शृंगार रस MCQ Quiz - Objective Question with Answer for शृंगार रस - Download Free PDF
Last updated on Jun 12, 2025
Latest शृंगार रस MCQ Objective Questions
शृंगार रस Question 1:
निम्नलिखित पंक्तियों में कौन सा रस है?
सखियाँ हरि दरसन की भूखी।
कैसे रहें रूप रस राँची, ए बतियाँ सुनि रूखी।
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 1 Detailed Solution
दी गयी पंक्तियों में वियोग श्रृंगार रस है। ‘वियोग श्रृंगार रस’ अर्थात ‘जहां जहां नायक-नायिका की वियोगावस्था (विरह) का वर्णन होता है वहां वियोग श्रृंगार होता है। यहाँ गोपियों की व्यथा का चित्रण है जिसमें वियोग रस का भाव व्यक्त हो रहा है। अतः सही विकल्प वियोग श्रृंगार रस है।
अन्य विकल्प
रस |
परिभाषा |
वीर रस |
जहां विषय और वर्णन में उत्साह युक्त वीरता के भाव को प्रदर्शित किया जाता है वहां वीर रस होता है। |
शांत रस |
तत्वज्ञान और वैराग्य से शांत रस की उत्पत्ति मानी गई है , इसका स्थाई भाव ‘ निर्वेद ‘ या शम है। जो अपने अनुरूप विभाव , अनुभाव और संचारी भाव से संयुक्त होकर आस्वाद का रूप धारण करके शांत रस रूप में परिणत हो जाता है। |
संयोग श्रृंगार रस |
संयोग श्रृंगार के अंतर्गत नायक – नायिका के परस्पर मिलन प्रेमपूर्ण कार्यकलाप एवं सुखद अनुभूतियों का वर्णन होता है। |
विशेष
श्रृंगार रस ‘ रसों का राजा ‘ एवं महत्वपूर्ण प्रथम रस माना गया है। विद्वानों के मतानुसार श्रृंगार रस की उत्पत्ति ‘ श्रृंग + आर ‘ से हुई है। इसमें ‘श्रृंग’ का अर्थ है – काम की वृद्धि तथा ‘आर’ का अर्थ है प्राप्ति। अर्थात कामवासना की वृद्धि एवं प्राप्ति ही श्रृंगार है इसका स्थाई भाव ‘रति’ है। इसके दो भेद हैं – संयोग श्रृंगार रस, वियोग श्रृंगार रस |
शृंगार रस Question 2:
बतरस लालच लाल की, मुरली धरि लुकाये।
सौंह करे, भौंहनि, दैन कहै, नटि जाये। - में कौन-से रस की अभिव्यक्ति हुई है?
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 2 Detailed Solution
सही विकल्प श्रृंगार रस है। अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
- बतरस लालच लाल की, मुरली धरि लुकाये। सौंह करे, भौंहनि, दैन कहै, नटि जाये। में श्रृंगार रस है।
तत्व | व्याख्या |
श्रृंगार रस |
नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस कि अवस्था में पहुँच जाता है तो वह श्रृंगार रस कहलाता है। इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है। इसके दो भेद है-
|
पंक्तियों का अर्थ |
गोपियाँ अपने परम प्रिय कृष्ण से बातें करने का अवसर खोजती रहती हैं। इसी बतरस (बातों के आनंद) को पाने के प्रयास में उन्होंने कृष्ण की वंशी को छिपा दिया है। कृष्ण वंशी के खो जाने पर बड़े व्याकुल हैं। वे गोपियों से वंशी के बारे में पूछते हैं तो गोपियाँ (झूठी) सौगंध खाकर कहती हैं कि उन्हें वंशी के बारे में कुछ पता नहीं। साथ ही वे भौंहों के संकेतों में मुसकराती भी जाती हैं कृष्ण को लगता है कि वंशी इन्हीं के पास है। किन्तु जब वह वंशी लौटाने को कहते हैं तो गोपियाँ साफ मना कर देती हैं। |
Additional Information
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
वीर रस |
वीर रस जिस प्रसंग अथवा काव्य में वीरता युक्त भाव प्रकट हो , जिसके माध्यम से उत्साह का प्रदर्शन किया गया हो वहां वीर रस होता है। वीर रस शरीर में उत्साह का संचार करते हुए गर्व की अनुभूति कराने में सक्षम है। |
फहरी ध्वजा, फड़की भुजा, बलिदान की ज्वाला उठी। निज जन्मभू के मान में, चढ़ मुण्ड की माला उठी।।
|
शांत रस |
शांत रस का स्थायी भाव निर्वेद होता है। शांत रस में तत्व ज्ञान कि प्राप्ति या संसार से वैराग्य मिलने पर, परमात्मा के वास्तविक रूप का ज्ञान प्राप्त होने पर मन को जो शान्ति मिलती है, वहाँ पर शान्त रस की उत्पत्ति होती है। |
ए जब मै था तब हरि नाहिं अब हरि है मै नाहिं। सब अँधियारा मिट गया जब दीपक देख्या माहिं।। |
करुण रस |
प्रिय वस्तु या इष्ट वस्तु के नाश से जो क्षोभ होता है, उसे शोक कहते हैं। यही शोक नामक स्थायी भाव ज़ब विभाव, अनुभाव और व्यभिचारी भावों के संयोग से रस रूप में परिणत होता है, उसे करुण रस कहते हैं। |
” राम राम कही राम कही राम राम कही राम , तनु परिहरि रघुवर बिरह राउ गयऊ सुरधाम। |
शृंगार रस Question 3:
श्रृंगार रस का स्थायी भाव कौन-सा है?
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 3 Detailed Solution
श्रृंगार रस का स्थायी भाव है- रति
Key Points
- जहाँ पर नायक और नायिका के सौंदर्य तथा प्रेम संबंधी वर्णन को श्रृंगार रस कहते हैं, श्रृंगार रस को रसराज या रसपति कहा गया है।
- श्रृंगार रस - इसका स्थाई भाव रति है।
- उदाहरण -
- बतरस लालि लाल की, मुरली धरी लुकाय।
- सौंह करै भौंहचन हँसै, दैन कहै नचह जाय।।
Important Points
रस एवं उनके स्थाई भाव -
रस | स्थाई भाव |
---|---|
श्रृंगार | रति / प्रेम |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
वीर | उत्साह |
रौद्र | क्रोध |
भयानक | भय |
वीभत्स | जुगुप्सा / घ्रणा |
अदभुत | विस्मय / या आश्चर्य |
शांत | शम / निर्वेद / वैराग्य / वीतराग |
वत्सल | वात्सल रति |
भक्ति रस | रति / अनुराग |
Additional Information
करूण रस-
उदाहरण-
भयानक रस-
उदाहरण -
हास्य रस-
उदाहरण -
|
शृंगार रस Question 4:
“बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय।
सौंह करे भौंहनि हँसे, देन कहे नटि जाय।।”
इन पंक्तियों में कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 4 Detailed Solution
“बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय। सौंह करे भौंहनि हँसे, देन कहे नटि जाय।।” इन पंक्तियों में शृंगार रस है।
श्रृंगार रस-
- नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस कि अवस्था में पहुँच जाता है तो वह श्रृंगार रस कहलाता है।
- इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है।
- इसके दो भेद है-
- संयोग श्रृंगार रस
- वियोग श्रृंगार रस
Key Points“बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय। सौंह करे भौंहनि हँसे, देन कहे नटि जाय।।”
- पंक्तियों का अर्थ है-
- गोपियाँ अपने परम प्रिय कृष्ण से बातें करने का अवसर खोजती रहती हैं।
- इसी बतरस (बातों के आनंद) को पाने के प्रयास में उन्होंने कृष्ण की वंशी को छिपा दिया है।
- कृष्ण वंशी के खो जाने पर बड़े व्याकुल हैं।
- वे गोपियों से वंशी के बारे में पूछते हैं तो गोपियाँ (झूठी) सौगंध खाकर कहती हैं कि उन्हें वंशी के बारे में कुछ पता नहीं।
- साथ ही वे भौंहों के संकेतों में मुसकराती भी जाती हैं कृष्ण को लगता है कि वंशी इन्हीं के पास है।
- किन्तु जब वह वंशी लौटाने को कहते हैं तो गोपियाँ साफ मना कर देती हैं।
- यह दोहा बिहारी द्वारा रचित है।
Important Pointsबिहारी-
- जन्म-1595-1663 ई.
- रचना - सतसई
- दोहा छंद में रचित मुक्तक काव्य।
- 719 दोहों में रचना का वर्णन।
Additional Informationवीर रस-
- जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता का अनुभव होता है,वहाँ वीर रस होता है।
- इसका स्थायी भाव उत्साह है।
- उदाहरण-
- बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।
करुण रस-
- किसी अपने के विनाश या उससे हमेशा के लिए बिछड़ने के भाव से उत्त्पन होने वाला दुःख,पीड़ा करुण रस कहलाता है।
- उदाहरण-
- राम राम कही राम कहि राम राम कहि राम ।
तनु परिहरि रघुबर बिरह राउ गयऊ सुरधाम ।।
- राम राम कही राम कहि राम राम कहि राम ।
हास्य रस-
- किसी पदार्थ या व्यक्ति की असाधारण आकृति,वेशभूषा,चेष्टा आदि को देखकर हृदय में जो विनोद का भाव जाग्रत होता है,उसे हास कहा जाता है।
- यही हास जब विभाव,अनुभाव तथा संचारी भावों से पुष्ट हो जाता है तो उसे ‘हास्य रस’ कहते है।
- हास्य रस का स्थायी भाव हास है।
- उदाहरण-
- “नाना वाहन नाना वेषा। विंहसे सिव समाज निज देखा॥
कोउ मुखहीन, बिपुल मुख काहू बिन पद कर कोड बहु पदबाहू॥’
- “नाना वाहन नाना वेषा। विंहसे सिव समाज निज देखा॥
शृंगार रस Question 5:
नहीं पराग नहीं मधुर मधु, नहिं विकास नहिं काल ।
कल ही बिंध्यो, आगे कौन ध्वाल" उपर्युक्त पंक्तियों में कौन-सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 5 Detailed Solution
नहीं पराग नहीं मधुर मधु, नहिं विकास नहिं काल ।
कल ही बिंध्यो, आगे कौन ध्वाल" उपर्युक्त पंक्तियों में रस है- श्रृंगार रस
Key Points
- इन पंक्तियों में वियोग का दर्द और विरह के फलस्वरूप उत्पन्न उदासी को दर्शाया गया है, जो वस्त्रण और माधुर्य जैसे तत्वों से युक्त है।
- इसलिए, सही है कि इन पंक्तियों में श्रृंगार रस (विशेषतः वियोग श्रृंगार) विद्यमान है।
- जहाँ पर नायक और नायिका के सौंदर्य तथा प्रेम संबंधी वर्णन को श्रृंगार रस कहते हैं, श्रृंगार रस को रसराज या रसपति कहा गया है।
- श्रृंगार रस - इसका स्थाई भाव रति है। श्रृंगार रस को दो भागों में विभाजित किया जाता है:
- संयोग श्रृंगार: जब प्रेमी और प्रेमिका का मिलन होता है।
- वियोग श्रृंगार: जब प्रेमी और प्रेमिका का वियोग, दूर हो जाना या बिछड़ना होता है।
- उदाहरण -
- आँखों में प्रियमूर्ति थी, भूले थे सब भोग।
- हुआ योग से भी अधिक, उनका विषम वियोग।
Important Points
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
करुण | शोक |
हास्य | हास |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
रौद्र | क्रोध |
अद्भुत | आश्चर्य , विस्मय |
शांत | निर्वेद या निर्वृती |
वीभत्स | जुगुप्सा |
वात्सल्य | रति |
Additional Information
करूण रस-
उदाहरण-
भयानक रस-
उदाहरण -
हास्य रस-
उदाहरण -
|
Top शृंगार रस MCQ Objective Questions
निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें जो बताता है कि संयोग और वियोग किस रस के रूप है ?
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFसंयोग और वियोग शृंगार रस के रूप है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही उत्तर विकल्प 3 शृंगार होगा ।
Additional Information
रस |
||
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनंद'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनंद की अनुभूति होती है, |
||
रस के चार अंग है- |
||
वस्तुतः रस के ग्यारह भेद होते है- |
||
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
शृंगार रस |
आचार्य भोजराज ने 'श्रृंगार' को 'रसराज' कहा है। जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से रति स्थायी भाव आस्वाद्य हो जाता है तो उसे श्रृंगार रस कहते हैं। |
'चितवत चकित चहूँ दिसि सीता। |
वत्सल रस |
वात्सल्य रस का सम्बन्ध छोटे बालक-बालिकाओं के प्रति माता-पिता एवं सगे-सम्बन्धियों का प्रेम एवं ममता के भाव से है। |
किलकत कान्ह घुटुरुवनि आवत। |
भयानक रस |
भयप्रद वस्तु या घटना देखने सुनने अथवा प्रबल शत्रु के विद्रोह आदि से भय का संचार होता है। यही भय स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में परिपुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है तो वहाँ भयानक रस होता है। |
एक ओर अजगरहिं लखि, एक ओर मृगराय। |
अदभुत रस |
अलौकिक, आश्चर्यजनक दृश्य या वस्तु को देखकर सहसा विश्वास नहीं होता और मन में स्थायी भाव विस्मय उत्पन्न होता हैं। |
अम्बर में कुन्तल जाल देख, |
“बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय।
सौंह करे भौंहनि हँसे, देन कहे नटि जाय।।”
इन पंक्तियों में कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF“बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय। सौंह करे भौंहनि हँसे, देन कहे नटि जाय।।” इन पंक्तियों में शृंगार रस है।
श्रृंगार रस-
- नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस कि अवस्था में पहुँच जाता है तो वह श्रृंगार रस कहलाता है।
- इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है।
- इसके दो भेद है-
- संयोग श्रृंगार रस
- वियोग श्रृंगार रस
Key Points“बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय। सौंह करे भौंहनि हँसे, देन कहे नटि जाय।।”
- पंक्तियों का अर्थ है-
- गोपियाँ अपने परम प्रिय कृष्ण से बातें करने का अवसर खोजती रहती हैं।
- इसी बतरस (बातों के आनंद) को पाने के प्रयास में उन्होंने कृष्ण की वंशी को छिपा दिया है।
- कृष्ण वंशी के खो जाने पर बड़े व्याकुल हैं।
- वे गोपियों से वंशी के बारे में पूछते हैं तो गोपियाँ (झूठी) सौगंध खाकर कहती हैं कि उन्हें वंशी के बारे में कुछ पता नहीं।
- साथ ही वे भौंहों के संकेतों में मुसकराती भी जाती हैं कृष्ण को लगता है कि वंशी इन्हीं के पास है।
- किन्तु जब वह वंशी लौटाने को कहते हैं तो गोपियाँ साफ मना कर देती हैं।
- यह दोहा बिहारी द्वारा रचित है।
Important Pointsबिहारी-
- जन्म-1595-1663 ई.
- रचना - सतसई
- दोहा छंद में रचित मुक्तक काव्य।
- 719 दोहों में रचना का वर्णन।
Additional Informationवीर रस-
- जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता का अनुभव होता है,वहाँ वीर रस होता है।
- इसका स्थायी भाव उत्साह है।
- उदाहरण-
- बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।
करुण रस-
- किसी अपने के विनाश या उससे हमेशा के लिए बिछड़ने के भाव से उत्त्पन होने वाला दुःख,पीड़ा करुण रस कहलाता है।
- उदाहरण-
- राम राम कही राम कहि राम राम कहि राम ।
तनु परिहरि रघुबर बिरह राउ गयऊ सुरधाम ।।
- राम राम कही राम कहि राम राम कहि राम ।
हास्य रस-
- किसी पदार्थ या व्यक्ति की असाधारण आकृति,वेशभूषा,चेष्टा आदि को देखकर हृदय में जो विनोद का भाव जाग्रत होता है,उसे हास कहा जाता है।
- यही हास जब विभाव,अनुभाव तथा संचारी भावों से पुष्ट हो जाता है तो उसे ‘हास्य रस’ कहते है।
- हास्य रस का स्थायी भाव हास है।
- उदाहरण-
- “नाना वाहन नाना वेषा। विंहसे सिव समाज निज देखा॥
कोउ मुखहीन, बिपुल मुख काहू बिन पद कर कोड बहु पदबाहू॥’
- “नाना वाहन नाना वेषा। विंहसे सिव समाज निज देखा॥
रसों का राजा किस रस को माना जाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर 'शृंगार रस' है।
Key Points
- रसों का राजा शृंगार रस को माना जाता है।
- शृंगार रस - नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस की अवस्था को पहुँचकर आस्वादन के योग्य हो जाता है तो वह 'शृंगार रस' कहलाता है।
- इसके दो प्रकार हैं - संयोग शृंगार रस और वियोग शृंगार रस।
अन्य विकल्प -
रस |
परिभाषा |
करुण रस |
किसी अपने के विनाश, दीर्घकालिक वियोग, द्रव्यनाश या प्रेमी से सदैव के लिए बिछुड़ जाने या दूर चले जाने से जो दुःख या वेदना उत्पन्न होती है, उसे करुण रस कहते हैं। इसका स्थायी भाव शोक है। |
वीर रस |
जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है। |
हास्य रस |
किसी व्यक्ति या पदार्थ की असाधारण वेशभूषा, आकृति, वाणी तथा चेष्टा आदि को देखकर हृदय में जो आनंद (विनोद) का भाव जाग्रत होता है, उसे ही हास कहा जाता है। यही हास जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से पुष्ट हो जाता है तो उसे 'हास्य रस' कहते है। |
Additional Information
रस |
जिसका आस्वादन किया जाये वही रस है। रस का अर्थ आनन्द है अर्थात् काव्य को पढ़ने सुनने या देखने से मिलने वाला आनन्द ही रस है। रस की निष्पत्ति विभाव, अनुभाव, संचारी भाव के संयोग से होती है। |
"रे मन आज परिक्षा तेरी।
सब अपना सौभाग्य मनावें।।
दरस परस निःश्रेयस पावैं।
ऊद्धारक चाहें तो आवें।
यहीं रहे तो आवें।"
किस रस का उदाहरण है-
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 2 'वियोग श्रृंगार रस’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
Key Points
- उपर्युक्त काव्य पंक्ति में गौतम बुद्ध के वन गमन जाने के बाद यशोधरा की स्थिति का वर्णन है।
- यह वियोग शृंगार रस का उदाहरण है।
- यह शृंगार रस का एक भेद है।
- इस रस में नायक – नायिका के मिलन की स्थिति का वर्णन होता आई। इसके दो भेद हैं- संयोग और वियोग।
- उपर्युक्त पंक्तियों का भावार्थ-
- यशोधरा गौतम बुद्ध के आने की प्रतीक्षा में अपने मन को समझाती हुई कहती हैं, कि हे मन आज तेरी परीक्षा की घड़ी है।
- अब तक मेरे प्रिय नही थे तो मै तुझ पर नियंत्रण रखती थी, लेकिन आज तुझे स्वयं पर खुद ही नियंत्रण रखना है, क्योंकि आज सौभाग्य का दिन है।
- आज मेरे प्रिय आ रहे हैं, जिनके दर्शन में मुझे परम सुख प्राप्त होगा। यशोधरा कहते हैं।
- कि मेरे प्रिय मेरे उद्धाकर बनकर जब चाहे आ सकते हैं, उनकी दासी उनका यहीं पर सदैव प्रतीक्षा करती रहेगी।
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
किस रस को 'रसराज' कहा जाता है ?
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFउपरोक्त विकल्पों में से आचार्य भोजराज ने श्रृंगार रस को रसराज कहा गया है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः विकल्प 1 श्रृंगार सही उत्तर है।
Key Points
जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से रति स्थायी भाव आस्वाद्य हो जाता है तो उसे श्रृंगार रस कहते हैं। श्रृंगार रस में सुखद और दुःखद दोनों प्रकार की अनुभूतियाँ होती है। |
Additional Information
रस |
परिभाषा |
हास्य |
विकृत वेशभूषा, क्रियाकलाप, चेष्टा या वाणी देख-सुनकर मन में जो विनोदजन्य उल्लास उत्पन्न होता है, उसे हास्य रस कहते हैं। हास्य रस का स्थायी भाव हास है। |
वीर |
युद्ध अथवा किसी कठिन कार्य को करने के लिए ह्रदय में निहित 'उत्साह' स्थायी भाव के जाग्रत होने के प्रभावस्वरूप जो भाव उत्पन्न होता है, उसे वीर रस कहा जाता है। |
राम को रूप निहारति जानकी कंगन के नग की परछाही।
याते सबे सुधि भूलि गइ, करटेकि रही पल टारत नाही।। पंक्ति में कौन-सा रस है?Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर 'श्रृंगार रस' है।
दिए गए विकल्पों में तुलसीदास द्वारा रचित “राम का रूप निहारती जानकी , कंगन के नग के नग कि परिछाही ll” पंक्ति में वियोग 'श्रृंगार रस' है।
Key Points
विवरण:-
श्रृंगार रस (इसका स्थाई भाव रति (प्रेम) है) |
जिस रस में नायक नायिका के प्रेम, मिलने, बिछुड़ने जैसी क्रियायों का वर्णन हो। |
शांत रस (इसका स्थाई भाव निर्वेद है) |
अनित्य और असार तथा परमात्मा के वास्तविक ज्ञान से विषयों के वैराग्य से उत्पन्न रस परिपक्व होकर शांति में परिणत हो। |
करुण रस (स्थाई भाव शोक है) |
किसी प्रिय व्यक्ति के विरह से उत्पन्न होने वाली शोकावस्था। |
निम्नलिखित पंक्तियों में कौन सा रस है ?
बतरस लालच लाल की, मुरली धरि लुकाय।
सौंह करे, भौंहनि हँसे, दैन कहै, नटि जाय।
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDF-
"बतरस लालच लाल की, मुरली धरि लुकाय।
सौंह करे, भौंहनि हँसे, दैन कहै, नटि जाय।"
-
इन पंक्तियों में शृंगार रस है, इस दोहे में कवि ने गोपियों द्वारा कृष्ण की बाँसुरी चुराए जाने का वर्णन किया है। कवि कहते हैं कि गोपियों ने कृष्ण की मुरली इस लिए छुपा दी है ताकि इसी बहाने उन्हें कृष्ण से बातें करने का मौका मिल जाए।
-
श्रृंगार रस का स्थायी भाव रति हैं। नर और नारी का प्रेम होकर श्रृंगार रस रूप मे परिणत होता हैं। इस रस मे नायक-नायिका के संयोग (मिलन)/ वियोग की स्थिति का वर्णन होता हैं।
अन्य विकल्प -
वात्सल्य रस |
जहाँ शिशु के प्रति प्रेम, स्त्रेह, दुलार आदि का प्रमुखता से वर्णन किया जाता है वहाँ वात्सल्य रस होता है, इसका स्थायी भावं वात्सल हैं। सूरदास ने वात्सल्य रस का सुन्दर निरूपण किया हैं। |
शांत रस |
शान्त रस विषय वैराग्य एवं स्यायी भाव निर्वेद हैं। संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर ह्रदय में विरक्ति उत्पन्न होती है। इस प्रकार के वर्णनो मे शान्त रस होता हैं। |
भक्ति रस |
जहाँ ईश्वर के प्रति प्रेम या अनुराग का वर्णन होता है वहाँ भक्ति रस होता है। भक्ति रस का स्थायी भाव देव रति है। |
रस |
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। |
''निसदिन बरसत नैन हमारे'' इस पंक्ति में किस रस का वर्णन है?
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 4 ‘शृंगार रस’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर होंगे।
Key Points
- ''निसदिन बरसत नैन हमारे'' इस पंक्ति में श्रृंगार रस का वर्णन है।
- शृंगार रस- इसका स्थाई भाव रति होता है, नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस कि अवस्था में पहुँच जाता है, तो वह श्रृंगार रस कहलाता है। इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है। उदहारण-
बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय।
सौंह करै भौंहनु हँसै, दैन कहै नटि जाइ॥
अन्य विकल्प:
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
वीर रस |
जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है। |
बुन्देलों हरबोलो के मुह हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मरदानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ |
भयानक रस |
भयप्रद वस्तु या घटना देखने सुनने अथवा प्रबल शत्रु के विद्रोह आदि से भय का संचार होता है। यही भय स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में परिपुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है तो वहाँ भयानक रस होता है। |
एक ओर अजगरहि लखि, एक ओर मृगराय। विकल बटोही बीच ही, परयों मूरछा खाय।। |
वात्सल्य रस |
इसका स्थायी भाव वात्सल्यता होता है। माता का पुत्र के प्रति प्रेम, बड़ों का बच्चों के प्रति प्रेम, गुरुओं का शिष्य के प्रति प्रेम, बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति प्रेम आदि का भाव स्नेह कहलाता है और यही स्नेह का भाव परिपुष्ट होकर वात्सल्य रस कहलाता है। |
बाल दसा सुख निरखि जसोदा, पुनि पुनि नन्द बुलवाति। अंचरा-तर लै ढ़ाकी सूर, प्रभु कौ दूध पियावति।। |
विशेष:
रस- रस का शाब्दिक अर्थ होता है- आनन्द। किसी काव्य को पढ़ने या सुनने के बाद हमें जो आनंद प्राप्त होता है। वही रस कहलाता है। “रस्यते इति रसः” के अनुसार रस का अर्थ स्वाद से है। |
निसिदिन बरसत नैन हमारे,
सदा रहत पावस ऋतु हम पर जब ते स्याम सिधारे।
उपर्युक्त पंक्ति में कौन-सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त पंक्ति में वियोग श्रृंगार रस है।
Key Points
स्पष्टीकरण:
वियोग श्रृंगार को विप्रलंभ श्रृंगार भी माना गया है। वियोग श्रृंगार की अवस्था वहां होती है , जहां नायक – नायिका पति-पत्नी का वियोग होता है। प्रस्तुत पंक्तियो में गोपिया श्री कृष्ण से कहती है कि हे प्रभु जब से आप गए है तब से हमारी आंखो में वर्षा ऋतु ही रहती है,हमारी आंखो में सदैव आंसू ही रहते है। |
Additional Information
करुण रस (स्थाई भाव शोक है) |
किसी प्रिय व्यक्ति के विरह से उत्पन्न होने वाली शोकावस्था। |
शांत रस (इसका स्थाई भाव निर्वेद है) |
अनित्य और असार तथा परमात्मा के वास्तविक ज्ञान से विषयों के वैराग्य से उत्पन्न रस परिपक्व होकर शांति में परिणत हो। |
हास्य रस (इसका स्थाई भाव हास है) |
जहां विकृत आकार, वेश-भूषा, चेष्टा आदि के वर्णन से हास्य उत्पन्न हो। |
Important Points
विशेष:
रस -
|
'रति' किस रस का स्थायी भाव है?
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFदिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 'शृंगार रस’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
- दिए गए विकल्पों में ‘शृंगार’ रस का स्थायी भाव ‘रति’ है।
- शृंगार रस को रसराज कहा जाता है।
- शृंगार रस का विषय नायक या नायिका है।
- उद्दीपन विभाव – नायिका के कुच, नितम्बादि अंग, एकान्त, वन-उपवन, चन्द्र-ज्यौत्स्ना, वसन्त, पुष्प, नायिका अथवा अनुभाव के चेष्टाएँ – हावभाव, तिरछी चितवन, मुस्कान।
- संचारी भाव – तैंतीस संचारियों में उग्रता, मरण, आलस्य, जुगुप्सा को छोङकर शेष सभी संचारी भाव, मुख्यतः लज्जा, शर्म, चपलता।
अन्य विकल्प:
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-
10. |
वात्सल्य |
स्नेह |
11. |
भक्ति |
वैराग्य |
Additional Information
- काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है।
- हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य के मुख्यत: ‘नौ’ रस बताए गए हैं।