राय है- प्रधान भाव।
रस की अवस्था तक पहुंचने वाले भाव को प्रधान भाव कहते हैं।
स्थायी भाव काव्य या नाटक में शुरुआत से अंत तक होता है।
Additional Information
- रस और उनके स्थायी भाव -
रस
स्थायी भाव श्रृंगाररति हास्य हास करुण शोक रौद्र रस क्रोध वीर रस उत्साह भयानक भय वीभत्स जुगुप्सा (घृणा) अद्भुत विस्मय शांत निर्वेद
हास्य रस Question 2:
हास्य रस का स्थायीभाव क्या होता है?
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 2 Detailed Solution
हास्य रस का स्थायीभाव होता है- हास
Key Points
- किसी व्यक्ति की अनोखी विचित्र वेशभूषा, रूप, हाव-भाव को देखकर अथवा सुनकर जो हास्यभाव जाग्रत होता है, वही हास्य रस कहलाता है।
- हास्य रस का स्थायी भाव हास है।
- उदाहरण -
- बिना जुर्म के पिटेगा, समझाया था तोय।
- पंगा लेकर पुलिस से, साबित बचा न कोय।।
Important Pointsरस एवं उनके स्थाई भाव -
रस | स्थाई भाव |
---|---|
श्रृंगार | रति / प्रेम |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
वीर | उत्साह |
रौद्र | क्रोध |
भयानक | भय |
वीभत्स | जुगुप्सा / घ्रणा |
अदभुत | विस्मय / या आश्चर्य |
शांत | शम / निर्वेद / वैराग्य / वीतराग |
वत्सल | वात्सल रति |
भक्ति रस | रति / अनुराग |
Additional Information
शांत रस-
उदाहरण -
श्रृंगार रस-
तथा प्रेम संबंधी वर्णन को श्रृंगार रस कहते हैं, श्रृंगार रस को रसराज या रसपति कहा गया है। श्रृंगार रस - इसका स्थाई भाव रति है। उदाहरण -
करुण रस-
उदाहरण-
|
हास्य रस Question 3:
बुरे समय को देख कर गंजे तू क्यों रोय। किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 3 Detailed Solution
सही उत्तर है - हास्य
Key Points
- 'बुरे समय को देखकर गंजे तू क्यों रोय, किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय' यह पंक्ति हास्य रस की है।
- किसी व्यक्ति की अनोखी विचित्र वेशभूषा, रूप, हाव-भाव को देखकर अथवा सुनकर जो हास्यभाव जाग्रत होता है,
- वही हास्य रस कहलाता है। हास्य रस का स्थायी भाव हास है।
- उदाहरण -
- बरतस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय।
- सौंह करै भौंहन हंसै दैन कहै नटिं जाय।।
- (यहाँ पर कृष्ण की मुरली को छुपाने और उसे माँगने पर हंसने और मना करने से हास्य रस उत्पन्न हो रहा है।)
Important Points
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
करुण | शोक |
हास्य | हास |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
रौद्र | क्रोध |
अद्भुत | आश्चर्य , विस्मय |
शांत | निर्वेद या निर्वृती |
वीभत्स | जुगुप्सा |
वात्सल्य | रति |
Additional Information
वीर रस:-
उदाहरण -
संयोग शृंगार:-
उदाहरण-
शान्त रस:-
उदाहरण-
|
हास्य रस Question 4:
बुरे समय को देख कर गंजे तू क्यों रोय। किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 4 Detailed Solution
सही उत्तर है - हास्य
Key Points
- 'बुरे समय को देखकर गंजे तू क्यों रोय, किसी भी हालत में तेरा बाल न बाँका होय' यह पंक्ति हास्य रस की है।
- किसी व्यक्ति की अनोखी विचित्र वेशभूषा, रूप, हाव-भाव को देखकर अथवा सुनकर जो हास्यभाव जाग्रत होता है,
- वही हास्य रस कहलाता है। हास्य रस का स्थायी भाव हास है।
- उदाहरण -
- बरतस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय।
- सौंह करै भौंहन हंसै दैन कहै नटिं जाय।।
- (यहाँ पर कृष्ण की मुरली को छुपाने और उसे माँगने पर हंसने और मना करने से हास्य रस उत्पन्न हो रहा है।)
Important Points
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
करुण | शोक |
हास्य | हास |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
रौद्र | क्रोध |
अद्भुत | आश्चर्य , विस्मय |
शांत | निर्वेद या निर्वृती |
वीभत्स | जुगुप्सा |
वात्सल्य | रति |
Additional Information
वीर रस:-
उदाहरण -
संयोग शृंगार:-
उदाहरण-
शान्त रस:-
उदाहरण-
|
हास्य रस Question 5:
नीचे दी गई पंक्तियों में कौन-सा रस है और उसका स्थायी भाव क्या है?
" यमराज बिल्कुल ठीक कह रहे,
वर्क लोड काफी बड़ गया है
भांग - गांजे का नशा भी कम पड़ गया है;
अफीम चरस का दाम काफी बढ़ गया है;
सो कभी-कभी पॉलिथीन भी लेता हूँ।"
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 5 Detailed Solution
इस प्रश्न का सही उत्तर हास्य रस-हास होगा।
अत: सही विकल्प 3 होगा।
- हास्य रस :- किसी वस्तु या व्यक्ति की वेश-भूषा, उसका आकार, चाल-ढाल किसी घटना और भावना से उत्पन्न रस को हास्य रस कहते हैं।
- जैसे- बिहसि लखन बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभर यानी।। पुनि पुनि मोहि देखात कुहारु। चाहत उड़ावन कुंकी पहारू।
Key Points
- रस की परिभाषा:- काव्य को पढ़ने या सुनने से अथवा चिन्तन करने से जिस अत्यंत आनन्द का अनुभव होता है,उसे ही रस कहा जाता है।
- रस का शाब्दिक अर्थ है ‘आनन्द’।
- स्थायी भाव -
स्थायी भाव का अभिप्राय है- प्रधान भाव।
रस की अवस्था तक पहुंचने वाले भाव को प्रधान भाव कहते हैं।
स्थायी भाव काव्य या नाटक में शुरुआत से अंत तक होता है।
Additional Information
- रस और उनके स्थायी भाव -
रस
स्थायी भाव श्रृंगाररति हास्य हास करुण शोक रौद्र रस क्रोध वीर रस उत्साह भयानक भय वीभत्स जुगुप्सा (घृणा) अद्भुत विस्मय शांत निर्वेद
Top हास्य रस MCQ Objective Questions
"जेहि दिसि बैठे नारद फूली। सो दिसि तेहिं न बिलोकीं भूली॥
पुनि-पुनि मुनि उकसहिं अकुलाहीं। देखि दसा हर गन मुसुकाहीं॥
"उपर्युक्त पंक्तियों में निम्न में से कौन-सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में सही उत्तर 'हास्य रस' है।
Key Points
- उपरोक्त पंक्ति में "हास्य रस" है जिसका स्थायी भाव 'हास' होता है।
- उपरोक्त पंक्ति का भावार्थ- जिस ओर नारद (रूप के गर्व में) फूले बैठे थे, उस ओर उसने भूलकर भी नहीं ताका। नारद मुनि बार-बार उचकते और छटपटाते हैं। उनकी दशा देखकर शिव के गण मुसकराते हैं।
-
काव्य में जहाँ किसी व्यक्ति की विकृत वाणी, आकृति चेष्टा आदि का वर्णन हो जिससे मन में हँसी उत्पन्न होती है, हास्य रस कहलाता है।
Additional Information
रस- रस एक प्रकार का आनन्द है, काव्य पढ़ने या नाटक देखने से जो विशेष प्रकार का आनन्द प्राप्त होता है। उसे रस कहा जाता है। हिन्दी में 'स्थायी भाव' के आधार पर काव्य में नौ रस बताये गए हैं, जो इस प्रकार हैं:- |
क्रम संख्या | रस | स्थायी भाव |
1. | श्रृंगार रस | रति |
2. | हास्य रस | हास |
3. | करूण रस | शोक |
4. | रौद्र रस | क्रोध |
5. | वीर रस | उत्साह |
6. | भयानक रस | भय |
7. | वीभत्स रस | जुगुप्सा |
8. | अद्भुत रस | विस्मय |
9. | शांत रस | निर्वेद |
इसके अलावा दो रस और माने जाते हैं। वे हैं-
10. | वात्सल्य रस | वात्सल्य |
11. | भक्ति रस | वैराग्य |
बुरे समय को देखकर, गंजे तू क्यों रोय,
किसी भी हालत में तेरा, बाल न बांका होय दी गई
पंक्ति में कौन-सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर- हास्य रस होगा।
Key Points
- 'बुरे समय को देखकर, गंजे तू क्यों रोय, किसी भी हालत में तेरा, बाल न बांका होय'- पंक्ति में हास्य रस है।
- किसी वस्तु या व्यक्ति का विचित्र (असंगत) आकार अजीव ढंग की वेशभूषा, बातचीत और ऊटपटांग आभूषणों आदि को देखकर हृदय में जो विनोदपूर्ण भाव उत्पन्न हो जाता है, उसे हास कहते हैं।
Additional Information
अन्य विकल्प
- भयानक रस- किसी भयानक दृश्य को देखने से उत्पन्न भय की परिपक्व अवस्था को भयानक रस कहते हैं। इसका स्थाई भाव भय होता है।
- जैसे- बालधी विशाल, विकराल, ज्वाला-जाल मानौ, लंक लीलिबे को काल रसना परारी है।
- करुण रस- किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं, वह करुण रस होता है।
- जैसे- करि विलाप सब रोबहिं रानी, महाविपति कीमि जाय बखानी। सुनी विलाप दुखद दुख लागा, धीरज छूकर धीरज भागा।
- वीर रस- युद्ध और कठिन कार्य करने के लिए जागा उत्साह भाव विभावादि से पुष्ट होकर वीर रस बन जाता है।
- जैसे- वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो। सामने पहाड़ हो कि सिंह की दहाड़ हो। तुम कभी रुको नहीं, तुम कभी झुको नहीं।
रस का नाम बताओ:
बिंध्य के बासी उदासी तपोब्रतधारी महा बिनु नारि दुखारे |
गोतमतीय तरी, तुलसी, सो कथा सुनि भे मुनिबृन्द सुखारे ||
ह्रैह्रैं सिला सब चन्द्रमुखी परसे पद-मंजुल-कंज तिहारे |
कीन्ही भली रघुनायकजू करूना करि कानन को पगु धारे ||
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त पद्यांश में हास्य रस का भाव है. अत: सही विकल्प 1 'हास्य रस' है. अन्य विकल्प अनुचित उत्तर है।
पंक्तियों का अर्थ-
- विन्ध्याचल में रहनेवाले, परम उदासीन, बड़े तप और व्रत को धारण करनेवाले बिना स्त्री के दुखी थे।
- “गौतम की स्त्री तर गई”, हे तुलसी! यह कथा सुनकर, मुनियों के समूह सुखी हुए।
- तुम्हारे कमल के से पैर के छूने से सब पत्थर चन्द्रमुखी (स्त्री) हो जायेंगी और सबको बिना परिश्रम स्त्रियाँ मिल जायेंगी।
- हे रामचन्द्रजी! आपने भला किया जो कृपा करके वन में पैर रक्खा।
- अतः इन पंक्तियों में उपहास का भाव है। इसलिए हास्य रस है।
Key Points
रस |
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
रस और उनके स्थायी भाव -
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत |
निर्वेद |
"तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप, साज मिले पंद्रह मिनट घंटा भर आलाप।
घंटा भर आलाप, राग में मारा गोता, धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता॥" पंक्ति में कौन-सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFहास्य रस-
- किसी वस्तु या व्यक्ति का विचित्र आकार अजीव ढंग की वेशभूषा, बातचीत और ऊटपटांग आभूषणों आदि को देखकर हृदय में जो विनोदपूर्ण भाव अथवा हंसी आये, उसे हास्य रस कहते हैं।
उदाहरण-
काहू न लखा सो चरित विशेखा । जो सरूप नृप कन्या देखा ।
मरकट बदन भयंकर देही। देखत हृदय क्रोध भा तेही ॥
जेहि दिसि बैठे नारद फूली। सो दिसि तेहि न बिलोकी भूली ॥
पुनि-पुनि उकसहिं अरु अकुलाही। देखि दसा हर-गन मुसुकाही ॥
स्पष्टीकरण
- स्थायी भाव – हास
- आश्रय – शिव के गण
- आलम्बन – वानर की आकृति में नारद
- अनुभाव – नारद को देखना, मुस्कराना, ऊपर को उचकना आदि।
वीर रस-
- जब कोई कार्य करने अथवा किसी रचना आदि के पढने पर मन में जो उत्साह का भाव उत्पन्न होता है, उसे वीर रस कहते हैं।
उदाहरण-
झाँसी वाली रानी थी
बुन्देलों हरबोलो के मुह हमने सुनी कहानी थी।
खूब लड़ी मरदानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥
शांत रस
- हृदय में एक प्रकार की ग्लानि अथवा वैराग्य-सा हो जाता है और संसार का सब-कुछ छोड़कर ईश्वर-भक्ति, ईश गुण-श्रवण, कीर्तन आदि में एक विशेष आनन्द आने लगता है।
उदाहरण-
- लम्बा मारग दूरि घर विकट पंथ बहुमार,
कहौ संतो क्युँ पाइए दुर्लभ हरि दीदार।
'हास्य रस' का स्थायी भाव है_____________|
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDF- ऐसे भाव जो हृदय में संस्कार रूप में स्थित होते हैं,
- जो चिरकाल तक रहने वाले अर्थात् अक्षय, स्थिर और प्रबल होते हैं
- जो रसरूप में परिवर्तित या परिणत होते हैं, स्थायी भाव कहलाते हैं।
Additional Information
विस्मय
- विस्मय अद्भुत रस का स्थायी भाव है
- रस की उत्पत्ति मन की भिन्न-भिन्न प्रवृत्तियों से होती है।
- विभिन्न प्रकार की आवृत्तियों से विविध रसों की उत्पत्ति होती है।
- इन प्रवृत्तियों को रस का स्थायी भाव कहते हैं।
भय
- इस रस के अंतर्गत भय की प्रधानता रहती है।
- अतः यह भय को स्थाई रूप माना गया है ,
- जो किसी बलवान शत्रु या ऐसे संकट को देखकर उत्पन्न होता है ,
- जिसका हम सामना नहीं कर सकते।
वत्सल
- माता का पुत्र के प्रति प्रेम, बड़ों का छोटों के प्रति प्रेम, गुरु का शिष्यों के प्रति प्रेम, बड़े भाई या बहन का छोटे भाई-बहन के प्रति प्रेम स्नेह कहलाता है
- यही स्नेह परिपुष्ट होकर वात्सल्य रस कहलाता है.
- वात्सल्य रस का स्थायी भाव वात्सल्यता (अनुराग) होता है
निम्नलिखित में कौन सा रस है?
मैं वीर हूँ, पहाड़ देख सकता हूँ, पापड़ चकनाचूर कर सकता हूँ,
यदि गुस्सा आए तो कपड़ा मरोड़ सकता हूँ।।Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त पंक्ति में ‘हास्य रस’ है। अतः इसका सही उत्तर विकल्प 4 ‘हास्य रस’ है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
स्पष्टीकरण:
उपरोक्त पंक्तियों से ‘हास’ की प्रतीति हो रही है इलसिए यहाँ पर हास्य रस है।
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
हास्य रस |
किसी वस्तु या व्यक्ति की वेश-भूषा, उसका आकार, चाल-ढाल किसी घटना और भावना से उत्पन्न रस को हास्य रस कहते हैं। |
बिहसि लखन बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभर यानी।। पुनि पुनि मोहि देखात कुहारु। चाहत उड़ावन कुंकी पहारू।। |
अन्य विकल्प:
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
वीर रस |
युद्ध और कठिन कार्य करने के लिए जागा उत्साह भाव विभावादि से पुष्ट होकर वीर रस बन जाता है। |
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी। |
करुण रस |
किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं। |
करि विलाप सब रोबहिं रानी, महाविपति कीमि जाय बखानी। सुनी विलाप दुखद दुख लागा, धीरज छूकर धीरज भागा। |
शांत रस |
शांति रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो। |
चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय। दुइ पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय। |
'सीस पर गंगा हँसे, भुजनि भुजंगा हँसैं, हास ही को दंगा भयो नंगा के विवाह में।' इस वाक्य में कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFKey Points
- सीस पर गंगा हँसे, भुजनि भुजंगा हँसैं, हास ही को दंगा भयो नंगा के विवाह में।
-
इन पंक्तियों में हास्य रस है, इसमें महादेव आलम्बन विभाव, उनका नंगा रूप उद्दपन विभाव, गंगा और नागों का हँसना अनुभाव, वर को देखने को उत्सुक भीड़ का दृश्य देखकर भयभीत होना और भागना आदि संचारी भाव हैं और हास स्थायी भाव है।
-
जहाँ किसी व्यक्ति की विकृत (अटपटी) बाते वेश एवं बनावट, चेष्टा आदि का वर्णन हो जिसे सुनकर या देखकर हँसी उत्पन्न होती हैं, वहाँ हास्य रस होता हैं।
अन्य विकल्प -
रौद्र रस | दुष्ट के अत्याचार, अपने अपमान आदि के कारण जाग्रत क्रोध स्थायी भाव का विभावादि मे पुष्ट होकर रौद्र रस रूप मे परिपाक होता हैं। |
करुण रस | किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जागे शोक स्थायी भाव का विभावादि से पुष्ट होने पर करूण रस परिपाक होता हैं। |
शांत रस |
शान्त रस विषय वैराग्य एवं स्यायी भाव निर्वेद हैं। संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर ह्रदय में विरक्ति उत्पन्न होती है। इस प्रकार के वर्णनो मे शान्त रस होता हैं। |
Additional Information
रस |
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। |
अधिकांशतः "हास्य रस" वाली रचनाओं के लेखक इनमें से कौन है?
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFKey Points
काका हाथरसी -
-
काका हाथरसी हिंदी हास्य कवि थे।
-
उनकी शैली की छाप उनकी पीढ़ी के अन्य कवियों पर तो पड़ी ही, आज भी अनेक लेखक और व्यंग्य कवि काका की रचनाओं की शैली अपनाकर लाखों श्रोताओं और पाठकों का मनोरंजन कर रहे हैं।
-
व्यंग्य का मूल उद्देश्य लेकिन मनोरंजन नहीं बल्कि समाज में व्याप्त दोषों, कुरीतियों, भ्रष्टाचार और राजनीतिक कुशासन की ओर ध्यान आकृष्ट करना है। ताकि पाठक इनको पढ़कर बौखलाये और इनका समर्थन रोके। इस तरह से व्यंग्य लेखक सामाजिक दोषों के ख़िलाफ़ जनमत तैयार करता है और समाज सुधार की प्रक्रिया में एक अमूल्य सहयोग देता है।
-
इस विधा के निपुण विद्वान थे काका हाथरसी, जिनकी पैनी नज़र छोटी से छोटी अव्यवस्थाओं को भी पकड़ लेती थी और बहुत ही गहरे कटाक्ष के साथ प्रस्तुत करती थी।
अन्य विकल्प -
- तुलसीदास - भक्ति रस
- सूरदास - वात्सल्य रस
- कबीरदास - शांत रस
Additional Information
रस |
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। |
इनमें से हास्य रस का उदाहरण कौन सा है:
Answer (Detailed Solution Below)
साज मिले पंद्रह मिनट, घंटा भर आलाप।
घंटा भर आलाप, राग में मारा गोता,
धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता।
हास्य रस Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFतंबूरा ले मंच पर बेठे प्रेमप्रताप,
साज मिले पंद्रह मिनट, घंटा भर आलाप।
घंटा भर आलाप, राग में मारा गोता,
धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता।
पद्यांश में हास्य रस का भाव है. अत: सही विकल्प 3 है. अन्य विकल्प अनुचित उत्तर है.
- हास्य रस - हास्य रस मनोरंजक है। आचार्यों के मतानुसार ‘हास्य’ नामक स्थाई भाव अपने अनुकूल , विभाव , अनुभाव और संचारी भाव के सहयोग से अभिव्यक्त होकर जब आस्वाद का रूप धारण कर लेता है तब उसे हास्य कहा जाता है। सामान्य विकृत आकार-प्रकार वेशभूषा वाणी तथा आंगिक चेष्टाओं आदि को देखने से हास्य रस की निष्पत्ति होती है। यह हास्य दो प्रकार का होता है – १ आत्मस्थ तथा २ परस्य।
अन्य विकल्प
- सदा रहित पावस ऋतु हम पै जब ते स्याम सिधारे। - भक्ति रस
- वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो।
सामने पहाड़ हो कि सिंह की दहाड़ हो।
तुम कभी रुको नहीं, तुम कभी झुको नहीं। - वीर रस - सोक बिकल सब रोवहिं रानी।
रूपुसीलु बलु तेजु बखानी।।
करहिं विलाप अनेक प्रकारा।।
परिहिं भूमि तल बारहिं बारा।। - करुण रस
रस - रस काव्य का मूल आधार ‘ प्राणतत्व ‘ अथवा ‘ आत्मा ‘ है रस का संबंध ‘ सृ ‘ धातु से माना गया है। जिसका अर्थ है जो बहता है , अर्थात जो भाव रूप में हृदय में बहता है उसे को रस कहते हैं।एक अन्य मान्यता के अनुसार रस शब्द ‘ रस् ‘ धातु और ‘ अच् ‘ प्रत्यय के योग से बना है। जिसका अर्थ है – जो वहे अथवा जो आश्वादित किया जा सकता है। रस निष्पत्ति अर्थात विभाव अनुभाव और संचारी भाव के सहयोग से ही रस की निष्पत्ति होती है , किंतु साथ ही वे स्पष्ट करते हैं कि स्थाई भाव ही विभाव , अनुभाव और संचारी भाव के सहयोग से स्वरूप को ग्रहण करते हैं।
‘हास्य रस’ का स्थायी भाव है _____ ।
Answer (Detailed Solution Below)
हास्य रस Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFहास, यहाँ सही विकल्प है। हास्य रस का स्थायी भाव हास है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः विकल्प 2 ‘हास’ यहाँ सही उत्तर होगा।
मुख्यतः 4 प्रकार के हास
माने गये है-
- मन्दहास
- कलहास
- अतिहास
- परिहास