कारक MCQ Quiz in मल्याळम - Objective Question with Answer for कारक - സൗജന്യ PDF ഡൗൺലോഡ് ചെയ്യുക

Last updated on Mar 20, 2025

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Latest कारक MCQ Objective Questions

Top कारक MCQ Objective Questions

कारक Question 1:

'रुच्' धातोः योगे कारकं भवति -

  1. अपादानम्‌
  2. कर्म
  3. करणम्‌ 
  4. सम्प्रदानम्‌

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : सम्प्रदानम्‌

कारक Question 1 Detailed Solution

प्रश्नानुवाद - 'रुच्' धातु के योग में कारक होता है-

स्पष्टीकरण -

  • ‘रुच्यार्थानां प्रीयमाणः’ सूत्र से रुच् तथा रुच् के अर्थ वाली धातुओं के योग में प्रसन्न होने वाले की सम्प्रदान संज्ञा होती है और ‘सम्प्रदाने चतुर्थी’ से उसमें चतुर्थी विभक्ति होती है। जैसे-
    • शिशवे क्रीडनकं रोचते।
    • मह्यं संस्कृतं रोचते।
    • बालकाय मोदकं रोचते।
    • छात्रेभ्यः परीक्षां न रोचते।

 

अतः स्पष्ट है कि 'रुच्' धातु के योग में सम्प्रदान कारक होता है।

कारक Question 2:

'उपन्वध्याङ्वसः' से कारक होता है 

  1. करण
  2. कर्ता
  3. कर्म
  4. सम्प्रदान

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : कर्म

कारक Question 2 Detailed Solution

कारक- किसी वाक्य क्रिया को पूर्ण होने में जो सहायता कर्ता है उसे कारक है। ऐसे कारक के ६ प्रकार है।

  1. कर्ता
  2. कर्म
  3. करण
  4. सम्प्रदान
  5. अपादान
  6. अधिकरण

Important Points

सूत्र- उपान्वध्याङ्वसः

स्पष्टीकरण- इस सूत्र अंतर्गत बताया गया है अगर किसी शब्द के सम्बन्ध में 'उप', 'अनु', 'अधि' इनके योग से शब्द को कर्म संज्ञा मिलती है। इनके साथ अगर 'अभितः', 'परितः', 'समया', 'निकषा', 'हा', 'प्रति', 'उभयतः', 'सर्वतः', 'धिक्', 'उपरि', 'अधः' के योग में भी शब्द को कर्म संज्ञा मिलती है। 'कर्मणि द्वितीया' के बाद शब्द की द्वितीया की योजना होती है।

उदाहरण -

  • ग्रामम् उपवसति सेना। 
  • ग्रामम् अनुवसति सेना। 
  • ग्रामम् अधिवसति सेना। 

इससे स्पष्ट होता है की 'उपान्वध्याङ्वसः' से कर्म कारक होता है।

कारक Question 3:

'मोक्षे इच्छाऽस्ति' इत्यत्र कः आधारः प्रयुक्तः ?

  1. अभिव्यापकः
  2. वैषयिकः
  3. औपश्लेषिकः
  4. बाह्यः

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : वैषयिकः

कारक Question 3 Detailed Solution

प्रश्न का अनुवाद- मोक्षे इच्छाऽस्ति इसका आधार कौनसा है?

स्पष्टीकरण- 'मोक्षे इच्छाऽस्ति' इस वाक्य में ‘आधारोऽधिकरणम्’ सूत्र से अधिकरण कारक होता है। इस सूत्र के अनुसार कर्ता और क्रियापद के संबध को अधिकरण कहते हैं। अधिकरण साक्षात क्रिया का आधार नही होता परन्तु कर्ता या कर्म के द्वारा क्रिया का आधार होता है।

संस्कृत व्याकरण में पाणिनि आदि मुनियों ने आधार तीन प्रकार का बताये हैं -

  • औपश्लेषिक आधार:- जहाँ किञ्चित् क्षण के लिए संयोग हो। जैसे-
    • वयं कक्षायां तिष्ठामः। (हम कक्षा में बैठते हैं।)
  • अभिव्यापक आधार:- जहाँ हमेशा का संयोग हो। जैसे:-
    • सर्वस्मिन् आत्मा अस्ति। (सबमें आत्मा रहती है।)
  • वैषयिक आधार:- किसी विषय विशेष का उल्लेख होने पर। जैसे:-
    • मम गणिते रुचिः अस्ति। (मेरी गणित में रुचि है।) 
    • मोक्षे इच्छा अस्ति। (मोक्ष में इच्छा है।)

 

इस प्रकार मोक्षे इच्छाऽस्ति इसका आधार वैषयिकः है। 

कारक Question 4:

“विप्राय गां ददाति" में "विप्राय" है

  1. कर्ता
  2. कर्म
  3. करण
  4. सम्प्रदान

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : सम्प्रदान

कारक Question 4 Detailed Solution

सूत्र - 'कर्मणा यं अभिप्रैति स संप्रदानम्' 

स्पष्टीकरण - इस सूत्र से ‘दा’ धातु अथवा ‘देने’ के अर्थ में प्रयुक्त होने वाले व्यक्ति की सम्प्रदान संज्ञा होती है जिसमें चतुर्थी सम्प्रदाने’ से चतुर्थी विभक्ति होती है। अर्थात् जिसे देना है उसमें चतुर्थी होती है।

'विप्राय गां ददाति।' यहाँ 'दा' धातु का प्रयोग होता है और 'विप्र को' देने की प्रक्रिया है।

अतः इस वाक्य मे 'विप्र' पद में 'चतुर्थी' विभक्ति और सम्प्रदान कारक होता है।

कारक Question 5:

'सहयुक्तेप्रधाने' में कौन-सा कारक है?

  1. कर्त्ता
  2. कर्म
  3. करण
  4. अपादान

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : करण

कारक Question 5 Detailed Solution

'सहयुक्तेऽप्रधाने' सूत्र के बारे में काशिका में 'सहार्थेन युक्ते अप्रधाने तृतीया विभक्तिर् भवति।' और सिद्धान्तकौमुदी में 'सहार्थेन युक्ते अप्रधाने तृतीया स्यात्।' लिखा है। जिसके अनुसार 'सह' तथा सह के अर्थ में प्रयुक्त होने वाले 'सार्धम्' आदि के योग में अप्रधान शब्दों में तृतीया विभक्ति होती है। इसप्रकार सूत्र का तृतीया विभक्ति के साथ सम्बन्ध स्थापित होता है। तृतीया विभक्ति का कारक 'करण' होता है।

उदाहरण- पुत्रेण सह आगतः पिता। यहाँ आगतः क्रिया का कर्त्ता पिता है और क्रिया से संबन्ध न होने के कारण पुत्र अप्रधान शब्द है उसमें प्रस्तुत सूत्र से 'तृतीया विभक्ति' हुआ है तथा 'कारक करण' है।

अतः स्पष्ट है कि 'सहयुक्तेप्रधाने' में तृतीया विभक्ति का कारक 'करण' होता है।

कारक Question 6:

‘बालक को लड्डु अच्छा लगता है’- इस वाक्य का संस्कृत अनुवाद होगा

  1. बालकं मोदकं रोचते।
  2. बालकस्य मोदकं रोचते।
  3. बालकाय मोदकं रोचते।
  4. बालकात् मोदकं रोचते।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : बालकाय मोदकं रोचते।

कारक Question 6 Detailed Solution

‘रुच्यार्थानां प्रीयमाणः’ सूत्र से रुच् तथा रुच् के अर्थ वाली धातुओं के योग में प्रसन्न होने वाले की सम्प्रदान संज्ञा होती है और ‘सम्प्रदाने चतुर्थी’ से उसमें चतुर्थी विभक्ति होती है। जैसे-

  • शिशवे क्रीडनकं रोचते।
  • मह्यं संस्कृतं रोचते।
  • बालकाय मोदकं रोचते।
  • छात्रेभ्यः परीक्षां न रोचते।

अतः स्पष्ट है कि ‘बालक को लड्डु अच्छा लगता है’- इस वाक्य का संस्कृत अनुवाद ‘रुच्’ धातु के योग के कारण ‘बालकाय मोदकं रोचते’ होगा।

कारक Question 7:

वयं _______ सह निवसामः - यहॉं रिक्त स्थान हेतु उपयुक्त शब्द है

  1. आनन्दात्
  2. आनन्दम्
  3. आनन्देन
  4. आनन्दस्य

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : आनन्देन

कारक Question 7 Detailed Solution

सूत्र - 'सहयुक्तेऽप्रधाने'

  • 'सहयुक्तेऽप्रधाने' सूत्र से जिसके साथ निवास किया जाता है, उस साथ शब्दों के योग में तृतीया विभक्ति होती है।
  • अर्थात् इस सूत्र से सह, साकम्, समम्, सार्धम् (साथ) शब्दों के योग में तृतीयां विभक्ति होती है।
  • यहा आनन्द के साथ निवास करते है, तो आनन्द मे तृतीया विभक्ति का प्रयोग होगा।
  • इस प्रकार वाक्य बनेगा- वयं आनन्देन सह निवसामः ।

अन्य उदाहरण 

  • जनकः पुत्रेण सह गच्छति। 
  • त्वं गुरुणा समं वेदपाठं करोषि।

कारक Question 8:

''हिमवतो गङ्गा प्रभवति" में हिमवतः में अपादान-विधायक सूत्र है-

  1. चतुर्थी सम्प्रदाने
  2. जनिकर्तुः प्रकृतिः
  3. भुवः प्रभवः
  4. साधकतमं करणम्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : भुवः प्रभवः

कारक Question 8 Detailed Solution

'हिमवतो गंगा प्रभवति' इस वाक्य में 'प्रभवति' यह क्रियापद उद्गम स्थान का वर्णन करता है।

‘भुवः प्रभवः’ सूत्र से भू (भव) धातु के साथ जो उद्गम होता उसमें अपादान कारक तथा पञ्चमी विभक्ति होती है।

जैसे-

  • गङ्गा हिमालयात्/हिमवतः प्रभवति। → (गंगा हिमालय से निकलती है)
  • वितस्ता नदी कश्मिरात्/कश्मिरातः प्रभवति। → (वितस्ता नदी कश्मीर से निकलती है)​


अतः स्पष्ट है कि प्रभवति के योग में 'भुवः प्रभवः' इस सूत्र से 'हिमवतों' में अपादान कारक होता है।

कारक Question 9:

अपादानकारकस्य  विधायकसूत्रम् अस्ति -

  1. अपादाने पञ्चमी 
  2. आधारोऽधिकरणम्
  3. ध्रुवमपायेऽपादानम्
  4. सम्प्रदाने चतुर्थी 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : ध्रुवमपायेऽपादानम्

कारक Question 9 Detailed Solution

प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - अपादान कारक का विधायक सूत्र है -

स्पष्टीकरण - 

‘क्रियाजनकत्वं कारकम्’ अर्थात् ऐसे वाक्य में प्रयुक्त वे शब्द जिनका क्रिया के साथ प्रत्यक्ष सम्बन्ध हो उन्हें कारक कहते हैं। जैसे-

रामः कलमेन पत्रं लिखति।

यहाँ क्रिया ‘लिखति’ के साथ जिन पदों का साक्षात् सम्बन्ध है उनके लिए कुछ प्रश्न है -

प्रश्न

 उत्तर

कः लिखति?

रामः

केन लिखति?

कलमेन

किं लिखति?

पत्रं


अतः इसप्रकार के प्रश्नों के उत्तर रूप में प्राप्त पद कारक कहलाते हैं। कारक छः होते हैं-

  • कर्त्ता कारक
  • कर्म कारक
  • करण कारक
  • सम्प्रदान कारक
  • अपादान कारक
  • अधिकरण कारक

इसके अतिरिक्त किञ्चित् साम्य के कारण कारक के अन्तर्गत जिन्हें हम पढते हैं- `सम्बन्ध' और `सम्बोधन' को कारक इसिलिये नहीं माना जाता क्योंकि इनका सम्बन्ध क्रिया से नहीं होता है। जैसे- ‘रामस्य पिता आगच्छति’ यहाँ आगच्छन् क्रिया का सम्बन्ध पिता से है क्योंकि आने का कार्य वही करते हैं, राम नहीं। अतः पिता तो कारक है पर राम प्रस्तुत वाक्य में सम्बन्ध मात्र है।

Important Points

महर्षि पाणिनि के अनुसार अपदान कारक विधायक सूत्र है - 'ध्रुवमपायेऽपादानम्'

सूत्र - ध्रुवमपायेऽपादानम्

सूत्रार्थ - अपाय अर्थात् पृथक् होने के अर्थ में प्रस्तुत सूत्र से ध्रुव अर्थात् जिससे अलग होता है, उसकी अपादान संज्ञा होती है और 'अपादाने पञ्चमी' से अपादान में पञ्चमी विभक्ति होती है।

उदाहरण - 'वृक्षात् पत्राणि पतन्ति।' इस वाक्य में वृक्ष से पत्ता गिरता है अर्थात् अलग होता है। अतः वृक्ष की अपादान संज्ञा होती है और 'अपादाने पञ्चमी' से अपादान अर्थात् वृक्ष में पञ्चमी विभक्ति है।

कारक Question 10:

“रामेण बाणेन हतो बाली" मे 'करण' है

  1. राम
  2. बाण
  3. राम और बाण
  4. बाली

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : बाण

कारक Question 10 Detailed Solution

करण कारक = क्रिया की सिद्धि मे जो सहायक होता है, उसे करण कहते है अर्थात् कर्ता जिसकी सहायता से अपना काम पूरा करता है, उसे करण कारक कहते हैI

'रामेण बाणेन हतो बाली' इस उदाहरण का विश्लेषण-

  • राम अनुक्त कर्ता होने के कारण राम में तृतीया विभक्ति लगेगी। 'कर्तृकरणयोस्तृतीया' इस सूत्र से 'रामेण' में कर्ता कारक और तृतीया विभक्ति होगी।  
  • कर्ता (राम) बाण की सहायता से अपना काम पूरा करता है। अतः बाणेन में साधकतमं करणम्  इस सूत्र से करण कारक हुआ है।
  • 'बाली' पद को 'कर्तुरीप्सिततमं कर्म' सूत्र से कर्म संज्ञा प्राप्त होती है। अतः इसमें द्वितीया विभक्ति होती है।

अतः “रामेण बाणेन हतो बाली" इस वाक्य में 'बाण' में करण कारक है।

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