अत्र द्वयोः जनयोः वार्तालापः प्रस्तूयते। एनं ध्यानेन पठित्वा वार्तालापस्य प्रयोजनं ज्ञातव्यम्-

प्रथमः जनः - अहो! त्वं कीदृशः असि। अहं प्रसन्नः अस्मि, यतः त्वमागतोऽसि।

द्वितीयः जनः - अहो! त्वं कीदृशः असि। अहं सम्यग् अस्मि। त्वं आत्मनः विषये कथय।

प्रथमः जनः अहं साधुः अस्मि। इदानीं तव स्वास्थ्यं कीदृशम् अस्ति?

द्वितीयः जनः - स्वास्थ्यलाभं करोमि। इदानीम् अहं कार्यं कर्तुं सक्षमोऽस्मि।

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CTET Paper 2 Maths & Science 21st Jan 2022 (English-Hindi-Sanskrit)
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  1. व्यक्तिगतवार्तालापः
  2. सूचनात्मकं प्रयोजनम् 
  3. सम्पादनात्मकं प्रयोजनम् 
  4. सम्पर्कात्मकं प्रयोजनम् (Interactional purpose)

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Option 4 : सम्पर्कात्मकं प्रयोजनम् (Interactional purpose)
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प्रश्नानुवाद - यहाँ दो लोगों का वार्तालाप प्रस्तुत है। इसको ध्यान से पढ़कर वार्तालाप का प्रयोजन ज्ञात करें-

प्रथम व्यक्ति - ओह! तुम कैसे हो। मैं प्रसन्न हूँ, क्योंकि तुम आ गए हो।

द्वितीय व्यक्ति - ओह! तुम कैसे हो। मैं ठीक हूँ। तुम स्वयं के विषय में कहो।

प्रथम व्यक्ति - मै ठीक हूँ। अब तुम्हारा स्वास्थ्य कैसा है?

द्वितीय व्यक्ति - स्वास्थ्य लाभ कर रहा हूँ। अब मैं कार्य करने के लिए सक्षम हूँ।

स्पष्टीकरण - उपरोक्त वार्तालाप से ज्ञात होता है कि यहाँ वार्तालाप का प्रयोजन सम्पर्कात्मक प्रयोजन है। अर्थात् वे दोनों व्यक्ति एक दूसरे से मिलकर एक दूसरे के विषय में जानते हैं। जहाँ वे यह जान सके कि एक व्यक्ति का स्वास्थ्य कैसा है और वह अब कार्य करने के लिए समर्थ है या नहीं।

  • भाषा विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम है। जिसके द्वारा हम एक-दूसरे से विचारों को प्रकट करते हैं और दूसरें के विचारों को ग्रहण करते हैं।
  • विचारों का सम्प्रेषण दो लोगों के मध्य होता है, जिसमें वक्ता (बोलने वाला) श्रोता को अपने विचारों को उसके समक्ष रखता है, जिसे सुनकर श्रोता वक्ता के विचारों के प्रति प्रत्युत्तर देता है।
  • इस प्रकार दो लोगों के मध्य होने वाली परस्पर बातचीत वार्तालाप कही जाती है, जिसमें विचारों का आदान-प्रदान किया जाता है।
  • जिस तरह प्रत्येक कार्य किसी न किसी उद्देश्य से होता है, उसी तरह वार्तालाप का भी कोई उद्देश्य होता है।
  • जैसे यह वार्तालाप व्यावहारिक भी हो सकता है, सूचनात्मक भी हो सकता है तथा परस्पर सम्पर्क के उद्देश्य से भी हो सकता है।
  • उपर्युक्त परिस्थिति में भी दो लोगों के मध्य वार्तालाप है, जो परस्पर सम्पर्क की दृष्टि किया गया वार्तालाप है।
  • जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से उसका परिचय प्राप्त करता है तथा उसी तरह दूसरा व्यक्ति भी पहले व्यक्ति से उसका परिचय प्राप्त करता है। साथ ही एक दूसरे के विषय में अन्य बातें करते हैं।

 

अतः कहा जा सकता है कि उपरोक्त वार्तालाप से ज्ञात होता है कि यहाँ वार्तालाप का प्रयोजन सम्पर्कात्मक प्रयोजन है। जिसके माध्यम से वे परस्पर परिचय प्राप्त करते हैं। 

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