सम्‍प्रेषणदक्षता नाम

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CTET Sept 2016 Paper 2 Maths & Science (L - I/II: Hindi/English/Sanskrit)
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  1. शुद्धतया भाषायाः प्रयोगं कर्तुं छात्राणां दक्षता
  2. धाराप्रवाहं भाषायाः प्रयोगं कर्तुं छात्राणां दक्षता
  3. दोषमुक्‍तं लेखितुं छात्राणं दक्षता
  4. अर्थं बोधयितुं भाषाया: प्रयोगं कर्तुं छात्राणं दक्षता

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Option 4 : अर्थं बोधयितुं भाषाया: प्रयोगं कर्तुं छात्राणं दक्षता
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प्रश्न का अनुवाद - सम्प्रेषण दक्षता नाम  है?

स्पष्टीकरण - सम्प्रेषण दक्षता से तात्पर्य अर्थ जानकर भाषा प्रयोग करने में छात्रों की दक्षता से है। 
Key Points

सम्प्रेषण - 

  • सम्प्रेषण का अर्थ है मन में आये विचारों का आदान प्रदान करना।
  • सामाजिक जगत से हम अपने समाज को समझते है, एक दुसरे की भावनाओं के आदान प्रदान का माध्यम भाषा तथा सम्प्रेषण है।
  • सम्प्रेषण की भाषा में यादृच्छिक जगत, ईश्वरीय जगत तथा अपवित्र जगत भाषा शम्मिल नहीं कि जाकती क्यूंकि इनमें भाषा के आदान प्रदान की मुख्य भूमिका नहीं होती है।
  • सम्प्रेषण दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच मौखिक, लिखित, सांकेतिक या प्रतिकात्मक माध्यम से विचार एवं सूचनाओं के प्रेषण की प्रक्रिया है।
  • सम्प्रेषण हेतु सन्देश का होना आवश्यक है।
  • सम्प्रेषण की दक्षता मनुष्य के भाषा कौशल पर ही निर्भर करती है अतः संप्रेषण में दक्षता प्राप्त करने के लिए भाषायी कौशलों का विकास करना आवश्यक है।
  • सम्प्रेषण से तात्पर्य विचारों के आदान -प्रदान से है जिसमे माध्यम का कार्य भाषा करती हैं।
  • भाषा हमारे भाव बोध अर्थात भावों के अर्थ को समझने और जानने का साधन है।
  • संप्रेषण व्यवहार में एक ओर वक्ता या लेखक होता है जो संदेश संप्रेषित करता है और दूसरी ओर कोई श्रोता अथवा पाठक होता है जो संदेश प्राप्त करता है।
  • सम्प्रेषण दक्षता तभी सम्भव है जब वक्ता / लेखक किसी भी वाक्य अथवा शब्द को समझकर श्रोता / पाठक को उसका अर्थ समझा सकें

अतः इस पूरी प्रक्रिया में सम्प्रेषण दक्षता का अर्थ अर्थ जानकर भाषा प्रयोग करने में छात्रों की दक्षता से है। 

प्रभावी / अच्छे सम्प्रेषण की विशेषताएँ -

  1. सम्प्रेषण का उद्देश्य स्पष्ट होना चाहिए और यह संदेश भेजने वाले तथा उसे प्राप्त करने वाले दोनों की समझ में साफ साफ आना चाहिए।
  2. सम्प्रेषण एक सोद्देश्य ( उद्देश्यों के अनुरूप ) प्रक्रिया है ।
  3. सम्प्रेषण प्रेषी ( सन्देश प्राप्त करने वाला ) तथा प्रेषक ( सम्प्रेषण करने वाला ) के व्यवहारों को प्रभावित करता है। 
  4. सम्प्रेषण सदैव गत्यात्मक होता है। अतएव इसमें गति होती है।
  5. सम्प्रेषण के बिना शिक्षण असम्भव है। यह सर्वव्यापक है। सम्प्रेषण के अनुकूल वातावरण का निर्माण किया जाए। 
  6. सम्प्रेषण एक सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक प्रणाली है ।
  7. सम्प्रेषण के लिए सम्प्रेषित तथ्यों सूचनाओं आदि का ग्रहणकर्ता के लिए पर्याप्तता, सार्थक व प्रभावशाली होना आवश्यक है।
  8. सम्प्रेषण के लिए कुछ सूचनाएँ तथा विचार सम्मतियाँ, निर्णय, भावनाएँ, इच्छाएँ, समझ तथा संवेग आवश्यक हैं।
  9. सम्प्रेषण ऐसा होना चाहिए जिससे सन्देश प्राप्त करने वाले के मन में पारस्परिक विरोध की भावना जाग्रत न हो जाए।
  10. सम्प्रेषण ( सन्देशवाहन ) व्यवस्था में दिए जाने वाला सन्देश यथा सम्भव संक्षिप्त, पूर्ण, स्पष्ट एवं त्रुटिहीन होना चाहिए। 

Additional Information

  • शुद्धतया भाषायाःप्रयोगं कर्तुं छात्राणां दक्षता - शुद्ध भाषा प्रयोग करने में छात्रों की दक्षता। 
  • धाराप्रवाहं भाषायाः प्रयोगं कर्तुं छात्राणां दक्षता - धाराप्रवाह भाषा प्रयोग करने में छात्रों की दक्षता। 
  • दोषमुक्‍तं लेखितुं छात्राणं दक्षता - दोषमुक्त लिखने में छात्रों की दक्षता। 

यद्यपि तीनों विकल्प प्रभावी सम्प्रेषण करने में उपयोगी है। ये तीनों विकल्प सम्प्रेषण के बाद के स्वरूप को दर्शाते हैं अर्थात् जब तक कोई बालक विचारों और भावों के अर्थ को समझेगा ही नहीं तब तक भाषा प्रयोग नहीं कर पायेगा भाषा की शुद्धता, धारा प्रवाह और दोषमुक्त लेखन ये तीनों भाषा प्रयोग में ध्यातव्य बिंदु है जिससे सम्प्रेषण अच्छा बनाया जा सकता है

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