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भू-तापीय ऊर्जा - यूपीएससी के लिए इसके अर्थ, प्रकार, लाभ, नुकसान, चुनौतियाँ और बहुत कुछ यहां जानें!
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भू-तापीय ऊर्जा (Geothermal Energy) पृथ्वी के आंतरिक भाग में मौजूद ऊष्मा या तापीय ऊर्जा है जो बिजली उत्पन्न करने के लिए और प्रत्यक्ष ताप के लिए भी ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोत के रूप में कार्य करती है। भू-तापीय ऊर्जा (Geothermal Energy in Hindi) पृथ्वी ग्रह पर प्रचुर मात्रा में मौजूद है, जिसका अनुमान मानवता की सभी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए है, लेकिन ज्यादातर मामलों में, इसका दोहन नहीं किया जा सकता है।
भू-तापीय ऊर्जा – FAQs
भूतापीय ऊर्जा क्या है और यह कैसे काम करती है?
भूतापीय ऊर्जा पृथ्वी की सतह के नीचे उत्पन्न होने वाली तापीय ऊर्जा है, यह पृथ्वी की पपड़ी के नीचे निरंतर रेडियोधर्मी क्षय प्रतिक्रियाओं द्वारा उत्पन्न होती है।
भारत में कितने भू-तापीय स्थल मौजूद हैं?
भारत में 300 से अधिक भू-तापीय स्थल मौजूद हैं। ये सात भूतापीय प्रांतों में विभाजित हैं।
शीर्ष पाँच गतिविधियाँ कौन सी हैं जो भू-तापीय ऊर्जा का उपयोग करती हैं?
भूतापीय ऊर्जा का उपयोग गर्म करने, परिवेश को ठंडा करने, खाना पकाने, नहाने और बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है।
पहले भू-तापीय संयंत्र का आविष्कार किसने किया?
प्रिंस पिएरो गिनोरी कोंटी ने 1904 में टस्कनी, इटली में पहले जियोथर्मल पावर प्लांट का आविष्कार किया था।
भारत में भूतापीय ऊर्जा का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन सा है?
भारत में वर्तमान में कोई भू-तापीय बिजली संयंत्र नहीं है, हालांकि लद्दाख क्षेत्र में पुगा घाटी भारत में सबसे आशाजनक भू-तापीय क्षेत्र है जो 100 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन करने में सक्षम है।
क्या भू-तापीय ऊर्जा खत्म हो जाएगी?
भूतापीय ऊर्जा ऊर्जा का एक नवीकरणीय स्रोत है, इसलिए यह कभी खत्म नहीं होगी।
भूतापीय ऊर्जा का व्यापक रूप से उपयोग क्यों नहीं किया जाता?
मुख्य रूप से उच्च सेट-अप और अन्वेषण लागत के कारण भू-तापीय ऊर्जा का व्यापक रूप से उपयोग नहीं किया जाता है।