काव्य पंक्तियाँ MCQ Quiz - Objective Question with Answer for काव्य पंक्तियाँ - Download Free PDF
Last updated on May 15, 2025
Latest काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions
काव्य पंक्तियाँ Question 1:
जीने को तो पशु भी जीते
अपना पेट भरा करते हैं
कुछ दिन इस दुनिया में रह कर
वे अन्तत: मरा करते हैं।
ऐसे जीवन और मरण को,
होता यह संसार नहीं है
जीने का अधिकार नहीं हैं।
उपर्युक्त पंक्ति किस कवि की है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 1 Detailed Solution
सही उत्तर है - श्रीकृष्ण सरल
काव्य पंक्तियाँ Question 2:
माता की छाती का अमृतमय पय कालकूट हो जाए,
आँखों का पानी सूखे, हाँ, वह ख़ून की घूँट हो जाए;
एक ओर कायरता काँपे, गतानुगति विगलित हो जाए,
अंधे मूढ़ विचारों की वह अचल शिला विचलित हो जाए;
और दूसरी ओर कँपा देनेवाला गर्जन उठ धाए,
अंतरिक्ष में एक उसी नाशक तर्जन की ध्वनि मँडराए;
कवि, कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाए!
उपरोक्त पंक्तियों में कवि सामाजिक परिवर्तन के लिए किस प्रकार की भावना और प्रेरणा को व्यक्त कर रहे हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 2 Detailed Solution
सही उत्तर है- कवि क्रांतिकारी और उग्र परिवर्तन की माँग कर रहे हैं, जिसमें कायरता, रूढ़ियों और अंधविश्वासों को तोड़ने के लिए तीव्र प्रतिरोध और क्रोध की आवश्यकता है।
काव्य पंक्तियाँ Question 3:
कविता "यशोधरा" के इस अंश में "इस मध्य निशा में ओ अभाग" पंक्ति में "अभाग" का संदर्भ किसके लिए है, और यह किस भाव को व्यक्त करता है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 3 Detailed Solution
सही उत्तर है - यशोधरा के लिए, उनके दुख और अकेलेपन की पीड़ा का भाव
विश्लेषण: "अभाग" यहाँ यशोधरा को संबोधित करता है, जो सिद्धार्थ द्वारा मध्य रात्रि में संसार त्यागने के बाद अकेली और दुखी रह जाती है। यह पंक्ति यशोधरा की पीड़ा, अकेलेपन, और सिद्धार्थ के प्रति उनके प्रेम के साथ-साथ उनके त्याग की भावना को व्यक्त करती है।
काव्य पंक्तियाँ Question 4:
"तू दे सकता था विपुल वित्त, पर भूलें उसमें भ्रान्त चित्त" पंक्ति में "भ्रान्त चित्त" का क्या अर्थ है, और यह किसके संदर्भ में कहा गया है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 4 Detailed Solution
सही उत्तर है - संसार की मायावी प्रकृति के कारण भटके हुए मन का, सिद्धार्थ के संदर्भ में
विश्लेषण: "भ्रान्त चित्त" यहाँ सिद्धार्थ के मन को संदर्भित करता है, जो पहले संसार के सुखों (विपुल वित्त) में भटक सकता था। सिद्धार्थ यह कहते हैं कि संसार भले ही धन-संपदा दे सकता था, लेकिन उसमें चित्त भटक जाता है, जिसके कारण वे वैराग्य की राह चुनते हैं। यह सिद्धार्थ की आध्यात्मिक जागृति को रेखांकित करता है।
काव्य पंक्तियाँ Question 5:
"रह काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, लेता हूँ मैं कुछ और टोह" पंक्ति में सिद्धार्थ किस भाव को व्यक्त करते हैं, और इसका क्या अर्थ है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर है - पंच-विकारों से मुक्ति की खोज, आध्यात्मिक सत्य की तलाश
विश्लेषण: "काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह" पंच-विकार हैं, जो मानव को सांसारिक बंधनों में बाँधते हैं। सिद्धार्थ यहाँ इनसे मुक्ति की खोज और आध्यात्मिक सत्य की तलाश की बात करते हैं। "कुछ और टोह" का अर्थ है सांसारिकता से परे सत्य और निर्वाण की खोज, जो सिद्धार्थ के वैराग्य और बुद्धत्व की ओर बढ़ने का संकेत देता है।
Top काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions
अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी,
आँचल में है दूध और आंखों में पानी।
उपर्युक्त पंक्तियाँ किस काव्य की है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDF- यह पंक्तियाँ यशोधरा काव्य की है।
Key Points
- ‘यशोधरा’ मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित प्रसिद्ध प्रबंध काव्य है
- जिसका प्रकाशन सन् 1933 ई. में हुआ।
Additional Information
- अपने छोटे भाई सियारामशरण गुप्त के अनुरोध करने पर मैथिलीशरण गुप्त ने यह पुस्तक लिखी थी।
- यशोधरा महाकाव्य में गौतम बुद्ध के गृह त्याग की कहानी को केन्द्र में रखकर यह महाकाव्य लिखा गया है।
- इसमें गौतम बुद्ध की पत्नी यशोधरा की विरहजन्य पीड़ा को विशेष रूप से महत्त्व दिया गया है।
- यह गद्य-पद्य मिश्रित विधा है जिसे चम्पूकाव्य कहा जाता है।
"अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी
आँचल में है दूध और आँखो में पानी।"
यह पंक्ति किस काव्यकृति की है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFउक्त पंक्तियाँ 'यशोधरा' महाकाव्य से ली गयी हैं। अत: सही विकल्प 3 यशोधरा है।
Key Points
- यशोधरा मैथिलीशरण गुप्त रचित महाकाव्य का नाम है। इसका प्रथम प्रकाशन सन् 1933 में हुआ था।
- ‘यशोधरा’ महाकाव्य में गौतम बुद्ध के गृह त्याग की कहानी को केन्द्र में रखकर यह महाकाव्य लिखा गया है।
- मैथिलीशरण गुप्त द्वारा रचित प्रसिद्ध प्रबंध काव्य है, जिसका प्रकाशन सन् 1933 ई. में हुआ। अपने छोटे भाई सियारामशरण गुप्त के अनुरोध करने पर मैथिलीशरण गुप्त ने यह पुस्तक लिखी थी।
Additional Information
- कामायनी :- जयशंकर प्रसाद
- यशोधरा :- मैथिली शरण गुप्त
- साकेत - मैथिली शरण गुप्त
- वह तोड़ती पत्थर :- निराला
Important Points
- राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (3 अगस्त 1886 – 12 दिसम्बर 1964)
- उन्हें साहित्य जगत में "दद्दा" नाम से सम्बोधित किया जाता था।
- उनकी जयन्ती 3 अगस्त को हर वर्ष "कवि दिवस" के रूप में मनाया जाता है।
- सन 1954 में भारत सरकार ने उन्हें "पद्मभूषण" से सम्मानित किया।
- महात्मा गांधी ने उन्हें "राष्ट्रकवि" की पदवी भी दी थी।
Additional Information
अधिकार खोकर बैठना यह महादुष्कर्म है। इस पंक्ति के रचयिता हैः
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त पंक्तियां "मैथिलीशरण गुप्त" की है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) मैथिलीशरण गुप्त सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
- जयद्रथ वध :- उक्त पंक्तियाँ ली गयी है।
- राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (3 अगस्त 18886 – 12 दिसम्बर 1964)
- उन्हें साहित्य जगत में "दद्दा" नाम से सम्बोधित किया जाता था।
- उनकी जयन्ती 3 अगस्त को हर वर्ष "कवि दिवस" के रूप में मनाया जाता है।
- सन 1954 में भारत सरकार ने उन्हें "पद्मभूषण" से सम्मानित किया।
- महात्मा गांधी ने उन्हें "राष्ट्रकवि" की पदवी भी दी थी।
Additional Information
- मैथिलीशरण गुप्त (1886-1964)
- रंग में भंग(1909), भारत भारती (1912), तिलोत्तमा (1915), चंद्रहास (1916), किसान(1916) , वैतालिक (1916)
Important Points
- रामधारी सिंह दिनकर (1908-1974)
- 'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद 'राष्ट्रकवि' के नाम से जाने गये।
- उन्हें पद्म विभूषण की उपाधि से भी अलंकृत किया गया।
- उनकी पुस्तक "संस्कृति के चार अध्याय" के लिये "साहित्य अकादमी पुरस्कार" तथा "उर्वशी" के लिये "भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार" प्रदान किया गया।
दिनकर जी की रचनाएं निम्नलिखित हैं:-
- सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (21 फरवरी, 1896 - 15 अक्टूबर, 1961)
-
- काव्यसंग्रह
- अनामिका (1923), परिमल (1930), गीतिका (1936), अनामिका (द्वितीय) (1939),तुलसीदास (1939) ,कुकुरमुत्ता (1942),अणिमा (1943), बेला (1946), नये पत्ते (1946), अर्चना(1950), आराधना (1953), गीत कुंज (1954), सांध्य काकली, अपरा (संचयन)
- काव्यसंग्रह
- सुभद्रा कुमारी चौहान (16 अगस्त 1904-15 फरवरी 1948)
- कहानी संग्रह
- बिखरे मोती (1932)
- उन्मादिनी (1934)
- सीधे साधे चित्र (1947)
- कहानी संग्रह
'आज रात इससे परदेशी चल कीजे विश्राम यहीं |
जो कुछ वस्तु कुटी में मेरे करो ग्रहण, संकोच नहीं ||'
प्रस्तुत काव्य पंक्तियों के रचनाकार हैं:
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रस्तुत काव्य पंक्तियों के रचनाकार-2) श्रीधर पाठक हैं।
Important Points
- श्रीधर पाठक ने 'एकांतवासी योगी' को खड़ी बोली पद्य में निकाला।
- उपर्युक्त पंक्तियाँ 'एकांतवासी योगी' काव्य से उद्धृत हैं।
- 'एकांतवासी योगी' एक प्रेम काव्य(खंडकाव्य) है।
- एक रमणी द्वारा उपेक्षित पुरुष एकांतवासी योगी बन जाता है।
- काव्य की अन्य पंक्तियाँ- ‘किसी के प्रेम में योगी होना और प्रकृति के निर्धन क्षेत्र में कूटी छाकर रहना एक ऐसी भावना है,जो समान रूप से सब देशों के और सब श्रेणीयों के स्त्री पुरुषों के मर्म का स्पर्श स्वभावत: करती आ रही हो।
- श्रीधर पाठक की प्रमुख रचनायें-मनोविनोद,धन विनय,गुनवंत हेमंत,देहरादून,एकांतवासी योगी,भारतगीत आदि हैं।
'दिवस का अवसान समीप था, गगन था कुछ लोहित हो चला' - पंक्तियाँ किसकी है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDF- सही उत्तर "अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔध'' है।
- "'दिवस का अवसान समीप था, गगन था कुछ लोहित हो चला'".... पंक्तियों का अर्थ:
- आसमान में लालिमा फैलने लगी थी।
- पेड़ों की फुनगियों पर सूरज की आखिरी किरणें विराजमान थीं।
- रचना - प्रियप्रवास (1914)
- रचयिता - अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध
- कुल सर्ग - 17
- यह पंक्तियां प्रथम सर्ग से ली गईं हैं।
- प्रकृति वर्णन।
- खड़ी बोली हिंदी का प्रथम महाकाव्य।
- कथा वस्तु - श्रीमद् भागवत गीता का दशम स्कंध
- अन्य रचनाएं -
- पारिजात - 1937
- वैदेही वनवास - 1941
- कृष्ण शतक - 1882
- चोखे चौपदे -1932
- रस कलस - 1931
- आधुनिक काल का सूरदास - गणपति चन्द्र गुप्त के अनुसार
- प्रिय प्रवास पर मांगला प्रसाद पारितोषिक
'राम, तुम मानव हो? ईश्वर नहीं हो क्या?
विश्व में रमे हुए नहीं सभी कहीं हो क्या?
तब मैं निरीश्वर हूँ, ईश्वर क्षमा करें;
तुम न रमो तो मन तुममें रमा करे।'
आधुनिक दृष्टिकोण से प्रेरित मैथिलीशरण गुप्त ने राम के विषय में यह काव्योक्ति किस काव्यग्रंथ में लिखी?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर विकल्प 2 होगा।
- यह पंक्तियां मैथिली शरण गुप्त के साकेत काव्य की हैं।
- लेखक - मैथिली शरण गुप्त
- महाकाव्य
- साकेत का अर्थ - अयोध्या
- 12 सर्गों में विभक्त
- डॉ नगेन्द्र - साकेत को जनवादी काव्य कहा है।
- प्रथम काव्य संग्रह - रंग में भंग (1909)
- अन्य प्रमुख काव्य ग्रंथ -
- जयद्रथ वध - 1910
- किसान - 1917
- भारत भारती - 1912
- यशोधरा - 1932
- द्वापर -1936
- विष्णु प्रिया - 1957
- पंचवटी -1925
- इनको आधुनिक युग का तुलसी कहा जाता है।
- साकेत रचना की मूल प्रेरणा - महावीर प्रसाद द्विवेदी के निबंध 'कवियों की उर्मिला विषयक उदासीनता '
- नहुष नामक नाटक भारतेंदु के पिता गिरिधर दास द्वारा रचित है।
'राम तुम मानव हो, ईश्वर नहीं हो क्या'? किसकी पंक्ति है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "साकेत - मैथिली शरण गुप्त" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
- साकेत मैथिलीशरण गुप्त रचित महाकाव्य का नाम है। इसका प्रथम प्रकाशन सन् 1931 में हुआ था।
- इस कृति में राम के भाई लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला के विरह का जो चित्रण गुप्त जी ने किया है वह अत्यधिक मार्मिक और गहरी मानवीय संवेदनाओं और भावनाओं से ओत-प्रोत है।
- साकेत रामकथा पर आधारित है, किन्तु इसके केन्द्र में लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला है।
- मैथिलीशरण गुप्त ने ’साकेत’ (1929 ई.) की रचना की।
- मैथिलीशरण गुप्त की रचनाएँ
- महाकाव्य- साकेत, यशोधरा
- खण्डकाव्य- जयद्रथ वध, भारत-भारती, पंचवटी, द्वापर, सिद्धराज, नहुष, अंजलि और अर्घ्य, अजित, अर्जन और विसर्जन, काबा और कर्बला, किसान, कुणाल गीत, गुरु तेग बहादुर, गुरुकुल , जय भारत, युद्ध, झंकार , पृथ्वीपुत्र, वक संहार, शकुंतला, विश्व वेदना, राजा प्रजा, विष्णुप्रिया, उर्मिला, लीला, प्रदक्षिणा, दिवोदास , भूमि-भाग
'भारत भारती' के सम्बन्ध में कौन-से कथन सही हैं?
a) 'भारत भारती' की रचना 'मुसदद्से-मद्दो-जज्रे-इस्लाम' की प्रेरणा से हुई।
b) राष्ट्रीय-सांस्कृतिक चेतना जगाने में यह कृति विफल रही।
c) गुप्तजी 'भारत दर्पण' के लेखक ब्रजमोहन दत्तात्रेय कैफी से भी प्रभावित थे।
d) इसमें आद्यंत भारत की दयनीय स्थिति का वर्णन किया गया है।
निम्नलिखित में से सही विकल्प चुनिए:
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDF- सही उत्तर विकल्प 1 है।
- A और C
-
'भारत भारती' के सम्बन्ध में कौन-से कथन सही हैं?
a) 'भारत भारती' की रचना 'मुसदद्से-मद्दो-जज्रे-इस्लाम' की प्रेरणा से हुई।
c) गुप्तजी 'भारत दर्पण' के लेखक ब्रजमोहन दत्तात्रेय कैफी से भी प्रभावित थे।
- भारत भारती - मैथिलीशरण गुप्त
- प्रकाशन वर्ष - 1912
- प्रेरणा - मुसद्दसे हाली तथा भारत दर्पण
- भारत दर्पण के लेखक - ब्रजमोहन दत्तात्रेय कैफ़ी
- महात्मा गांधी द्वारा ' राष्ट्र कवि ' की उपाधि।
- प्रथम काव्य संग्रह - रंग में भंग (1909)
- अन्य प्रमुख काव्य ग्रंथ -
- जयद्रथ वध - 1910
- किसान - 1917
- यशोधरा - 1932
- द्वापर -1936
- विष्णु प्रिया - 1957
- पंचवटी -1925
- इनको आधुनिक युग का तुलसी कहा जाता है।
"दिवस का अवसान समीप था। गगन था कुछ लोहित हो चला।" यह प्रकृति चित्रण किस महाकाव्य से है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रस्तुत पंक्तियाँ 'प्रिय प्रवास' महाकाव्य में वर्णित है।
Key Points
- विधा- महा काव्य
- लेखक: अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- प्रकाशन वर्ष-1914 ई.
- सर्ग-17 सर्ग
- विषय:कृष्ण के बचपन से लेकर मथुरा प्रस्थान तक का वर्णन।
Important Points
- प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रिय प्रवास के पहले सर्ग संध्या से अवतरित है।
- इसको खड़ी बोली हिंदी का प्रथम महाकाव्य माना जाता है।
- इसका पहले नाम 'ब्रजांगना विलाप' था।
- यह संपूर्ण काव्य संस्कृत के वर्णवृत्तों पर आधारित हैं।
- अन्य रचनाएँ-
काव्य रूप रचनाएँ प्रबंध काव्य पारिजात(1937),वैदेही वनवास(1941)।
काव्य ग्रन्थ प्रेम प्रपंच(1900),चुभते चौपदे(1924),चोखे चौपदे (1932),कल्पलता(1937)आदि।
Additional Information
रचना | लेखक | विषय |
कामायनी(1935) | जयशंकर प्रसाद |
1)15 सर्ग हैं। 2)शान्त(निर्वेद)रस का प्रयोग। 3)समरसतावाद-आनंदवाद दर्शन का प्रयोग। 4)मुख्य पात्र-मनु,श्रद्धा,इड़ा,कुमार। |
साकेत(1931) | मैथलीशरण गुप्त |
1)12 सर्ग हैं। 2)उर्मिला के जीवन का चित्रण 3)डॉ. नगेन्द्र ने 'जनवादी काव्य' कहा। |
उर्वशी(1961) | रामधारी सिंह 'दिनकर' |
1)गीति नाट्य है। 2)इस महाकाव्य पर 1972 में ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला। |
काव्य पंक्तियाँ Question 15:
किस काव्य में श्रीकृष्ण ब्रज के रक्षक नेता के रूप में अंकित किए गए हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य पंक्तियाँ Question 15 Detailed Solution
प्रियप्रवास काव्य में श्रीकृष्ण ब्रज के रक्षक नेता के रूप में अंकित किए गए हैं।
Key Points प्रियप्रवास -
- रचनाकार - अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- प्रकाशन वर्ष - 1914 ई.
- सर्ग - 17
- विषय वस्तु - कृष्ण के बचपन से लेकर मथुरा प्रस्थान तक का वर्णन
- खड़ी बोली हिंदी का प्रथम महाकाव्य
- प्रियप्रवास का सर्वप्रथम नाम ब्रजांगना विलाप था।
- प्रमुख पंक्ति -
- प्रिय प्रति वह मेरा प्राण प्यारा कहाँ है?
दुःख जल निधि डूबी का सहारा कहाँ है?
लख मुख जिसका मैं आजलौं जी सकी हूँ।
वह ह्रदय हमारा नैन तारा कहाँ है? - दिवस का अवसान समीप था, गगन था कुछ लोहित हो चला।
तरु शिखा पर थी जब राजती, कमलिनी-कुल-वल्लभ का प्रभा।
- प्रिय प्रति वह मेरा प्राण प्यारा कहाँ है?
Important Pointsसूरसारावली -
- रचनाकार - सूरदास
- सूरसारावली में कवि ने जिन कृष्ण विषयक कथात्मक और सेवा परक पदों का गान किया उन्ही के सार रूप में उन्होंने सारावली की रचना की है।
साकेत -
- रचनाकार - मैथिली शरण गुप्त
- प्रकाशन वर्ष - 1931ई.
- सर्ग - 12
- साकेत को डॉ नगेन्द्र ने 'जनवादी काव्य' कहा है
- 'साकेत' मूलतः पालि भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है - अयोध्या
सूरसागर -
- रचनाकार - सूरदास
- सूरसागर - सूरसागर का मुख्य वर्ण्य विषय श्री कृष्ण की लीलाओं का गान रहा है।