गद्यांश MCQ Quiz - Objective Question with Answer for गद्यांश - Download Free PDF

Last updated on Jun 2, 2025

Latest गद्यांश MCQ Objective Questions

गद्यांश Question 1:

Comprehension:

निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्रश्न संख्या 94 से 99 तक)
नई आलोचना (New Criticism) बीसवीं सदी के मध्यवर्ती दशकों में अमेरिकी साहित्यिक आलोचना के क्षेत्र में कृति के रूपवादी अनुशीलन का एक आन्दोलन था, जिसने अपना यह नाम सन् 1941 ई. में प्रकाशित जॉन क्रोरेंसम की पुस्तक - 'द न्यू क्रिटिसिज्म' से ग्रहण किया था। अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सन् 1960 ई. के दशक के अन्त तक इस साहित्यिक प्रविधि का बहुत बोलबाला था। 'नई आलोचना' उन्नीसवीं सदी की उस पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में जन्मी थी, जिसमें कृति पर विचार करते समय कृति के ऐतिहासिक सन्दर्भ, दार्शनिक आधार, रचनाकार के जीवनवृत्त, उसके घोषित उद्देश्यों, साहित्य के सन्दर्भ-स्रोतों और कृति में निहित राजनीतिक एवं सामाजिक अभिप्रायों को ही सर्वोपरि माना जाता था । इसके विपरीत नई आलोचना का जोर इस बात पर था कि साहित्यिक कृतियाँ अपनी संरचना में पूर्णतया आत्मनिर्भर होती हैं और वे अपनी एक निरपेक्ष और स्वायत्त सौन्दर्यपरक सत्ता निर्मित करती हैं। साहित्यिक व्याख्याओं का सरोकार कृति की बाह्य परिस्थितियों से या लेखक के घोषित मंतव्य, उद्देश्य और सरोकार या पाठक पर पड़ने वाले उस कृति के प्रभाव से नहीं है। नई आलोचना 'टेक्स्ट' या पाठ को आधार मानते हुए कृति के सूक्ष्म और विस्तृत भाषिक विश्लेषण को 'क्लोज रीडिंग' को महत्त्व देती थी। उसका सरोकार पाठ में अन्तर्निहित विभिन्न प्रकार के उन सम्बन्ध सूत्रों से था, जो किसी कृति को उसका अपना एक विशिष्ट चरित्र प्रदान करते हैं या उसकी एक खास संरचना का गठन करते हैं।

अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सन् 1960 ई. के दशक के अन्त तक किस साहित्यिक प्रविधि का बोलबाला था ?.

  1. 'द न्यू क्रिटिसिज्म' का
  2. 'पोस्ट मॉडर्निज़्म' का 
  3. 'स्टोरी राइटिंग' का
  4. 'नॉबेल राइटिंग' का

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : 'द न्यू क्रिटिसिज्म' का

गद्यांश Question 1 Detailed Solution

अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सन् 1960 ई. के दशक के अन्त तक 'द न्यू क्रिटिसिज्म' का साहित्यिक प्रविधि का बोलबाला था

Key Points

  • गद्यांश के आधार-
    • नई आलोचना (New Criticism) बीसवीं सदी के मध्यवर्ती दशकों में
    • अमेरिकी साहित्यिक आलोचना के क्षेत्र में कृति के रूपवादी अनुशीलन का एक आन्दोलन था,
    • जिसने अपना यह नाम सन् 1941 ई. में प्रकाशित जॉन क्रोरेंसम की पुस्तक - 'द न्यू क्रिटिसिज्म' से ग्रहण किया था।
    • अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सन् 1960 ई. के दशक के अन्त तक इस साहित्यिक प्रविधि का बहुत बोलबाला था।
    • 'नई आलोचना' उन्नीसवीं सदी की उस पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में जन्मी थी, 

Additional Information 
 
अन्य विकल्प -

  • 'पोस्ट मॉडर्निज़्म' का 
    • ​यह 20वीं सदी के उत्तरार्ध में उभरा एक साहित्यिक और सांस्कृतिक आंदोलन है,
    • जबकि 'द न्यू क्रिटिसिज्म' का बोलबाला 1960 के दशक तक था। इसलिए, दोनों के समय और दृष्टिकोण में भिन्नता है।
  • 'स्टोरी राइटिंग' का -
    • ​स्टोरी राइटिंग साहित्यिक रचना की विधा है न कि आलोचनात्मक प्रविधि। यह नई आलोचना की विधि को प्रदर्शित नहीं करता।
  • 'नॉबेल राइटिंग' का - 
    • ​यह नोबेल पुरस्कार विजेताओं द्वारा लिखित साहित्य को संदर्भित करता है, जो नई आलोचना की प्रविधि के रूप में उपयुक्त नहीं है।

गद्यांश Question 2:

Comprehension:

निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्रश्न संख्या 94 से 99 तक)
नई आलोचना (New Criticism) बीसवीं सदी के मध्यवर्ती दशकों में अमेरिकी साहित्यिक आलोचना के क्षेत्र में कृति के रूपवादी अनुशीलन का एक आन्दोलन था, जिसने अपना यह नाम सन् 1941 ई. में प्रकाशित जॉन क्रोरेंसम की पुस्तक - 'द न्यू क्रिटिसिज्म' से ग्रहण किया था। अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सन् 1960 ई. के दशक के अन्त तक इस साहित्यिक प्रविधि का बहुत बोलबाला था। 'नई आलोचना' उन्नीसवीं सदी की उस पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में जन्मी थी, जिसमें कृति पर विचार करते समय कृति के ऐतिहासिक सन्दर्भ, दार्शनिक आधार, रचनाकार के जीवनवृत्त, उसके घोषित उद्देश्यों, साहित्य के सन्दर्भ-स्रोतों और कृति में निहित राजनीतिक एवं सामाजिक अभिप्रायों को ही सर्वोपरि माना जाता था । इसके विपरीत नई आलोचना का जोर इस बात पर था कि साहित्यिक कृतियाँ अपनी संरचना में पूर्णतया आत्मनिर्भर होती हैं और वे अपनी एक निरपेक्ष और स्वायत्त सौन्दर्यपरक सत्ता निर्मित करती हैं। साहित्यिक व्याख्याओं का सरोकार कृति की बाह्य परिस्थितियों से या लेखक के घोषित मंतव्य, उद्देश्य और सरोकार या पाठक पर पड़ने वाले उस कृति के प्रभाव से नहीं है। नई आलोचना 'टेक्स्ट' या पाठ को आधार मानते हुए कृति के सूक्ष्म और विस्तृत भाषिक विश्लेषण को 'क्लोज रीडिंग' को महत्त्व देती थी। उसका सरोकार पाठ में अन्तर्निहित विभिन्न प्रकार के उन सम्बन्ध सूत्रों से था, जो किसी कृति को उसका अपना एक विशिष्ट चरित्र प्रदान करते हैं या उसकी एक खास संरचना का गठन करते हैं।

'नई आलोचना' का जन्म हुआ था

  1. समय की माँग के कारण
  2. साहित्यिक आवश्यकता के कारण
  3. आलोचना-कार्य में सुविधा के कारण
  4. पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में

गद्यांश Question 2 Detailed Solution

'नई आलोचना' का जन्म हुआ था - पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में

Key Points

  • गद्यांश के आधार-
    • 'नई आलोचना' उन्नीसवीं सदी की उस पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में जन्मी थी,
    • जिसमें कृति पर विचार करते समय कृति के ऐतिहासिक सन्दर्भ, दार्शनिक आधार, रचनाकार के जीवनवृत्त,
    • उसके घोषित उद्देश्यों, साहित्य के सन्दर्भ-स्रोतों और कृति में निहित राजनीतिक एवं सामाजिक अभिप्रायों को ही सर्वोपरि माना जाता था।

Additional Information अन्य विकल्प -

  • समय की माँग के कारण: यह विकल्प समय की परिवर्तनशील आवश्यकताओं के कारण नई आलोचना के उदय का सुझाव देता है।
  • साहित्यिक आवश्यकता के कारण: यह विकल्प साहित्यिक जगत की तत्काल आवश्यकताओं के कारण नई आलोचना के उद्भव का सुझाव देता है।
  • आलोचना-कार्य में सुविधा के कारण: यह विकल्प आलोचना के कार्य में सुविधा और सहेजने के कारण नई आलोचना के उदय का सुझाव देता है।

गद्यांश Question 3:

Comprehension:

निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्रश्न संख्या 94 से 99 तक)
नई आलोचना (New Criticism) बीसवीं सदी के मध्यवर्ती दशकों में अमेरिकी साहित्यिक आलोचना के क्षेत्र में कृति के रूपवादी अनुशीलन का एक आन्दोलन था, जिसने अपना यह नाम सन् 1941 ई. में प्रकाशित जॉन क्रोरेंसम की पुस्तक - 'द न्यू क्रिटिसिज्म' से ग्रहण किया था। अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सन् 1960 ई. के दशक के अन्त तक इस साहित्यिक प्रविधि का बहुत बोलबाला था। 'नई आलोचना' उन्नीसवीं सदी की उस पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में जन्मी थी, जिसमें कृति पर विचार करते समय कृति के ऐतिहासिक सन्दर्भ, दार्शनिक आधार, रचनाकार के जीवनवृत्त, उसके घोषित उद्देश्यों, साहित्य के सन्दर्भ-स्रोतों और कृति में निहित राजनीतिक एवं सामाजिक अभिप्रायों को ही सर्वोपरि माना जाता था । इसके विपरीत नई आलोचना का जोर इस बात पर था कि साहित्यिक कृतियाँ अपनी संरचना में पूर्णतया आत्मनिर्भर होती हैं और वे अपनी एक निरपेक्ष और स्वायत्त सौन्दर्यपरक सत्ता निर्मित करती हैं। साहित्यिक व्याख्याओं का सरोकार कृति की बाह्य परिस्थितियों से या लेखक के घोषित मंतव्य, उद्देश्य और सरोकार या पाठक पर पड़ने वाले उस कृति के प्रभाव से नहीं है। नई आलोचना 'टेक्स्ट' या पाठ को आधार मानते हुए कृति के सूक्ष्म और विस्तृत भाषिक विश्लेषण को 'क्लोज रीडिंग' को महत्त्व देती थी। उसका सरोकार पाठ में अन्तर्निहित विभिन्न प्रकार के उन सम्बन्ध सूत्रों से था, जो किसी कृति को उसका अपना एक विशिष्ट चरित्र प्रदान करते हैं या उसकी एक खास संरचना का गठन करते हैं।

'नई आलोचना' इनमें से किसको आधार मानती है ?

  1. मानव' को
  2. 'प्रकृति' को
  3. संवाद' को
  4. 'टेक्स्ट' को या पाठ को

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : 'टेक्स्ट' को या पाठ को

गद्यांश Question 3 Detailed Solution

'नई आलोचना' इनमें से 'टेक्स्ट' को या पाठ को आधार मानती है 

Key Points

  • गद्यांश के आधार-
    • साहित्यिक व्याख्याओं का सरोकार कृति की बाह्य परिस्थितियों से या लेखक के घोषित मंतव्य,
    • उद्देश्य और सरोकार या पाठक पर पड़ने वाले उस कृति के प्रभाव से नहीं है।
    • नई आलोचना 'टेक्स्ट' या पाठ को आधार मानते हुए कृति के सूक्ष्म और विस्तृत भाषिक विश्लेषण को 'क्लोज रीडिंग' को महत्त्व देती थी।
    • उसका सरोकार पाठ में अन्तर्निहित विभिन्न प्रकार के उन सम्बन्ध सूत्रों से था, 

Additional Information 
 
अन्य विकल्प -

  • मानव: यह विकल्प साहित्यिक कृतियों को मानव जीवन, समाज और व्यक्तित्व के संदर्भ में व्याख्यायित करने का निर्देश देता।
  • प्रकृति: यह विकल्प साहित्यिक कृतियों को प्रकृति के संबंध में मूल्यांकित करने का निर्देश देता।
  • संवाद: यह विकल्प साहित्यिक कृतियों के संवाद या वार्तालाप की महत्वपूर्णता पर जोर देता।

गद्यांश Question 4:

Comprehension:

निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्रश्न संख्या 94 से 99 तक)
नई आलोचना (New Criticism) बीसवीं सदी के मध्यवर्ती दशकों में अमेरिकी साहित्यिक आलोचना के क्षेत्र में कृति के रूपवादी अनुशीलन का एक आन्दोलन था, जिसने अपना यह नाम सन् 1941 ई. में प्रकाशित जॉन क्रोरेंसम की पुस्तक - 'द न्यू क्रिटिसिज्म' से ग्रहण किया था। अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सन् 1960 ई. के दशक के अन्त तक इस साहित्यिक प्रविधि का बहुत बोलबाला था। 'नई आलोचना' उन्नीसवीं सदी की उस पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में जन्मी थी, जिसमें कृति पर विचार करते समय कृति के ऐतिहासिक सन्दर्भ, दार्शनिक आधार, रचनाकार के जीवनवृत्त, उसके घोषित उद्देश्यों, साहित्य के सन्दर्भ-स्रोतों और कृति में निहित राजनीतिक एवं सामाजिक अभिप्रायों को ही सर्वोपरि माना जाता था । इसके विपरीत नई आलोचना का जोर इस बात पर था कि साहित्यिक कृतियाँ अपनी संरचना में पूर्णतया आत्मनिर्भर होती हैं और वे अपनी एक निरपेक्ष और स्वायत्त सौन्दर्यपरक सत्ता निर्मित करती हैं। साहित्यिक व्याख्याओं का सरोकार कृति की बाह्य परिस्थितियों से या लेखक के घोषित मंतव्य, उद्देश्य और सरोकार या पाठक पर पड़ने वाले उस कृति के प्रभाव से नहीं है। नई आलोचना 'टेक्स्ट' या पाठ को आधार मानते हुए कृति के सूक्ष्म और विस्तृत भाषिक विश्लेषण को 'क्लोज रीडिंग' को महत्त्व देती थी। उसका सरोकार पाठ में अन्तर्निहित विभिन्न प्रकार के उन सम्बन्ध सूत्रों से था, जो किसी कृति को उसका अपना एक विशिष्ट चरित्र प्रदान करते हैं या उसकी एक खास संरचना का गठन करते हैं।

नई आलोचना' का जोर इनमें से किस बात पर अधिक था ?

  1. लेखन की प्रतिबद्धता पर
  2. संरचना की आत्मनिर्भरता पर
  3. अनुमान पर
  4. समानता पर

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : संरचना की आत्मनिर्भरता पर

गद्यांश Question 4 Detailed Solution

नई आलोचना' का जोर इनमें से संरचना की आत्मनिर्भरता पर अधिक था

Key Points

  • गद्यांश के आधार-
    • इसके विपरीत नई आलोचना का जोर इस बात पर था
    • कि साहित्यिक कृतियाँ अपनी संरचना में पूर्णतया आत्मनिर्भर होती हैं
    • और वे अपनी एक निरपेक्ष और स्वायत्त सौन्दर्यपरक सत्ता निर्मित करती हैं।
    • साहित्यिक व्याख्याओं का सरोकार कृति की बाह्य परिस्थितियों से या लेखक के घोषित मंतव्य,
    • उद्देश्य और सरोकार या पाठक पर पड़ने वाले उस कृति के प्रभाव से नहीं है।
    • नई आलोचना 'टेक्स्ट' या पाठ को आधार मानते हुए कृति के सूक्ष्म और विस्तृत भाषिक विश्लेषण को 'क्लोज रीडिंग' को महत्त्व देती थी।

Additional Information अन्य विकल्प -

  • लेखन की प्रतिबद्धता:
    • यह दृष्टिकोण साहित्यिक कृतियों को उनके समाजिक, राजनीतिक या नैतिक प्रतिबद्धताओं के संदर्भ में मूल्यांकित करता है।
    • यह लेखक के इरादों और उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • अनुमान:
    • यह साहित्यिक कृति की व्याख्या या मूल्यांकन के दौरान संभावित अर्थों और पाठक की व्यक्तिगत धारणाओं का विचार करता है।
  • समानता:
    • यह दृष्टिकोण साहित्यिक कृतियों के बीच तुलनात्मक अध्ययन, समानताओं और भिन्नताओं का आकलन करता है।

गद्यांश Question 5:

Comprehension:

निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्रश्न संख्या 94 से 99 तक)
नई आलोचना (New Criticism) बीसवीं सदी के मध्यवर्ती दशकों में अमेरिकी साहित्यिक आलोचना के क्षेत्र में कृति के रूपवादी अनुशीलन का एक आन्दोलन था, जिसने अपना यह नाम सन् 1941 ई. में प्रकाशित जॉन क्रोरेंसम की पुस्तक - 'द न्यू क्रिटिसिज्म' से ग्रहण किया था। अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सन् 1960 ई. के दशक के अन्त तक इस साहित्यिक प्रविधि का बहुत बोलबाला था। 'नई आलोचना' उन्नीसवीं सदी की उस पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में जन्मी थी, जिसमें कृति पर विचार करते समय कृति के ऐतिहासिक सन्दर्भ, दार्शनिक आधार, रचनाकार के जीवनवृत्त, उसके घोषित उद्देश्यों, साहित्य के सन्दर्भ-स्रोतों और कृति में निहित राजनीतिक एवं सामाजिक अभिप्रायों को ही सर्वोपरि माना जाता था । इसके विपरीत नई आलोचना का जोर इस बात पर था कि साहित्यिक कृतियाँ अपनी संरचना में पूर्णतया आत्मनिर्भर होती हैं और वे अपनी एक निरपेक्ष और स्वायत्त सौन्दर्यपरक सत्ता निर्मित करती हैं। साहित्यिक व्याख्याओं का सरोकार कृति की बाह्य परिस्थितियों से या लेखक के घोषित मंतव्य, उद्देश्य और सरोकार या पाठक पर पड़ने वाले उस कृति के प्रभाव से नहीं है। नई आलोचना 'टेक्स्ट' या पाठ को आधार मानते हुए कृति के सूक्ष्म और विस्तृत भाषिक विश्लेषण को 'क्लोज रीडिंग' को महत्त्व देती थी। उसका सरोकार पाठ में अन्तर्निहित विभिन्न प्रकार के उन सम्बन्ध सूत्रों से था, जो किसी कृति को उसका अपना एक विशिष्ट चरित्र प्रदान करते हैं या उसकी एक खास संरचना का गठन करते हैं।

'द न्यू क्रिटिसिज्म' नामक पुस्तक के लेखक हैं

  1. निकोलाई ग्राविलोविच चेर्नीशेटस्की
  2. पॉल एंथोनी सैम्युलसन
  3. जॉन क्रोरेंसम
  4. पॉल डेमान

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : जॉन क्रोरेंसम

गद्यांश Question 5 Detailed Solution

'द न्यू क्रिटिसिज्म' नामक पुस्तक के लेखक हैं- जॉन क्रोरेंसम

Key Points

  • गद्यांश के आधार-
    • नई आलोचना (New Criticism) बीसवीं सदी के मध्यवर्ती दशकों में अमेरिकी
    • साहित्यिक आलोचना के क्षेत्र में कृति के रूपवादी अनुशीलन का एक आन्दोलन था,
    • जिसने अपना यह नाम सन् 1941 ई. में प्रकाशित जॉन क्रोरेंसम की पुस्तक - 'द न्यू क्रिटिसिज्म' से ग्रहण किया था।
    • अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सन् 1960 ई. के दशक के अन्त तक इस साहित्यिक प्रविधि का बहुत बोलबाला था।

Additional Informationअन्य विकल्प -

  • निकोलाई ग्राविलोविच चेर्नीशेटस्की:
    • यह यूक्रेन मूल के रूसी साहित्यकार थे, जिन्होंने कहानी, लघु उपन्यास और नाटक आदि विधाओं में प्रमुख लेखन किया है।
    • वे अपने युग की सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं पर आधारित साहित्य के लिए जाने जाते हैं।
    • उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति "What Is to Be Done?" है, जो समाजवादी और राजनीतिक दृष्टिकोण से युक्त एक उपन्यास है।
  • पॉल एंथोनी सैम्युलसन:
    • पॉल एंथोनी सैम्युलसन एक प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्री थे।
    • उन्होंने आधुनिक अर्थशास्त्र के सिद्धांतों को सरल और समझने योग्य तरीके से प्रस्तुत किया
    • और इसके लिए उन्हें 1970 में अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
    • उनकी प्रसिद्ध पुस्तक "Economics: An Introductory Analysis" (पहले संस्करण में "Economics") है।
  • पॉल डेमान:
    • पॉल डेमान बेल्जियन मूल के अमेरिकी साहित्यिक समीक्षक और सिद्धांतकार थे।
    • वे मुख्य रूप से साहित्यिक सिद्धांत, विशेष रूप से विखंडनवाद (Deconstruction) के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए जाने जाते हैं।
    • उनकी प्रमुख पुस्तकों में "Blindness and Insight" और "Allegories of Reading" शामिल हैं।

Top गद्यांश MCQ Objective Questions

Comprehension:

निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्रश्न संख्या 94 से 99 तक)
नई आलोचना (New Criticism) बीसवीं सदी के मध्यवर्ती दशकों में अमेरिकी साहित्यिक आलोचना के क्षेत्र में कृति के रूपवादी अनुशीलन का एक आन्दोलन था, जिसने अपना यह नाम सन् 1941 ई. में प्रकाशित जॉन क्रोरेंसम की पुस्तक - 'द न्यू क्रिटिसिज्म' से ग्रहण किया था। अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सन् 1960 ई. के दशक के अन्त तक इस साहित्यिक प्रविधि का बहुत बोलबाला था। 'नई आलोचना' उन्नीसवीं सदी की उस पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में जन्मी थी, जिसमें कृति पर विचार करते समय कृति के ऐतिहासिक सन्दर्भ, दार्शनिक आधार, रचनाकार के जीवनवृत्त, उसके घोषित उद्देश्यों, साहित्य के सन्दर्भ-स्रोतों और कृति में निहित राजनीतिक एवं सामाजिक अभिप्रायों को ही सर्वोपरि माना जाता था । इसके विपरीत नई आलोचना का जोर इस बात पर था कि साहित्यिक कृतियाँ अपनी संरचना में पूर्णतया आत्मनिर्भर होती हैं और वे अपनी एक निरपेक्ष और स्वायत्त सौन्दर्यपरक सत्ता निर्मित करती हैं। साहित्यिक व्याख्याओं का सरोकार कृति की बाह्य परिस्थितियों से या लेखक के घोषित मंतव्य, उद्देश्य और सरोकार या पाठक पर पड़ने वाले उस कृति के प्रभाव से नहीं है। नई आलोचना 'टेक्स्ट' या पाठ को आधार मानते हुए कृति के सूक्ष्म और विस्तृत भाषिक विश्लेषण को 'क्लोज रीडिंग' को महत्त्व देती थी। उसका सरोकार पाठ में अन्तर्निहित विभिन्न प्रकार के उन सम्बन्ध सूत्रों से था, जो किसी कृति को उसका अपना एक विशिष्ट चरित्र प्रदान करते हैं या उसकी एक खास संरचना का गठन करते हैं।

अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सन् 1960 ई. के दशक के अन्त तक किस साहित्यिक प्रविधि का बोलबाला था ?.

  1. 'द न्यू क्रिटिसिज्म' का
  2. 'पोस्ट मॉडर्निज़्म' का 
  3. 'स्टोरी राइटिंग' का
  4. 'नॉबेल राइटिंग' का

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : 'द न्यू क्रिटिसिज्म' का

गद्यांश Question 6 Detailed Solution

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अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सन् 1960 ई. के दशक के अन्त तक 'द न्यू क्रिटिसिज्म' का साहित्यिक प्रविधि का बोलबाला था

Key Points

  • गद्यांश के आधार-
    • नई आलोचना (New Criticism) बीसवीं सदी के मध्यवर्ती दशकों में
    • अमेरिकी साहित्यिक आलोचना के क्षेत्र में कृति के रूपवादी अनुशीलन का एक आन्दोलन था,
    • जिसने अपना यह नाम सन् 1941 ई. में प्रकाशित जॉन क्रोरेंसम की पुस्तक - 'द न्यू क्रिटिसिज्म' से ग्रहण किया था।
    • अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सन् 1960 ई. के दशक के अन्त तक इस साहित्यिक प्रविधि का बहुत बोलबाला था।
    • 'नई आलोचना' उन्नीसवीं सदी की उस पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में जन्मी थी, 

Additional Information 
 
अन्य विकल्प -

  • 'पोस्ट मॉडर्निज़्म' का 
    • ​यह 20वीं सदी के उत्तरार्ध में उभरा एक साहित्यिक और सांस्कृतिक आंदोलन है,
    • जबकि 'द न्यू क्रिटिसिज्म' का बोलबाला 1960 के दशक तक था। इसलिए, दोनों के समय और दृष्टिकोण में भिन्नता है।
  • 'स्टोरी राइटिंग' का -
    • ​स्टोरी राइटिंग साहित्यिक रचना की विधा है न कि आलोचनात्मक प्रविधि। यह नई आलोचना की विधि को प्रदर्शित नहीं करता।
  • 'नॉबेल राइटिंग' का - 
    • ​यह नोबेल पुरस्कार विजेताओं द्वारा लिखित साहित्य को संदर्भित करता है, जो नई आलोचना की प्रविधि के रूप में उपयुक्त नहीं है।

Comprehension:

निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्रश्न संख्या 94 से 99 तक)
नई आलोचना (New Criticism) बीसवीं सदी के मध्यवर्ती दशकों में अमेरिकी साहित्यिक आलोचना के क्षेत्र में कृति के रूपवादी अनुशीलन का एक आन्दोलन था, जिसने अपना यह नाम सन् 1941 ई. में प्रकाशित जॉन क्रोरेंसम की पुस्तक - 'द न्यू क्रिटिसिज्म' से ग्रहण किया था। अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सन् 1960 ई. के दशक के अन्त तक इस साहित्यिक प्रविधि का बहुत बोलबाला था। 'नई आलोचना' उन्नीसवीं सदी की उस पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में जन्मी थी, जिसमें कृति पर विचार करते समय कृति के ऐतिहासिक सन्दर्भ, दार्शनिक आधार, रचनाकार के जीवनवृत्त, उसके घोषित उद्देश्यों, साहित्य के सन्दर्भ-स्रोतों और कृति में निहित राजनीतिक एवं सामाजिक अभिप्रायों को ही सर्वोपरि माना जाता था । इसके विपरीत नई आलोचना का जोर इस बात पर था कि साहित्यिक कृतियाँ अपनी संरचना में पूर्णतया आत्मनिर्भर होती हैं और वे अपनी एक निरपेक्ष और स्वायत्त सौन्दर्यपरक सत्ता निर्मित करती हैं। साहित्यिक व्याख्याओं का सरोकार कृति की बाह्य परिस्थितियों से या लेखक के घोषित मंतव्य, उद्देश्य और सरोकार या पाठक पर पड़ने वाले उस कृति के प्रभाव से नहीं है। नई आलोचना 'टेक्स्ट' या पाठ को आधार मानते हुए कृति के सूक्ष्म और विस्तृत भाषिक विश्लेषण को 'क्लोज रीडिंग' को महत्त्व देती थी। उसका सरोकार पाठ में अन्तर्निहित विभिन्न प्रकार के उन सम्बन्ध सूत्रों से था, जो किसी कृति को उसका अपना एक विशिष्ट चरित्र प्रदान करते हैं या उसकी एक खास संरचना का गठन करते हैं।

'नई आलोचना' का जन्म हुआ था

  1. समय की माँग के कारण
  2. साहित्यिक आवश्यकता के कारण
  3. आलोचना-कार्य में सुविधा के कारण
  4. पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में

गद्यांश Question 7 Detailed Solution

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'नई आलोचना' का जन्म हुआ था - पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में

Key Points

  • गद्यांश के आधार-
    • 'नई आलोचना' उन्नीसवीं सदी की उस पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में जन्मी थी,
    • जिसमें कृति पर विचार करते समय कृति के ऐतिहासिक सन्दर्भ, दार्शनिक आधार, रचनाकार के जीवनवृत्त,
    • उसके घोषित उद्देश्यों, साहित्य के सन्दर्भ-स्रोतों और कृति में निहित राजनीतिक एवं सामाजिक अभिप्रायों को ही सर्वोपरि माना जाता था।

Additional Information अन्य विकल्प -

  • समय की माँग के कारण: यह विकल्प समय की परिवर्तनशील आवश्यकताओं के कारण नई आलोचना के उदय का सुझाव देता है।
  • साहित्यिक आवश्यकता के कारण: यह विकल्प साहित्यिक जगत की तत्काल आवश्यकताओं के कारण नई आलोचना के उद्भव का सुझाव देता है।
  • आलोचना-कार्य में सुविधा के कारण: यह विकल्प आलोचना के कार्य में सुविधा और सहेजने के कारण नई आलोचना के उदय का सुझाव देता है।

Comprehension:

निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्रश्न संख्या 94 से 99 तक)
नई आलोचना (New Criticism) बीसवीं सदी के मध्यवर्ती दशकों में अमेरिकी साहित्यिक आलोचना के क्षेत्र में कृति के रूपवादी अनुशीलन का एक आन्दोलन था, जिसने अपना यह नाम सन् 1941 ई. में प्रकाशित जॉन क्रोरेंसम की पुस्तक - 'द न्यू क्रिटिसिज्म' से ग्रहण किया था। अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सन् 1960 ई. के दशक के अन्त तक इस साहित्यिक प्रविधि का बहुत बोलबाला था। 'नई आलोचना' उन्नीसवीं सदी की उस पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में जन्मी थी, जिसमें कृति पर विचार करते समय कृति के ऐतिहासिक सन्दर्भ, दार्शनिक आधार, रचनाकार के जीवनवृत्त, उसके घोषित उद्देश्यों, साहित्य के सन्दर्भ-स्रोतों और कृति में निहित राजनीतिक एवं सामाजिक अभिप्रायों को ही सर्वोपरि माना जाता था । इसके विपरीत नई आलोचना का जोर इस बात पर था कि साहित्यिक कृतियाँ अपनी संरचना में पूर्णतया आत्मनिर्भर होती हैं और वे अपनी एक निरपेक्ष और स्वायत्त सौन्दर्यपरक सत्ता निर्मित करती हैं। साहित्यिक व्याख्याओं का सरोकार कृति की बाह्य परिस्थितियों से या लेखक के घोषित मंतव्य, उद्देश्य और सरोकार या पाठक पर पड़ने वाले उस कृति के प्रभाव से नहीं है। नई आलोचना 'टेक्स्ट' या पाठ को आधार मानते हुए कृति के सूक्ष्म और विस्तृत भाषिक विश्लेषण को 'क्लोज रीडिंग' को महत्त्व देती थी। उसका सरोकार पाठ में अन्तर्निहित विभिन्न प्रकार के उन सम्बन्ध सूत्रों से था, जो किसी कृति को उसका अपना एक विशिष्ट चरित्र प्रदान करते हैं या उसकी एक खास संरचना का गठन करते हैं।

'नई आलोचना' इनमें से किसको आधार मानती है ?

  1. मानव' को
  2. 'प्रकृति' को
  3. संवाद' को
  4. 'टेक्स्ट' को या पाठ को

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : 'टेक्स्ट' को या पाठ को

गद्यांश Question 8 Detailed Solution

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'नई आलोचना' इनमें से 'टेक्स्ट' को या पाठ को आधार मानती है 

Key Points

  • गद्यांश के आधार-
    • साहित्यिक व्याख्याओं का सरोकार कृति की बाह्य परिस्थितियों से या लेखक के घोषित मंतव्य,
    • उद्देश्य और सरोकार या पाठक पर पड़ने वाले उस कृति के प्रभाव से नहीं है।
    • नई आलोचना 'टेक्स्ट' या पाठ को आधार मानते हुए कृति के सूक्ष्म और विस्तृत भाषिक विश्लेषण को 'क्लोज रीडिंग' को महत्त्व देती थी।
    • उसका सरोकार पाठ में अन्तर्निहित विभिन्न प्रकार के उन सम्बन्ध सूत्रों से था, 

Additional Information 
 
अन्य विकल्प -

  • मानव: यह विकल्प साहित्यिक कृतियों को मानव जीवन, समाज और व्यक्तित्व के संदर्भ में व्याख्यायित करने का निर्देश देता।
  • प्रकृति: यह विकल्प साहित्यिक कृतियों को प्रकृति के संबंध में मूल्यांकित करने का निर्देश देता।
  • संवाद: यह विकल्प साहित्यिक कृतियों के संवाद या वार्तालाप की महत्वपूर्णता पर जोर देता।

Comprehension:

निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्रश्न संख्या 94 से 99 तक)
नई आलोचना (New Criticism) बीसवीं सदी के मध्यवर्ती दशकों में अमेरिकी साहित्यिक आलोचना के क्षेत्र में कृति के रूपवादी अनुशीलन का एक आन्दोलन था, जिसने अपना यह नाम सन् 1941 ई. में प्रकाशित जॉन क्रोरेंसम की पुस्तक - 'द न्यू क्रिटिसिज्म' से ग्रहण किया था। अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सन् 1960 ई. के दशक के अन्त तक इस साहित्यिक प्रविधि का बहुत बोलबाला था। 'नई आलोचना' उन्नीसवीं सदी की उस पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में जन्मी थी, जिसमें कृति पर विचार करते समय कृति के ऐतिहासिक सन्दर्भ, दार्शनिक आधार, रचनाकार के जीवनवृत्त, उसके घोषित उद्देश्यों, साहित्य के सन्दर्भ-स्रोतों और कृति में निहित राजनीतिक एवं सामाजिक अभिप्रायों को ही सर्वोपरि माना जाता था । इसके विपरीत नई आलोचना का जोर इस बात पर था कि साहित्यिक कृतियाँ अपनी संरचना में पूर्णतया आत्मनिर्भर होती हैं और वे अपनी एक निरपेक्ष और स्वायत्त सौन्दर्यपरक सत्ता निर्मित करती हैं। साहित्यिक व्याख्याओं का सरोकार कृति की बाह्य परिस्थितियों से या लेखक के घोषित मंतव्य, उद्देश्य और सरोकार या पाठक पर पड़ने वाले उस कृति के प्रभाव से नहीं है। नई आलोचना 'टेक्स्ट' या पाठ को आधार मानते हुए कृति के सूक्ष्म और विस्तृत भाषिक विश्लेषण को 'क्लोज रीडिंग' को महत्त्व देती थी। उसका सरोकार पाठ में अन्तर्निहित विभिन्न प्रकार के उन सम्बन्ध सूत्रों से था, जो किसी कृति को उसका अपना एक विशिष्ट चरित्र प्रदान करते हैं या उसकी एक खास संरचना का गठन करते हैं।

नई आलोचना' का जोर इनमें से किस बात पर अधिक था ?

  1. लेखन की प्रतिबद्धता पर
  2. संरचना की आत्मनिर्भरता पर
  3. अनुमान पर
  4. समानता पर

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : संरचना की आत्मनिर्भरता पर

गद्यांश Question 9 Detailed Solution

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नई आलोचना' का जोर इनमें से संरचना की आत्मनिर्भरता पर अधिक था

Key Points

  • गद्यांश के आधार-
    • इसके विपरीत नई आलोचना का जोर इस बात पर था
    • कि साहित्यिक कृतियाँ अपनी संरचना में पूर्णतया आत्मनिर्भर होती हैं
    • और वे अपनी एक निरपेक्ष और स्वायत्त सौन्दर्यपरक सत्ता निर्मित करती हैं।
    • साहित्यिक व्याख्याओं का सरोकार कृति की बाह्य परिस्थितियों से या लेखक के घोषित मंतव्य,
    • उद्देश्य और सरोकार या पाठक पर पड़ने वाले उस कृति के प्रभाव से नहीं है।
    • नई आलोचना 'टेक्स्ट' या पाठ को आधार मानते हुए कृति के सूक्ष्म और विस्तृत भाषिक विश्लेषण को 'क्लोज रीडिंग' को महत्त्व देती थी।

Additional Information अन्य विकल्प -

  • लेखन की प्रतिबद्धता:
    • यह दृष्टिकोण साहित्यिक कृतियों को उनके समाजिक, राजनीतिक या नैतिक प्रतिबद्धताओं के संदर्भ में मूल्यांकित करता है।
    • यह लेखक के इरादों और उद्देश्यों पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • अनुमान:
    • यह साहित्यिक कृति की व्याख्या या मूल्यांकन के दौरान संभावित अर्थों और पाठक की व्यक्तिगत धारणाओं का विचार करता है।
  • समानता:
    • यह दृष्टिकोण साहित्यिक कृतियों के बीच तुलनात्मक अध्ययन, समानताओं और भिन्नताओं का आकलन करता है।

Comprehension:

निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्रश्न संख्या 94 से 99 तक)
नई आलोचना (New Criticism) बीसवीं सदी के मध्यवर्ती दशकों में अमेरिकी साहित्यिक आलोचना के क्षेत्र में कृति के रूपवादी अनुशीलन का एक आन्दोलन था, जिसने अपना यह नाम सन् 1941 ई. में प्रकाशित जॉन क्रोरेंसम की पुस्तक - 'द न्यू क्रिटिसिज्म' से ग्रहण किया था। अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सन् 1960 ई. के दशक के अन्त तक इस साहित्यिक प्रविधि का बहुत बोलबाला था। 'नई आलोचना' उन्नीसवीं सदी की उस पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में जन्मी थी, जिसमें कृति पर विचार करते समय कृति के ऐतिहासिक सन्दर्भ, दार्शनिक आधार, रचनाकार के जीवनवृत्त, उसके घोषित उद्देश्यों, साहित्य के सन्दर्भ-स्रोतों और कृति में निहित राजनीतिक एवं सामाजिक अभिप्रायों को ही सर्वोपरि माना जाता था । इसके विपरीत नई आलोचना का जोर इस बात पर था कि साहित्यिक कृतियाँ अपनी संरचना में पूर्णतया आत्मनिर्भर होती हैं और वे अपनी एक निरपेक्ष और स्वायत्त सौन्दर्यपरक सत्ता निर्मित करती हैं। साहित्यिक व्याख्याओं का सरोकार कृति की बाह्य परिस्थितियों से या लेखक के घोषित मंतव्य, उद्देश्य और सरोकार या पाठक पर पड़ने वाले उस कृति के प्रभाव से नहीं है। नई आलोचना 'टेक्स्ट' या पाठ को आधार मानते हुए कृति के सूक्ष्म और विस्तृत भाषिक विश्लेषण को 'क्लोज रीडिंग' को महत्त्व देती थी। उसका सरोकार पाठ में अन्तर्निहित विभिन्न प्रकार के उन सम्बन्ध सूत्रों से था, जो किसी कृति को उसका अपना एक विशिष्ट चरित्र प्रदान करते हैं या उसकी एक खास संरचना का गठन करते हैं।

'द न्यू क्रिटिसिज्म' नामक पुस्तक के लेखक हैं

  1. निकोलाई ग्राविलोविच चेर्नीशेटस्की
  2. पॉल एंथोनी सैम्युलसन
  3. जॉन क्रोरेंसम
  4. पॉल डेमान

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : जॉन क्रोरेंसम

गद्यांश Question 10 Detailed Solution

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'द न्यू क्रिटिसिज्म' नामक पुस्तक के लेखक हैं- जॉन क्रोरेंसम

Key Points

  • गद्यांश के आधार-
    • नई आलोचना (New Criticism) बीसवीं सदी के मध्यवर्ती दशकों में अमेरिकी
    • साहित्यिक आलोचना के क्षेत्र में कृति के रूपवादी अनुशीलन का एक आन्दोलन था,
    • जिसने अपना यह नाम सन् 1941 ई. में प्रकाशित जॉन क्रोरेंसम की पुस्तक - 'द न्यू क्रिटिसिज्म' से ग्रहण किया था।
    • अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सन् 1960 ई. के दशक के अन्त तक इस साहित्यिक प्रविधि का बहुत बोलबाला था।

Additional Informationअन्य विकल्प -

  • निकोलाई ग्राविलोविच चेर्नीशेटस्की:
    • यह यूक्रेन मूल के रूसी साहित्यकार थे, जिन्होंने कहानी, लघु उपन्यास और नाटक आदि विधाओं में प्रमुख लेखन किया है।
    • वे अपने युग की सामाजिक और राजनीतिक समस्याओं पर आधारित साहित्य के लिए जाने जाते हैं।
    • उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति "What Is to Be Done?" है, जो समाजवादी और राजनीतिक दृष्टिकोण से युक्त एक उपन्यास है।
  • पॉल एंथोनी सैम्युलसन:
    • पॉल एंथोनी सैम्युलसन एक प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्री थे।
    • उन्होंने आधुनिक अर्थशास्त्र के सिद्धांतों को सरल और समझने योग्य तरीके से प्रस्तुत किया
    • और इसके लिए उन्हें 1970 में अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
    • उनकी प्रसिद्ध पुस्तक "Economics: An Introductory Analysis" (पहले संस्करण में "Economics") है।
  • पॉल डेमान:
    • पॉल डेमान बेल्जियन मूल के अमेरिकी साहित्यिक समीक्षक और सिद्धांतकार थे।
    • वे मुख्य रूप से साहित्यिक सिद्धांत, विशेष रूप से विखंडनवाद (Deconstruction) के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए जाने जाते हैं।
    • उनकी प्रमुख पुस्तकों में "Blindness and Insight" और "Allegories of Reading" शामिल हैं।

Comprehension:

निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (प्रश्न संख्या 94 से 99 तक)
नई आलोचना (New Criticism) बीसवीं सदी के मध्यवर्ती दशकों में अमेरिकी साहित्यिक आलोचना के क्षेत्र में कृति के रूपवादी अनुशीलन का एक आन्दोलन था, जिसने अपना यह नाम सन् 1941 ई. में प्रकाशित जॉन क्रोरेंसम की पुस्तक - 'द न्यू क्रिटिसिज्म' से ग्रहण किया था। अमेरिकी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में सन् 1960 ई. के दशक के अन्त तक इस साहित्यिक प्रविधि का बहुत बोलबाला था। 'नई आलोचना' उन्नीसवीं सदी की उस पुरानी आलोचना-दृष्टि की प्रतिक्रिया में जन्मी थी, जिसमें कृति पर विचार करते समय कृति के ऐतिहासिक सन्दर्भ, दार्शनिक आधार, रचनाकार के जीवनवृत्त, उसके घोषित उद्देश्यों, साहित्य के सन्दर्भ-स्रोतों और कृति में निहित राजनीतिक एवं सामाजिक अभिप्रायों को ही सर्वोपरि माना जाता था । इसके विपरीत नई आलोचना का जोर इस बात पर था कि साहित्यिक कृतियाँ अपनी संरचना में पूर्णतया आत्मनिर्भर होती हैं और वे अपनी एक निरपेक्ष और स्वायत्त सौन्दर्यपरक सत्ता निर्मित करती हैं। साहित्यिक व्याख्याओं का सरोकार कृति की बाह्य परिस्थितियों से या लेखक के घोषित मंतव्य, उद्देश्य और सरोकार या पाठक पर पड़ने वाले उस कृति के प्रभाव से नहीं है। नई आलोचना 'टेक्स्ट' या पाठ को आधार मानते हुए कृति के सूक्ष्म और विस्तृत भाषिक विश्लेषण को 'क्लोज रीडिंग' को महत्त्व देती थी। उसका सरोकार पाठ में अन्तर्निहित विभिन्न प्रकार के उन सम्बन्ध सूत्रों से था, जो किसी कृति को उसका अपना एक विशिष्ट चरित्र प्रदान करते हैं या उसकी एक खास संरचना का गठन करते हैं।

'नई आलोचना' के लिए अंग्रेजी में किस शब्द का प्रयोग किया जाता है ?

  1. 'New Criticism'
  2. 'Critic'
  3. 'Novel'
  4. 'Story'

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : 'New Criticism'

गद्यांश Question 11 Detailed Solution

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'नई आलोचना' के लिए अंग्रेजी में शब्द का प्रयोग किया जाता है - New Criticism

Key Points

  •  New Criticism - नई आलोचना

अन्य विकल्प -

  • Critic - समीक्षक
  • Novel - उपन्यास
  • Story - कहानी

Additional Information अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद -

  • Curiosity – उत्सुकता
  • Pounce – झपटना
  • Overture – हाव-भाव
  • Inundation – बाढ़
  • Gambol – मौज मस्ती
  • Pilgrim – तीर्थयात्री
  • Imposter – बहरूपिया
  • Solitary – अकेला
  • Starvation – भुखमरी
  • Thrifty – कंजूस
  • Daring – साहसी

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-

चाबहार ईरान का तटीय शहर है जो दक्षिण-पूर्व में ओमान दूसरे सबसे बड़े और सिस्तान और बलूचिस्तान में ओमान की खाड़ी से सटा है। इस बंदरगाह के विकास के लिए भारत और ईरान के बीच 2003 में पहली बार सहमति बनी थी लेकिन फिर परमाणु कार्यक्रम के बारे में ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण इस परियोजना में रुकावट पैदा होती रही। भारत को सिल्क रोड और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे तक अपनी पहुंच बनाए रखने के लिए भी नितांत दिया गया था। अब ईरान ने इस परियोजना सहित सभी रेल परियोजनाओं से भारत को अलग कर दिया लेकिन चाबहार बंदरगाह का टर्मिनल का संचालन भारत के पास है। पर ईरान को अमेरिका के साथ भारत की मैत्री रास नहीं आ रही थी और चीन के पाले में जा रहा है।

सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी जाहेदान तक रेलमार्ग बनाने के लिए निमंत्रण पहले किस देश को दिया गया था?

  1. चीन को
  2. भारत को
  3. ईरान को
  4. अमेरिका को

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : भारत को

गद्यांश Question 12 Detailed Solution

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सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी जाहेदान तक रेलमार्ग बनाने के लिए निमंत्रण पहले भारत को देश को दिया गया था।

Key Points

  • अनुच्छेद के अनुसार -
    • अब ईरान ने इस परियोजना सहित सभी रेल परियोजनाओं से भारत को अलग कर दिया
    • लेकिन चाबहार बंदरगाह का टर्मिनल का संचालन भारत के पास है।
    • पर ईरान को अमेरिका के साथ भारत की मैत्री रास नहीं आ रही थी और चीन के पाले में जा रहा है।

Additional Informationअन्य विकल्प -

  • चीन को: परियोजना शुरुआती तौर पर चीन को नहीं दी गई थी।
  • ईरान को: ईरान खुद इस परियोजना का हिस्सा है, न कि उसे निमंत्रण दिया गया था।
  • अमेरिका को: अमेरिकी को इस परियोजना का निमंत्रण नहीं दिया गया था।

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-

चाबहार ईरान का तटीय शहर है जो दक्षिण-पूर्व में ओमान दूसरे सबसे बड़े और सिस्तान और बलूचिस्तान में ओमान की खाड़ी से सटा है। इस बंदरगाह के विकास के लिए भारत और ईरान के बीच 2003 में पहली बार सहमति बनी थी लेकिन फिर परमाणु कार्यक्रम के बारे में ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण इस परियोजना में रुकावट पैदा होती रही। भारत को सिल्क रोड और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे तक अपनी पहुंच बनाए रखने के लिए भी नितांत दिया गया था। अब ईरान ने इस परियोजना सहित सभी रेल परियोजनाओं से भारत को अलग कर दिया लेकिन चाबहार बंदरगाह का टर्मिनल का संचालन भारत के पास है। पर ईरान को अमेरिका के साथ भारत की मैत्री रास नहीं आ रही थी और चीन के पाले में जा रहा है।

चाबहार किस देश के तट पर स्थित है?

  1. सिस्तान
  2. भारत 
  3. ईरान 
  4. बलूचिस्तान

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : ईरान 

गद्यांश Question 13 Detailed Solution

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चाबहार देश के तट पर स्थित है- ईरान

Key Points

  • अनुच्छेद के अनुसार -
    • चाबहार ईरान का तटीय शहर है जो दक्षिण-पूर्व में ओमान दूसरे सबसे बड़े और सिस्तान और बलूचिस्तान में ओमान की खाड़ी से सटा है।
    • इस बंदरगाह के विकास के लिए भारत और ईरान के बीच 2003 में पहली बार सहमति बनी थी
    • लेकिन फिर परमाणु कार्यक्रम के बारे में ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण इस परियोजना में रुकावट पैदा होती रही। 

Additional Informationअन्य विकल्प -

  • सिस्तान - सिस्तान ईरान का एक प्रांत है, जो चाबहार बंदरगाह के समीप स्थित है। 
  • भारत - चाबहार बंदरगाह भारत में स्थित नहीं है।
  • बलूचिस्तान - यह प्रांत बलूचिस्तान भी एक प्रांत है, जो चाबहार बंदरगाह के समीप स्थित है।

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर, दिए गए सवालों के सही जवाब चुनिए :-

चाबहार ईरान का तटीय शहर है जो दक्षिण-पूर्व में ओमान दूसरे सबसे बड़े और सिस्तान और बलूचिस्तान में ओमान की खाड़ी से सटा है। इस बंदरगाह के विकास के लिए भारत और ईरान के बीच 2003 में पहली बार सहमति बनी थी लेकिन फिर परमाणु कार्यक्रम के बारे में ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण इस परियोजना में रुकावट पैदा होती रही। भारत को सिल्क रोड और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे तक अपनी पहुंच बनाए रखने के लिए भी नितांत दिया गया था। अब ईरान ने इस परियोजना सहित सभी रेल परियोजनाओं से भारत को अलग कर दिया लेकिन चाबहार बंदरगाह का टर्मिनल का संचालन भारत के पास है। पर ईरान को अमेरिका के साथ भारत की मैत्री रास नहीं आ रही थी और चीन के पाले में जा रहा है।

चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए भारत और ईरान के बीच सहमति कब बनी थी?

  1. 2013
  2. 2001
  3. 2003
  4. 2020

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : 2003

गद्यांश Question 14 Detailed Solution

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चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए भारत और ईरान के बीच सहमति बनी थी- 2003

Key Points

  • अनुच्छेद के अनुसार -
    • चाबहार ईरान का तटीय शहर है जो दक्षिण-पूर्व में ओमान दूसरे सबसे बड़े और सिस्तान और बलूचिस्तान में ओमान की खाड़ी से सटा है।
    • इस बंदरगाह के विकास के लिए भारत और ईरान के बीच 2003 में पहली बार सहमति बनी थी
    • लेकिन फिर परमाणु कार्यक्रम के बारे में ईरान पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण इस परियोजना में रुकावट पैदा होती रही। 

Comprehension:

अनुच्छेद पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर चुनिए :-
किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए मन का स्थिर होना बहुत आवश्यक है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते समय मन को इधर-उधर न भटकने दें और न ही किसी प्रकार का भय मन में आने दें। अपना सारा ध्यान अपनी पढ़ाई पर केंद्रित रखें। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना परीक्षार्थी के लिए अत्यंत जरूरी है। सुबह की सैर, संतुलित भोजन, मन को भरपूर नींद की भी अत्यंत जरूरत होती है। इससे परीक्षा का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन सब विषयों पर ध्यान देने के द्वारा परीक्षार्थी सकारात्मक फल को प्राप्त कर सकता है।

सुबह की सैर और संगीत सुनने से परीक्षार्थी को क्या लाभ मिलता है?

  1. मन पढ़ाई से विचलित हो जाता है
  2. समय व्यर्थ हो जाता है
  3. मन को शांति मिलती है
  4. कोई असर नहीं होता

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : मन को शांति मिलती है

गद्यांश Question 15 Detailed Solution

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सुबह की सैर और संगीत सुनने से परीक्षार्थी को लाभ मिलता है- मन को शांति मिलती है

Key Points

  • अनुच्छेद के अनुसार -
    • सुबह की सैर और संगीत सुनना परीक्षार्थी के लिए कई तरह से फायदेमंद होता है।
    • सुबह की सैर से शरीर को ऊर्जा मिलती है और मन शांत होता है।
    • वहीं, संगीत सुनने से तनाव कम होता है और दिमाग़ एकाग्र होता है।

Additional Information  अन्य विकल्प -

  • मन पढ़ाई से विचलित हो जाता है - यह कथन सही नहीं है। वास्तव में, सुबह की सैर और संगीत सुनने से मन और दिमाग को ताजगी मिलती है, जो पढ़ाई के लिए लाभदायक है।
  • समय व्यर्थ हो जाता है - यह भी सही नहीं है। सैर और संगीत से शरीर और मन को आराम मिलता है जिससे पढ़ाई की गुणवत्ता बढ़ती है।
  • कोई असर नहीं होता है - यह भी सही नहीं है। सुबह की सैर और संगीत दोनों का सकारात्मक प्रभाव होता है जो परीक्षार्थियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
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