Question
Download Solution PDFअत्र राहुलकरुणयोः वार्तालापः समपद्यते। अवधानेन पठत/श्रृणुत्, वार्तालापस्य प्रयोजनं च स्पष्टं कुरुत-
राहुलः भो! भवान् कथम् अस्तु ? भवान् कुत्र आसीत्? अहं सप्ताहयावत् भवन्तं द्रष्टुं नाशक्नवम्।
अन्यः- आम्, अहं नगराद् बहिरासम्, अहम् स्वग्रामे मातापितरौ मिलितवान्। भवान् कथम् अस्ति?
राहुल: तौ कुशलौ। धन्यवाद।
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFराहुल - आप कैसे हो ? आप कहाँ थे ? मैं एक सप्ताह तक आपको नहीं देख सका।
अन्य- हाँ, मैं नगर से बाहर था, मैं अपने ग्राम में माता-पिता से मिला। आप कैसे है?
राहुल - वे कुशल है। धन्यवाद।
स्पष्टीकरण - उपरोक्त वार्तालाप से स्पष्ट है कि वार्तालाप का प्रयोजन अन्तर्क्रियात्मक था। अर्थात परस्पर वार्तालाप करना था। जहाँ दो व्यक्ति परस्पर अन्तर्क्रिया करते हुए सामान्य वार्तालाप करते हैं।
वार्तालाप/अन्तर्क्रिया का माध्यम भाषा है, जिसके द्वारा हम एक-दूसरे से अपने विचारों को सांझा करते हैं। जिसे सम्प्रेषण कहा जाता है।
Important Points
भाषा तथा संप्रेषण -
- व्यक्ति एक सामाजिक प्राणी है। उसे समाज से स्वयं को (संबद्ध रखने) के लिए विचारों का आदान-प्रदान करना पड़ता है।
- मनुष्य एवं समाज के बीच सार्थक ध्वनियों द्वारा विचारों का जो आदान-प्रदान होता है, उसे भाषा कहते हैं और विचारों के इसी आदान-प्रदान के बीच जो भावनाएँ एक-दूसरे तक पहुँचती है, उसे संप्रेषण कहते हैं।
- संप्रेषण मूलतः भाषा द्वारा अभिव्यक्त वह भाव या शैली है, जो वक्ता से श्रोता तक सार्थक विचारों को प्रेषित करता है।
- वास्तव में वही संप्रेषण सार्थक या सफल होता है, जो एक-दूसरे के बीच तादात्म्य स्थापित कर पाने में सक्षम होता है।
- संप्रेषण वास्तव में अपने विचारों को किसी अन्य तक पहुँचाने का एक तरीका है, जिसे भाषा का पूरक भी कहा जा सकता है।
सम्प्रेषण कौशल से तात्पर्य -
- संप्रेषण से अभिप्राय दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य विचारों, सूचनाओं, तथ्यों तथा अनुभवों का आदान-प्रदान है और कोशल से अभिप्राय किसी कार्य को दक्षता पूर्वक करने की सामर्थ्य अर्जित करना है। यह एक प्रकार की विकसित अभिक्षमता या योग्यता है।
अतः कहा जा सकता है कि उपरोक्त वार्तालाप से स्पष्ट है कि वार्तालाप का प्रयोजन अन्तर्क्रियात्मक प्रयोजन था। जहाँ दो व्यक्ति परस्पर सामान्य वार्तालाप करते हैं।
Confusion Points
- यहाँ अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण उचित विकल्प नहीं है। क्योंकि अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण तब किया जाता है जब साथ-साथ दूसरे व्यक्ति से विचार विमर्श करते हैं और एक दूसरे को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं। वस्तुतः अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण मानवीय विचार विमर्श की नींव है और साक्षात्कार लेने की प्रक्रिया में अंतर्निहित है।
Last updated on Apr 30, 2025
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