शृंगार रस MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for शृंगार रस - मोफत PDF डाउनलोड करा
Last updated on Mar 22, 2025
Latest शृंगार रस MCQ Objective Questions
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शृंगार रस Question 1:
जिन पंक्तियों में नायक-नायिका का मिलन होता है, वहाँ रस की दृष्टि से कौन-सा शृंगार होता है?
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 1 Detailed Solution
- जिन पंक्तियों में नायक-नायिका का मिलन होता है, वहाँ रस की दृष्टि से संयोग शृंगार होता है।
- जैसे - बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय। कहां करें, भौंहनी हंसे, दैन कहै, नटि जाय।
Key Points
शृंगार रस के दो प्रकार होते हैं :
- संयोग शृंगार और वियोग शृंगार।
- जहां नायक-नायिका की वियोगावस्था (विरह) का वर्णन होता है वहां वियोग श्रृंगार होता है।
जैसे - निस दिन बरसत नैन हमारे। सदा रहत पावस ऋतु हम पे जबते स्याम सिधारे।
Additional Information
- शृंगार रस (इसका स्थाई भाव रति (प्रेम) है) जिस रस में नायक नायिका के प्रेम, मिलने, बिछुड़ने जैसी क्रियायों का वर्णन हो।
शृंगार रस Question 2:
निम्न पंक्तियों में कौन-सा रस है?
अँखियाँ हरि दरसन की भूखी,
कैसे रहें रूप रस रांची ए बतियाँ सुनि रूखी।Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 2 Detailed Solution
‘अँखियाँ हरि दरसन की भूखी, कैसे रहें रूप रस रांची ए बतियाँ सुनि रूखी।’ इस काव्य पंक्ति में ‘विप्रलंभ शृंगार रस’ है। अत: इसका सही उत्तर विकल्प 3 ‘शृंगार रस’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
स्पष्टीकरण:
‘अँखियाँ हरि दरसन की भूखी, कैसे रहें रूप रस रांची ए बतियाँ सुनि रूखी।’ इस काव्य पंक्ति में ‘विप्रलंभ शृंगार रस’ है। इसका स्थायी भाव ‘रति’ है और आलंबन ‘नायक-नायिका’ हैं।
शृंगार रस |
इस रस में नायक – नायिका के मिलन की स्थिति का वर्णन होता है। इसके दो भेद हैं- संयोग और वियोग |
बरतस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय, सौंह करें, भौंहनि हँसे, दें कहे नटि जाए। (संयोग) भूषण वसन विलोकत सीय के प्रेम विवस मन कंप, पुलक तनु नीरज नीर भाए पिय के। (वियोग) |
अन्य विकल्प:
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
शांत रस |
शांति रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो। |
चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय। दुइ पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय। |
वीर रस |
युद्ध या कठिन कार्य करने के लिए जागा उत्साह भाव विभावादि से पुष्ट होकर वीर रस बन जाता है। |
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी। |
करुण रस |
किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं। |
प्रिय पति वह प्राण प्यारा कहाँ है, दुख जलनिधि डूबी का सहारा कहाँ हैं।' |
शृंगार रस Question 3:
"रे मन आज परिक्षा तेरी।
सब अपना सौभाग्य मनावें।।
दरस परस निःश्रेयस पावैं।
ऊद्धारक चाहें तो आवें।
यहीं रहे तो आवें।"
किस रस का उदाहरण है-
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 3 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 2 'वियोग श्रृंगार रस’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
Key Points
- उपर्युक्त काव्य पंक्ति में गौतम बुद्ध के वन गमन जाने के बाद यशोधरा की स्थिति का वर्णन है।
- यह वियोग शृंगार रस का उदाहरण है।
- यह शृंगार रस का एक भेद है।
- इस रस में नायक – नायिका के मिलन की स्थिति का वर्णन होता आई। इसके दो भेद हैं- संयोग और वियोग।
- उपर्युक्त पंक्तियों का भावार्थ-
- यशोधरा गौतम बुद्ध के आने की प्रतीक्षा में अपने मन को समझाती हुई कहती हैं, कि हे मन आज तेरी परीक्षा की घड़ी है।
- अब तक मेरे प्रिय नही थे तो मै तुझ पर नियंत्रण रखती थी, लेकिन आज तुझे स्वयं पर खुद ही नियंत्रण रखना है, क्योंकि आज सौभाग्य का दिन है।
- आज मेरे प्रिय आ रहे हैं, जिनके दर्शन में मुझे परम सुख प्राप्त होगा। यशोधरा कहते हैं।
- कि मेरे प्रिय मेरे उद्धाकर बनकर जब चाहे आ सकते हैं, उनकी दासी उनका यहीं पर सदैव प्रतीक्षा करती रहेगी।
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
शृंगार रस Question 4:
किस रस को 'रसराज' कहा जाता है ?
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 4 Detailed Solution
उपरोक्त विकल्पों में से आचार्य भोजराज ने श्रृंगार रस को रसराज कहा गया है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः विकल्प 1 श्रृंगार सही उत्तर है।
Key Points
जब विभाव, अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से रति स्थायी भाव आस्वाद्य हो जाता है तो उसे श्रृंगार रस कहते हैं। श्रृंगार रस में सुखद और दुःखद दोनों प्रकार की अनुभूतियाँ होती है। |
Additional Information
रस |
परिभाषा |
हास्य |
विकृत वेशभूषा, क्रियाकलाप, चेष्टा या वाणी देख-सुनकर मन में जो विनोदजन्य उल्लास उत्पन्न होता है, उसे हास्य रस कहते हैं। हास्य रस का स्थायी भाव हास है। |
वीर |
युद्ध अथवा किसी कठिन कार्य को करने के लिए ह्रदय में निहित 'उत्साह' स्थायी भाव के जाग्रत होने के प्रभावस्वरूप जो भाव उत्पन्न होता है, उसे वीर रस कहा जाता है। |
शृंगार रस Question 5:
वियोग श्रृंगार का दूसरा नाम क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर है - विप्रलंभ।
Key Points
वियोग श्रृंगार रस:-
- जहाँ रति नामक भाव प्रकर्ष को प्राप्त करे, लेकिन अभीष्ट को न पा सके, वहाँ विप्रलम्भ-श्रृंगार कहा जाता है’
- भानुदत्त का कथन है-‘युवा और युवती की परस्पर मुदित पंचेन्द्रियों के पारस्परिक सम्बन्ध का अभाव अथवा अभीष्ट अप्राप्ति विप्रलम्भ है।
शृंगार रस Question 6:
चितवत चकित चहूँ दिसि सीता I
कहाँ गए नृपकिसोर मन चीता I
लता ओट तब सखिन्ह दिखाए I
श्यामल गौर किसोर सुहाएI
उपरोक्त पंक्तियों में कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 6 Detailed Solution
उपरोक्त पंक्तियों में रस है- संयोग शृंगार रस
- (यहाँ सीता का राम के प्रति जो प्रेम भाव है वह रति स्थायी भाव है, अत: यहाँ पूर्ण संयोग शृंगार रस है।)
संयोग शृंगार रस-
- जब संयोग काल में नायक और नायिका की पारस्परिक मिलन अथवा आलिंगन की अनुभूति होती है, वहाँ संयोग शृंगार रस होता है।
- उदाहरण-
- बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय।
सौंह करे, भौंहनि हँसे, दैन कहै, नटि जाय।। (बिहारी)
- बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय।
Key Pointsपंक्ति के भाव-
- सीता चकित होकर चारों ओर देख रही हैं। मन इस बात की चिंता कर रहा है कि राजकुमार कहाँ चले गए।
- बालमृग-नयनी (मृग के छौने की-सी आँखवाली) सीता जहाँ दृष्टि डालती हैं, वहाँ मानो श्वेत कमलों की कतार बरस जाती है।
Important Pointsशांत रस-
- जहाँ न दुःख होता है, न द्वेष होता है मन सांसारिक कार्यों से मुक्त हो जाता है
- मनुष्य वैराग्य प्राप्त कर लेता है, शान्त रस कहा जाता है।
- उदाहरण-
- मन रे तन कागज का पुतला।
लगे बुद विनसि जाए झण में, गरब करै क्यों इतना।
- मन रे तन कागज का पुतला।
वियोग श्रृंगार रस-
- जहाँ पर नायक-नायिका का परस्पर प्रबल प्रेम हो, लेकिन मिलन नहीं होता है
- अर्थात नायक-नायिका के वियोग का वर्णन होता है, वहाँ पर वियोग श्रृंगार रस होता है।
- वियोग श्रृंगार रस का स्थायी भाव ‘रति’ होता है।
- उदाहरण-
- हौं ही बोरी बिरह बरा, कैे बोरों सब गाउँ।
कहा जानिए कहत है, समिहि सीतकर नाउँ॥
- हौं ही बोरी बिरह बरा, कैे बोरों सब गाउँ।
वात्सल्य रस-
- माता का पुत्र के प्रति प्रेम, बड़ों का बच्चों के प्रति प्रेम, गुरुओं का शिष्य के प्रति प्रेम,
- बड़े भाई का छोटे भाई के प्रति प्रेम, आदि का भाव स्नेह कहलाता है, यह स्नेह का भाव परिपुष्ट होकर वात्सल्य रस कहलाता है।
- वात्सल्य रस का स्थायी भाव ‘वात्सल्यता’ (अनुराग) होता है।
- उदाहरण-
- मैया मैं नहिं माखन खायो।
ख्याल परै ये सखा सबै मिली मेरे मुख लपटायौ।।
- मैया मैं नहिं माखन खायो।
शृंगार रस Question 7:
निम्नलिखित पंक्तियाँ किस रस का उदाहरण हैं?
"बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय।
सौंह करै भौंहनि हँसै, दैन कहै नटि जाय।"
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 7 Detailed Solution
उपर्युक्त पंक्तियों में 'शृंगार रस' है। अन्य विकल्प अनुपयुक्त हैं। अतः सही विकल्प शृंगार रस है।
उपर्युक्त पंक्तियों का अर्थ: - गोपियाँ अपने परम प्रिय कृष्ण से बातें करने का अवसर खोजती रहती हैं। इसी बतरस (बातों के आनंद) को पाने के। प्रयास में उन्होंने कृष्ण की वंशी को छिपा दिया है। कृष्ण वंशी के खो जाने पर बड़े व्याकुल हैं। वे गोपियों से वंशी के बारे में पूछते हैं तो गोपियाँ (झूठी) सौगंध खाकर कहती हैं कि उन्हें वंशी के बारे में कुछ पता नहीं। साथ ही वे भौंहों के संकेतों में मुस्कुराती भी जाती हैं कृष्ण को लगता है। कि वंशी इन्हीं के पास है। किन्तु जब वह वंशी लौटाने को कहते हैं तो गोपियाँ साफ मना कर देती हैं।
विशेष-
(i) कृष्ण और गोपियों के इस सरस परिहास द्वारा, कवि ने संयोग श्रृंगार का सजीव शब्द-चित्र प्रस्तुत कर
दिया है।
(ii) श्रृंगार रस के भाव-अनुभावों का मनोहारी चित्रण हुआ है।
(iii) 'गागर में सागर' भरने की बिहारी लाल की दक्षता प्रमाणित हो रही है।
(iv) अनुप्रास अलंकार को भी स्पर्श है।
Key Points
विशेष
शृंगार रस अर्थात जिस रस में नायक नायिका के प्रेम, मिलने, बिछुड़ने जैसी क्रियायों का वर्णन हो। शृंगार रस का स्थायी भाव प्रेम है। यह रस प्रेम भावनाओं द्वारा उत्पन्न होता है। शृंगार रस के दो भेद होते हैं : |
संयोग शृंगार - जहाँ नायक-नायिका के मिलन का वर्णन होता है वहाँ सहयोग श्रृंगार होता है। जैसे - बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय। कहां करें, भौंहनी हंसे, दैन कहै, नटि जाय। |
वियोग शृंगार - जहां नायक-नायिका की वियोगावस्था (विरह) का वर्णन होता है वहां वियोग शृंगार होता है। जैसे - निस दिन बरसत नैन हमारे। सदा रहत पावस ऋतु हम पे जबते स्याम सिधारे। |
Additional Information
अन्य विकल्प
वात्सल्य रस अर्थात जब स्वयं से छोटे के प्रति स्नेह का भाव होता है। जैसे – माता का पुत्र के प्रति, बड़ों का बच्चों के प्रति, गुरु का शिष्य के प्रति आदि। |
भक्ति रस का स्थायी भाव देव रति है तथा इसमें ईश्वर के प्रति प्रेम का वर्णन किया जाता है। जैसे – मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरों ना कोई, जाके सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई। |
करुण रस - किसी प्रिय व्यक्ति के विनाश, दीर्घकालिक वियोग, द्रव्य नाश या प्रेमी के विरह से उत्पन्न होने वाली शोकावस्था। इसका स्थायी भाव शोक है। जैसे – सोक विकल सब रोंवही रानी। रूपु सीलु बलु तेज बखानी। करहिं मिलाप अनेक प्रकार। परहिं भूमि तल बारहिं बारा। |
शृंगार रस Question 8:
'चितवति चकित चहुँ दिसि मन सीता। कह गए नृप किशोर मन चीता।'
उपर्युक्त काव्य पंक्ति में कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 8 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 3 ‘शृंगार रस’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
- 'चितवति चकित चहुँ दिसि मन सीता। कह गए नृप किशोर मन चीता।' में शृंगार रस है
- यह संयोग शृंगार का उदाहरण है।
- इसमें सीता चकित होकर चारों ओर देख रही हैं। मन इस बात की चिंता कर रहा है कि राजकुमार कहाँ चले गए?
- इसका स्थायी भाव 'रति' है।
- यहाँ आश्रय 'सीता' और आलंबन 'राजकुमार' हैं।
अन्य विकल्प:
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
करुण रस |
किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं। |
करि विलाप सब रोबहिं रानी, महाविपति कीमि जय बखानी। सुनी विलाप दुखद दुख लगा, धीरज छूकर धीरज भागा। |
अद्भुत रस | जब किसी व्यक्ति के मन में अद्भुत या आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर विस्मय, आश्चर्य आदि के भाव उत्पन्न होते हैं तो वहाँ अद्भुत रस होता है | अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लिख मातु।
चकित भई गद्गद बचना, विकसित दृग पुलकातु। |
वीभत्स रस | घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस होता है। | आँखें निकाल उड़ जाते, क्षण भर उड़ कर आ जाते। शव जीभ खींचकर कौवे, चुभला-चभला कर खाते। भोजन में श्वान लगे मुरदे थे भू पर लेटे। खा माँस चाट लेते थे, चटनी सम बहते बेटे। |
- रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'।
- काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।
शृंगार रस Question 9:
नायक-नायिका के मिलन की स्थिति का वर्णन किस रस के अंतर्गत किया जाता है?
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 9 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 4 'शृंगार रस’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
- नायक-नायिका के मिलन की स्थिति का वर्णन होता शृंगार रस के अंतर्गत किया जाता है।
- इस रस का स्थायी भाव 'रति' है।
- इस रस के दो भेद हैं- संयोग शृंगार और वियोग शृंगार।
- संयोग शृंगार -
बरतस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय, सौंह करें, भौंहनि हँसे, देन कहे नटि जाए।
-
वियोग शृंगार -
भूषण वसन विलोकत सीय के प्रेम विवस मन कंप, पुलक तनु नीरज नीर भाए पिय के।
अन्य विकल्प:
- वीर रस - अत्यन्त कठिन कार्य करने के उत्साह से रस की उत्पत्ति होती है। वीर रस के चार प्रकार हैं - युद्धवीर, दानवीर, दयावीर और धर्रमवीर।
- करुण रस - किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं।
- भक्ति रस - इसमें में ईश्वर की अनुरक्ति और अनुराग का वर्णन होता है।
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-
10. |
वात्सल्य |
स्नेह |
11. |
भक्ति |
वैराग्य |
शृंगार रस Question 10:
"थके नयन रघुपति छवि देखे।
पलकन्हिह परिहरि निमेषे।।"
पंक्ति किस रस का उदाहरण है?
Answer (Detailed Solution Below)
शृंगार रस Question 10 Detailed Solution
सही उत्तर है - श्रृंगार रस।
Key Points
- "थके नयन रघुपति छवि देखे।
- पलकनहीः परिहरी निमेशे।।"
- दी गई पंक्तियों में संयोग श्रृंगार रस है।
Additional Information
-
श्रृंगार रस के दो प्रकार होते हैंः संयोग रस, वियोग रस।
संयोग शृंगार |
संयोग; श्रृंगार रस का स्थायी भाव रति हैं। नर और नारी का प्रेम होकर श्रृंगार रस रूप मे परिणत होता हैं। इस रस मे नायक-नायिका के संयोग (मिलन) की स्थिति का वर्णन होता हैं। |
बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय। |
वियोग श्रृंगार |
वियोग ; नायक-नायिका के बिछुड़ने या दूर देश मे रहने की स्थिति का वर्णन, वियोग श्रृंगार की व्यंजना करता हैं। |
भूषन वसन विलोकत सिय के |